विवादों के बीच फंसे आदिपुरुष के मेकर्स का बड़ा फैसला, रिलीज के बाद अब बदले जाएंगे फिल्म के डायलॉग…
June 19, 2023संपादक मनोज गोस्वामी
रायपुर / मुंबई 19 जुन 2023/ आदिपुरुष के लगातार विरोध के बाद फिल्म के मेकर्स ने बड़ा ऐलान किया है. फिल्म के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर ने ट्वीट कर ये घोषणा की है कि अब फिल्म के डायलॉग बदले जाएंगे। वहीं फिल्म के मेकर्स ने भी इसपर बयान जारी कर आधिकारिक तौर पर डायलॉग बदलने की बात कही है. फिल्म को लेकर लगातार विरोध हो रहा है, जिसे देखते हुए मेकर्स ने ये बड़ा फैसला लिया है।
फिल्म में शामिल होंगे नए डायलॉग
मनोज मुंतशिर ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और लिखा, ‘मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, हम उन्हें संशोधित करेंगे और इसी सप्ताह वो फिल्म में शामिल किए जाएंगे.’ साथ ही मनोज मुंतशिर ने ये भी बताया कि उन्होंने इस फिल्म के लिए 4000 से ज्यादा लाइनों के डायलॉग लिखे हैं. जिनमें से 5 से जनता बेहद आहत हुई है. इसी को देखते हुए इसके डायलॉग बदलने का निर्णय लिया गया है।
मेकर्स ने जनता की भावना को देखते हुए लिया निर्णय
‘आदिपुरुष’ को दुनिया भर में जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है और ये हर उम्र के दर्शकों का दिल जीत रही है. इस सीन को एक यादगार सिनेमाई अनुभव बनाते हुए, टीम ने जनता और दर्शकों के इनपुट को महत्व देते हुए फिल्म के संवादों में बदलाव करने का फैसला किया है. इस फिल्म के निर्माता उन डायलॉग्स पर फिर से विचार कर रहे हैं, जिन्होंने दर्शकों को आहत किया है. साथ ही मेकर्स ये चाहते हैं कि फिल्म इसकी मूल भावना से हटकर न लगे. फिल्म के मेकर्स का ये भी मानना है कि भले ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर शानदार कलेक्शन कर रही है लेकिन किसी भी तरह दर्शकों की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए।
पहले भी हो चुका है बदलाव
बता दें कि इससे पहले जब फिल्म का टीजर रिलीज हुआ था उसे भी दर्शकों के गुस्से का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद इस फिल्म के ग्रॉफिक्स में काफी बदलाव किए गए. जिसके बाद फिल्म का बजट भी बड़ गया था।
मनोज मुंतशिर का ब्यान
Manoj Muntashir… @manojmuntashir
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रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है
हर भावना का सम्मान करना. सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता भावना
रह जाती है.
आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएं आहत हुई. उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान किया, माँ सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं.
मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे. वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही माँ को
अभद्र शब्दों से संबोधित किया.
मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहाँ से आ गई कि श्री राम का दर्शन भूल गये जो हर माँ को अपनी माँ मानते थे.
शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में
बैठे हों.
हो सकता है, 3 घंटे की फ़िल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाज़ी क्यों की, मैं जान नहीं पाया. क्या आपने ‘जय श्री राम’ गीत नहीं सुना,
‘शिवोहम’ नहीं सुना, ‘राम सिया राम’ नहीं सुना?
आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियाँ भी तो मेरी ही
लेखनी से जन्मी हैं.
‘तेरी मिट्टी’ और ‘देश मेरे भी तो मैंने ही लिखा है.
मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं
और रहेंगे. हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गये तो सनातन हार
जायेगा. हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनायी है, जो
आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे
भी देखेंगे.
ये पोस्ट क्यों?
क्योंकि मेरे लिये आपकी भावना से बढ़ के और कुछ नहीं है.
मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूँ, लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी. मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में
शामिल किए जाएँगे.
श्री राम आप सब पर कृपा करें