रसोई पर महंगाई की मार, शर्म करो मोदी सरकार’
June 16, 2021‘
· खाद्य पदार्थों के बढ़ते दाम से त्राहिमाम, आम आदमी के खाने की थाली हुई खाली
· घरेलू गैस के दाम में बेतहाशा वृद्धि से फिर घरेलू चूल्हे का शुरू हुआ इस्तेमाल, उज्ज्वला योजना फेल
· भारत में एक साल में खाद्य तेलों की कीमत 50 से 70 फीसदी बढ़ी। मई 2021 में कीमतें 10 साल के उच्चतम स्तर पर
पत्रकार वार्ता के बिंदु 16.06.2021
- नरेंद्र मोदी ‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार’ के नारे के साथ सत्ता पर काबिज हुए थे, पर आज देश की हालात ऐसे हो गए हैं कि पूरा देश ‘बस करो मोदी सरकार’, ‘रहम करो मोदी सरकार’ और ‘शर्म करो मोदी सरकार’ जैसे नारे लगाने पर बाध्य हो गया है
- देश में बढती महंगाई हम महिलाओं की रसोई में घुस आई है। एक वक्त था आदमी कहता था कि दाल रोटी खायेंगे प्रभु के गुण गायेंगे, अब मोदी सरकार के सात साल बाद आलम यह है कि दाल रोटी भी बहुत मुश्किल से मयस्सर हो रही है
- रसोई के नून, तेल मसाले के साथ-साथ अन्य खाद्य पदार्थों और घरेलू गैस के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई है
- मोदी सरकार सत्ता में महंगाई के मुद्दे पर आई थी, महंगाई को लेकर भाजपाइयों ने अर्धनग्न होकर भी प्रदर्शन किया था, लेकिन आज वे शर्म के मारे किसी को मुंह दिखाने के काबिल तक नहीं रह गए हैं
- केंद्र सरकार द्वारा कीमत नियंत्रण के लिए किये गए उपाय जमीन पर कहीं नजर नहीं आ रहे हैं न सरकार इस बारे में कोई बात कर रही है
- भाजपा की वो नेत्रियां भी चुप्पी साधे बैठी हुई हैं जो गले में गैस सिलेंडर टांगें प्रदर्शन कर रही थीं और वो तमाम ‘सेलिब्रिटी’ भी ख़ामोश हैं जो नियमित रूप से सोशल मीडिया पर कराह रहे थे
तबाही मचाता घरेलू गैस का दाम
- इस जनविरोधी, संवेदनहीन मोदी सरकार के कार्यकाल में रसोई गैस से लेकर हमारी रसोई में इस्तेमाल होने वाली हर छोटी बड़ी चीज़ के ताम बेतहाशा बढ़े हैं
- पिछले एक साल में गैस सिलेंडर का दाम 594 रुपये से बढ़कर आज 890 रुपये हो गया है यानी लगभग 300 रुपये ज्यादा
- एक सिलेंडर खरीदने में आम आदमी की हालत खराब हो जा रही है। पहले महिलाएं थोड़े बहुत पैसे बचाकर सिलेंडर खरीद लेती थीं लेकिन इतना महंगा सिलेंडर खरीदना बहुत मुश्किल भरा है
- एक सिलेंडर खरीदने में आम आदमी की हालत खराब हो जा रही है।
- सरकार ने ग़रीबों को उज्जवला योजना के तहत मुफ़्त गैस कनेक्शन का लालच दिया था लेकिन अब उनके पास गैस सिलेंडर रिफ़िल करवाने तक के पैसे नहीं हैं. छत्तीसगढ़ में दो प्रतिशत लोग भी उज्जवला के सिलेंडर नहीं भरवा पा रहे हैं
- नतीजा यह है कि उज्जलवा गैस पाकर मोदी को वोट देने वाली महिलाएं फिर से लकड़ी का चूल्हा जला रही हैं
खाद्य तेल दलहन के दाम में ऐतिहासिक वृद्धि
- आज राजधानी रायपुर में सरसों तेल की कीमत 180 रुपये से लेकर 200 रुपए तक है जबकि पिछले साल इसी वक्त सरसों के तेल की खुदरा कीमत 120 रुपये प्रति लीटर थी
- यानी एक साल में 80 फीसदी तक दाम बढ़े
- वनस्पति पिछले साल इस वक्त 86 रुपये किलो था वह अब 112 रुपये प्रति किलो है, सोया तेल 102 से 162 रुपये प्रति लीटर, सूरजमुखी का तेल 110 से 175 रुपये प्रति लीटर और पॉम आयल 90 से 142 प्रति लीटर हो चुका है
