महानदी को छलनी कर रहे रेत माफिया- देवेंद्र ..माइनिंग विभाग की खामोशी मिलीभगत की ओर कर रहा इंगित..
June 26, 2023संपादक मनोज गोस्वामी
महासमुंद 26 जुन 2023/ भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के जिला संयोजक देवेंद्र चंद्राकर ने छग के रेत घाटों में हो रहे अवैध उत्खनन पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि एनजीटी के आदेश के अनुसार 15 जून से 15 अक्टूबर के बीच खदानों से रेत निकालने पर प्रतिबंध रहता है। लेकिन इस आदेश का पालन रेत घाटों में नहीं हो रहा है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों सहित महासमुंद में भी माफियाओं द्वारा शासन के नियमों को ताक पर रखकर खुलेआम महानदी का सीना छलनी कर रेत का कालाबाजारी किया जा रहा है।
चंद्राकर ने विज्ञप्ति में कहा कि दिन में पकड़े न जाएं इसलिए अब घाट से रात में भी रेत निकालने का अवैध कारोबार चल रहा है। गाड़िय़ां अब रात को घाट में पहुंच रही है। वहीं ट्रैक्टर से ढुलाई करने वाले घाट न जाकर सीधे महानदी के किनारे पहुंचकर जहां जगह मिल रही है, वहीं से रेत निकालकर परिवहन कर रहे हैं। महासमुंद जिले में रेत माफिया शासन के सारे नियमों को ताक में रखकर महानदी से रेत का उत्खनन कर रहा है। पर्यावरण विभाग हर साल बारिश शुरु होते ही रेत उत्खनन पर प्रतिबंध लगाता है। लेकिन जिले में रेत माफिया इस नियम का खुलेआम उल्लंघन कर रह हैं। इन सबसे वाकिफ होने के बाद भी जिला खनिज विभाग का मौन रहना अनेक संदेहों को जन्म देता है।
उन्होंने कहा कि जिले में महानदी अनेक रेत खदान संचालित है। इनमें से ज्यादातर खदानों में पर्यावरण मंडल के सारे नियमों को ताक में रखकर अवैध उत्खनन किया जा रहा है। बारिश का मौसम शुरू होते ही जून महीने से रेत का उत्खनन बंद करने का नियम है। इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों की शह पर अभी भी उत्खनन जारी है। रेत खदान से निकलने वाली गाड़ियों में क्षमता से अधिक ओवर लोड रेत भरी होती है। जिससे सड़कें खराब हो रही है। साथ ही इन ओवर लोड वाहनों से शासन को दोहरे राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है। एक तो रेत का अवैध उत्खनन और ऊपर से ओवर लोड गाड़ियों की वजह से सड़कों के खराब होने पर उनकी मरम्मत पर खर्च। लेकिन इन सबसे जिले के अधिकारियों को कोई सरोकार नहीं है।
चंद्राकर ने कहा कि रोक के बावजूद भी नदी के अंदर से रेत के अवैध उत्खनन महानदी का सीना चीरकर चैन माउंटेन मशीन के माध्यम से बेखौफ तरीके से रेत माफिया कर रहे हैं। प्रशासन के नाक के नीचे यह पूरा गोरख धंधा का संचालन हो रहा है। इस पर रोक लगाने में खनिज विभाग नाकाम साबित हो रही है।