रसोई गैस के बाद बेकाबू हुई खाने का तेल की कीमत  सरकार आम आदमी के कमर तोड़कर रख दी -विकाश उपाध्याय

रसोई गैस के बाद बेकाबू हुई खाने का तेल की कीमत सरकार आम आदमी के कमर तोड़कर रख दी -विकाश उपाध्याय

January 10, 2021 0 By Central News Service

स्वतंत्र भारत मे पहली बार
खाने के तेल में हुई जबरदस्त वृद्धि ने आम जनता का बिगाड़ा रसोई का स्वाद- काँग्रेस

रायपुर 8 जनवरी 2021 जब से केंद्र पर बीजेपी की सरकार आई है आम आदमी का जीना हुआ दुस्वार जिस महंगाई को लेकर ये बड़ी-बड़ी बातें करते थे आज स्वयं मोदी जी एवं तमाम बीजेपी के नेता महंगाई पर बिल्कुल शांत एवं खामोश बैठे हुए ऐसा लगता है इन्हें देश के आम जनता की बिल्कुल भी फिकर नही है। काँग्रेस के राष्ट्रीय सचिव,संसदीय सचिव एवं विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि महंगाई ने आम आदमी का बजट पूरी तरह बिगाड़ दिया है।पहले आलू,फिर प्याज,रसोई गैस और अब खाने के तेल में हुई जबरदस्त वृद्धि ने आम आदमी को मानसिक रूप से चिंता में डाल दिया है।महामारी की मार चल ही रही है उस पर तेल की वृद्धि से महिलाओं के रसोई का स्वाद बिगाड़ दिया है अब हर आदमी अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा है अडानी को फायदा पहुचाने के लिए सुनियोजित तरीके से की गई खाने के तेल में वृद्धि।
शहर जिला काँग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं आईटी सेल के पश्चिम विधानसभा के अध्यक्ष डॉ.विकास पाठक ने कहा कि स्वतंत्र भारत मे पहली बार खाने के तेल में वृद्धि हुई है बीजेपी के राज में एमआरपी से ज्यादा के दाम पर बेचा जा रहा है खाने का तेल कल तक जो 15 किलो का पीपा 850 से 900 रुपये पर मिलता था आज धीरे-धीरे बढ़कर 1900 से 2500 रुपये तक मे मिल रहा है।बीजेपी अडानी को फायदा पहुचाने आम आदमी के जेब पर बोझ बढ़ा रही है।
डॉ.विकास पाठक ने बताया कि आम आदमी का रसोई का बजट लगातार बिगड़ता जा रहा है पहले आलू,प्याज फिर रसोई गैस और अब खाने का तेल में हुई जबरदस्त वृद्धि से आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है महंगाई की मार ने सारी हदें पार कर दी है।सभी खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है।सोयाबीन,सूरजमुखी,हरेली के तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही है ये कीमतें 40 से 50 फीसदी तक बढ़ गई है पर खाद्य तेल की कीमतों को कम करने में केंद्र की सरकार पूरी तरह नाकाम रही है।केंद्र की बीजेपी सरकार को देख ऐसा लगता है कि खाने के तेल में वृद्धि ,महंगाई से कोई फरक नही पड़ता बीजेपी ने आम जनता को उसी के हाल में जीने को छोड़ दिया है।