- पिछले तीन माह के अंदर सबसे ज्यादा दाल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है। खुदरा बाजार में अरहर दाल व काबुली चना की कीमत में 20 से 22 प्रतिशत, चना, उड़द और राजमा की कीमत में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है
- डेढ़ माह पूर्व 10 रुपये प्रति किलो मिलने वाला आलू अभी 20 रुपए में बिक रहा है। मूंग दाल, सफेद मटर 5 से 10 रुपये महंगा हुआ है। प्याज के दाम महज एक सप्ताह के भीतर 20 से 30 रूपए प्रति किलो हो गए हैं
- अप्रैल माह के अंत से अभी तक साबुन, डिटरजेंट, टूथ पेस्ट, विभिन्न तरह के तेल-क्रीम, ब्रांडेड फिनाइल समेत खाद्य सामग्री की कीमतों में वृद्धि हुई है। चायपत्ती के दाम 180 से 290 रुपये प्रति किलो हो गए हैं
- घर हम गृहणियां चलाती हैं। ग़रीबों की इस महंगाई की वजह से क्या हो गई है, यह कहना कठिन है जबकि मध्यम वर्ग के परिवार ही इस महंगाई की वजह से हांफ रहे हैं
- कोरोना काल में जब उद्योग और कारोबार दोनों ठप्प हैं, रोज़ी रोटी के लाले पड़े हुए हैं, थाली में खाना कैसे आएगा समझ में नहीं आ रहा है
लगातार बढ़ रही खुदरा मूल्य वृद्धि दर
- खाद्य तेल, फल, अंडा जैसे खाद्य पदार्थ के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति मई में बढ़कर छह महीने के उच्चतम स्तर 6.3 प्रतिशत पहुंच गयी है
- देश के सबसे बड़े वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर क्रूड पाम तेल का भाव बीते एक साल में 74 फीसदी बढ़ा है। ऑयल कांप्लेक्स में सबसे सस्ता माना जाने वाला पाम तेल इस समय सोया तेल से भी महंगा हो गया है
- खाद्य तेल, फल, अंडा जैसे खाद्य पदार्थ के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति मई में बढ़कर छह महीने के उच्चतम स्तर 6.3 प्रतिशत पहुंच गयी
- कोरोना काल के दौरान देश में खाद्यान्न समेत फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ा है. खाद्यान्नों और बागवानी फसलों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने का अनुमान है। फिर भी खाने-पीने की चीजों का दाम बढ़ने से आम गृहणियों का बजट बिगड़ गया है
जनता की चिंता ही नहीं मोदी जी को
- आम आदमी जब एक ओर कोरोना और लॉकडाउन की मार झेल रहा है तो दूसरी ओर डीज़ल और पेट्रोल के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है
- हालत यह है कि कई शहरों में पेट्रोल के दाम 100 रुपए से अधिक हो गए हैं और डीज़ल सौ के क़रीब पहुंच गया है
- जनता की जेब काटी जा रही है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल का दाम कम है और घरेलू बाज़ार में मोदी सरकार लगातार पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ा रही है
- आम लोगों को भी समझ में आ रहा है कि आम उपभोक्ता वस्तुओं के दाम बढ़ने के पीछे पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में बढ़ोत्तरी एक बड़ी वजह है
- दूसरी वजह मोदी सरकार की वो नीतियां हैं जिसके तहत वह चुनिंदा उद्योगपतियों और कारोबारियों को फ़ायदा पहुंचाना चाहती है
- एक ओर हमारे नेता राहुल गांधी लगातार कह रहे हैं कि ग़रीबों और आम लोगों की जेबों में पैसा डालना चाहिए
- लेकिन दूसरी ओर मोदी सरकार लोगों की जबों से पैसा निकालने की फिराक में है
- मोदी सरकार की यह ज़्यादती शर्मनाक है और जनता इस महंगाई के लिए भाजपा सरकार को समय आने पर ज़रूर मज़ा चखाएगी.