कोचिंग क्लास में पढ़ाने वाले टीचर ने बनाए छात्रा से शारीरिक संबंध… गर्भवती हुई छात्रा कि मौत..
December 5, 2021
दुर्ग 05 दिसंबर 2021/ जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने फैसला देते हुए ट्यूशन टीचर को 5 वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार के अर्थदंड से दंडित किया हैं।ट्यूशन पढ़ने आयी छात्रा से ट्यूशन टीचर द्वारा पहले सम्बंध बनाने फिर उसे गर्भपात के लिये गोली खिलाने से छात्रा की मौत हो गयी थी। मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ने आरोपी ट्यूशन शिक्षक को आज शनिवार को 5 वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। मामले में मिली जानकारी के अनुसार घटना दुर्ग के छावनी थाना क्षेत्र की है।
बताया जा रहा है कि घटना जनवरी 2019 की हैं। मूलतः रोहतास(बिहार) निवासी युवक अविनाश कुमार राजपूत भिलाई में अपने घर मे कोचिंग पढ़ाता था। युवक के पास 18 वर्षिय छात्रा ट्यूशन पढ़ने जाती थी। ट्यूशन पढ़ाने के दौरान छात्रा को झांसे में लेकर ट्यूशन टीचर ने उसके साथ शारिरिक सम्बन्ध स्थापित कर लिए। उसके बाद छात्रा के गर्भवती होने पर उसे गर्भपात के लिये 5 गोलियां ला कर आरोपी अविनाश राजपूत द्वारा दिया गया। गोलियां खाने के बाद छात्रा को अत्यधिक रक्त शुरू हो गया।
इसके बाद परिजनों द्वारा छात्रा को गम्भीर अवस्था मे बीएम शाह हास्पिटल में 28 जनवरी 2019को भर्ती करवाया गया। जहां उपचार के दौरान दूसरे ही दिन छात्रा की मौत हो गयी। पुलिस को अस्पताल से मिली सूचना के बाद मामले को पुलिस ने जांच में लिया। जांच में चिकित्सको के बयान,बिसरा जांच,परिजनों के बयान व छात्रा के मृत्यु पूर्व परिजनों को दी गयी जानकारी के आधार पर छावनी थाने में एफआईआर क्रमांक 136/19 कायम की गई। आरोपी को गिरफ्तार कर 29 जून 2019 को जेल भेज दिया गया। मामले का ट्रायल जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव के यहाँ चल रहा था। अदालत ने साक्ष्यों व बयानों के आधार पर आरोपी को धारा 314 का दोषी पाया।
अदालत ने फैसले में कहा कि ” आरोपी मृतका का गुरु था,उसके बावजूद आरोपी ने गुरु के महति दायित्व को निर्वहित न करते हुए उसके साथ शारिरिक सम्बंध स्थापित किये। और उसके गर्भवती होने पर स्वयं को बचाने के आशय से मृतिका के जीवन को खतरे में डालते हुए उसे गर्भपात हेतु दवाइयां खिलाई,जिससे उसकी मौत हो गयी। इन स्थितियों में आरोपी को कम सजा से दंडित किया जाना उचित नही होगा। अदालत ने आरोपी अविनाश राजपूत को 5 वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार के अर्थदंड से दंडित किया हैं। अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक बाल मुकुंद चन्द्राकर ने पैरवी की।