राज्यसभा सदस्य चुने जाने के साथ ही आज सुशील कुमार मोदी बनाएंगे ये रिकॉर्ड, जानें क्या
December 7, 2020नीलकमल, पटनाबिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) आज निर्विरोध राज्यसभा के लिए निर्वाचित घोषित किए गए। बिहार विधानसभा के लाइब्रेरी हॉल में निर्वाचित होने का प्रमंडलीय आयुक्त संजय अग्रवाल ने उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल, डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद, रेणु देवी समेत कई नेता मौजूद रहे। राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होने के साथ ही सुशील मोदी बिहार बीजेपी के पहले नेता बन गए हैं जो चारों सदनों के सदस्य बने हैं।
Sushil Kumar Modi: राज्यसभा उपचुनाव में (Rajya Sabha Byelection Bihar) BJP के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) को आज निर्वाचित घोषित कर दिया गया। विधानसभा, लोकसभा और फिर विधान परिषद के बाद अब सुशील मोदी राज्यसभा सदस्य बन गए हैं। इसी के साथ वो बिहार के तीसरे नेता हो गए जो चारों सदनों के सदस्य होंगे।
नीलकमल, पटना
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) आज निर्विरोध राज्यसभा के लिए निर्वाचित घोषित किए गए। बिहार विधानसभा के लाइब्रेरी हॉल में निर्वाचित होने का प्रमंडलीय आयुक्त संजय अग्रवाल ने उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल, डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद, रेणु देवी समेत कई नेता मौजूद रहे।
राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होने के साथ ही सुशील मोदी बिहार बीजेपी के पहले नेता बन गए हैं जो चारों सदनों के सदस्य बने हैं।
राज्यसभा उपचुनाव के लिए किए गए थे दो नामांकन
दिवंगत एलजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद राज्यसभा की सीट खाली हुई थी। इस सीट पर 14 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए BJP के सुशील कुमार मोदी और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर श्याम नंदन प्रसाद ने पर्चा भरा था। दोनों उम्मीदवारों के नामांकन पत्र की जांच में सुशील कुमार मोदी का नामांकन वैध पाया गया। निर्दलीय प्रत्याशी श्याम नंदन प्रसाद की ओर से प्रस्तावक के रूप में एक भी व्यक्ति का नाम/ हस्ताक्षर अंकित नहीं रहने के कारण उनका नामांकन पत्र तकनीकी रूप से अवैध पाया गया।
नियम के अनुसार निर्वाचन आयोग की ओर से किसी उम्मीदवार के नामांकन के लिए 10 प्रस्तावक का होना जरूरी है। इस प्रकार राज्यसभा उपचुनाव के लिए BJP के सुशील कुमार मोदी ही एकमात्र उम्मीदवार रह गए। आज यानी 7 दिसंबर को नाम वापसी की अंतिम तिथि निर्धारित थी। इस बीच पटना के प्रमंडलीय आयुक्त और राज्यसभा चुनाव अधिकारी संजय अग्रवाल ने सुशील कुमार मोदी को प्रमाण पत्र सौंप दिया।
इसे भी पढ़ें:- बिहार सरकार का बड़ा फैसला, शादी समारोह में अब शामिल हो सकेंगे 200 लोग
तीसरे नेता बन गए सुशील कुमार मोदी
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी तीसरे ऐसे नेता बन गए जो सभी सदनों के सदस्य रहेंगे। यानी विधान सभा, विधान परिषद, लोकसभा और अब राज्यसभा के सदस्य बन गए हैं। इसके पहले चारों सदन के सदस्य के तौर पर बिहार से आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, नागमणि का नाम ही मौजूद था। लेकिन, अब सुशील कुमार मोदी सभी सदनों में बैठने वाले तीसरे नेता बनेंगे।
सुशील मोदी का राजनीतिक करियर
सुशील मोदी का जन्म 1952 में हुआ था। बीएन कॉलेज, पटना से बीएससी की डिग्री ली है। उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1973 में बॉटनी ऑनर्स किया। बाद में उन्होंने जय प्रकाश नारायण की ओर से शुरू किए गए सामाजिक आंदोलन में शामिल होने के लिए पटना विश्वविद्यालय में एमएससी बॉटनी कोर्स छोड़ दिया। सुशील मोदी 2005 से 2013 तक बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री रहे और फिर 2017 से 2020 तक इसी पद पर रहे थे। सुशील मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लाइफलॉन्ग सदस्य भी हैं और उन्हें जुलाई 2011 में उन्हें GST के कार्यान्वयन के लिए राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकारिक समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
सुशील कुमार मोदी का परिवार
सुशील कुमार मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 को पटना में हुआ था। पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई करने वाले सुशील कुमार मोदी के पिता का नाम मोतीलाल मोदी है। पटना के राजेंद्र नगर में रहने वाले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने दूसरे संप्रदाय में विवाह कर एक मिसाल कायम की है। सुशील कुमार मोदी की पत्नी का नाम जेस्सी जॉर्ज है। इनके दो पुत्र हैं और दोनों राजनीतिक गतिविधियों से काफी दूर रहते हैं।
नागरिक सुरक्षा विभाग के कमांडेंट रह चुके हैं सुशील मोदी
बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के साथ एक और रोचक तथ्य यह जुड़ा है। 1962 के चीन-भारत युद्ध के दौरान सुशील कुमार मोदी ने स्कूल के छात्रों को संगठित करने और लामबंद करने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। सुशील कुमार मोदी को नागरिकों और छात्रों को अपनी शारीरिक फिटनेस बनाए रखने के लिए प्रशिक्षित करने लिए ‘गृह रक्षा एवं नागरिक सुरक्षा विभाग के कमांडेंट’ के तौर पर नियुक्त किया गया था। आपको यह भी बता दें कि सुशील कुमार मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आजीवन सदस्य भी हैं।
1962 से 2020 तक सुशील मोदी का राजनीतिक इतिहास
1962 में सुशील कुमार मोदी ने तीन साल के अधिकारी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (ओटीसी), उच्चतम आरएसएस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को पूरा किया था। मैट्रिक के बाद, उन्होंने एक महीने दानापुर, खगौल में विस्तारक के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने विभिन्न आरएसएस शाखाएं शुरू की और RSS पटना टाउन की शाम की शाखाओं के प्रभारी बने। सुशील कुमार मोदी 1990 में सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए तब पटना सेंट्रल (अब कुम्हार रूप में जाना जाता है) से चुनाव जीतने के बाद उन्हें बीजेपी बिहार विधानसभा दल के मुख्य सचेतक बनाया गया था। 1996 से 2004 तक वह विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। उन्होंने पटना हाईकोर्ट में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चारा घोटाले को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। 2004 में वह भागलपुर के निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए लोकसभा के सदस्य बने। 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और बिहार के उप मुख्यमंत्री बन गए। 2005 में ही उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता ग्रहण की थी। इसके बाद से ही सुशील कुमार मोदी ने अब तक किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ा है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं सुशील कुमार मोदी!
बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार तो बन गई, नीतीश कुमार भी मुख्यमंत्री बन गए लेकिन, उप-मुख्यमंत्री के तौर पर सुशील कुमार मोदी की जगह तारकिशोर प्रसाद ने ले ली है। अब बीजेपी ने पूर्व उप मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी को दिवंगत रामविलास पासवान की सीट से राज्यसभा भेजा है। सूत्र बताते हैं कि केंद्र में सुशील कुमार मोदी को बड़ी जिम्मेवारी सौंपी जा सकती है। सूत्र यह भी बताते हैं कि जीएसटी काउंसिल के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी को वित्त विभाग जैसी अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
सुशील मोदी के पहले लालू प्रसाद यादव और नागमणि ही थे चारों सदनों के सदस्य
1977 में आपातकाल के बाद हुए लोक सभा चुनाव में लालू यादव ने जीत हासिल की थी और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा पहुंच गए थे। 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे। 1990 में मुख्यमंत्री बने लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बनने से पहले विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे। 1990 के बाद 2005 में बिहार की सत्ता खोने के बाद लालू प्रसाद यादव 2009 में राज्यसभा के सदस्य बने थे। वहीं शहीद जगदेव के पुत्र नागमणि 1995 में राज्यसभा के सदस्य और 2006 में बिहार विधान परिषद के सदस्य बने थे। उनका छह साल का कार्यकाल 2012 में पूरा होना था लेकिन नागमणि ने ना सिर्फ विधान परिषद से इस्तीफा दिया बल्कि जेडीयू की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद नागमणि कुर्था से एमएलए और चतरा से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं।
विपक्ष ने की थी सुशील मोदी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की कोशिश
LJP नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार से राज्यसभा की एक सीट पर 14 दिसंबर को उपचुनाव होना था। लेकिन मैदान में सिर्फ BJP के उम्मीदवार के तौर पर सुशील कुमार मोदी के रहने की वजह से वे निर्विरोध राज्यसभा के लिए चुन लिए गए। आज उन्हें प्रमाण पत्र भी दे दिया गया। कयास लगाया जा रहा था कि रामविलास पासवान की जगह उनकी पत्नी को राज्यसभा भेजा जा सकता है। लेकिन एक विधायक वाली पार्टी लोक जनशक्ति की ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया। इसके बाद महागठबंधन की ओर से भी कोशिश की गई। लेकिन महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार बनाए जा रहे श्याम रजक ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। बिहार विधान सभा चुनाव में LJP प्रमुख चिराग पासवान के बागी तेवर की वजह से, बीजेपी ने इस सीट पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को अपना उम्मीदवार बनाया था।