Bihar Politics : बिहार में किसानों के भारत बंद पर क्या करेंगे नीतीश? एक तरफ किसान तो दूसरी तरफ 2006 का अपना ही कानून

Bihar Politics : बिहार में किसानों के भारत बंद पर क्या करेंगे नीतीश? एक तरफ किसान तो दूसरी तरफ 2006 का अपना ही कानून

December 7, 2020 0 By Central News Service

पटना:
पंजाब के किसानों का दिल्ली बॉर्डर पर डेरा… इसी बीच 8 नवंबर को भारत बंद () का ऐलान, पड़ोसी झारखंड की सत्ताधारी JMM और कांग्रेस ने किया बंद का समर्थन… अगर बिहार में किसान सड़क पर उतरे तो क्या करेंगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ()? ये सवाल मौजू है और बड़े अजब समीकरण वाला भी। समझिए कैसे

सड़क पर उतरे बिहार में किसान तब
नीतीश क्या करेंगे?
दिल्ली बॉर्डर पर पंजाब के किसानों (Kisan Andolan) का गुस्सा चरम पर है। बिहार के पड़ोसी यूपी के किसान भी आंदोलित हैं। ऐसे में बिहार सरकार का कल यानि 8 नवंबर के बंद पर क्या रुख होगा? ये सवाल राज्य के सियासी गलियारे में तैर रहा है। उधर महागठबंधन ने पहले से ही किसानों के मुद्दे को लेकर बिहार में धरना प्रदर्शन शुरू कर रखा है। तेजस्वी यादव ने तो इस मुद्दे पर प्रशासनिक इजाजत न मिलने के बाद भी पटना के गांधी मैदान में गेट पर ही धरना दे दिया। जिसके लिए उनपर FIR भी दर्ज कराई गई है।

अब सवाल ये है कि नीतीश कुमार इस मुद्दे पर क्या करेंगे? क्योंकि बिहार में अगर किसान संगठन सड़क पर उतरते हैं तो उनके साथ बिहार की उस आबादी का समर्थन होगा जो गांवों में रहती है और खेती करती है या फिर वो खेतिहर मजदूर हैं। जाहिर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले में प्रदर्शनकारियों पर उतने कड़े रुख नहीं दिखाएंगे जो आम तौर पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ होती है। नीतीश की कोशिश यही होगी कि प्रदर्शन को प्रशासन आराम से हैंडल करे यानि प्रदर्शनकारियों पर ज्यादा सख्ती तभी बरती जाए जब वो सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर आमादा हों। अन्यथा उन पर जितना कम हो सके उतना कम बल प्रयोग किया जाए।

वजह- नीतीश सरकार का 2006 का बनाया
कानून
बिहार में जब 2005 में RJD को सत्ता से बेदखल कर नीतीश कुमार ने NDA के साथ सरकार बनाई थी तो उसके एक साल के अंदर यानि 2006 ही NDA ने बिहार में किसानों से जुड़ा कानून पास किया था। कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम को 2006 में निरस्त करने के नीतीश कुमार के इसी फैसले ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। 14 साल पुराना ये कदम RJD, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के लिए उल्टे NDA के खिलाफ ही हथियार बन गया है।

हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार में उनकी सरकार ने किसान विरोधी बिल को 2006 में ही खत्म कर दिया गया था। ऐसे में सरकार अगर किसानों से बात कर उन्हें समझाना चाहती है तो किसानों को भी पहल करनी चाहिए। आपको बता दें कि बिहार देश का पहला वो राज्य था जिसने कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए 2006 में एपीएमसी एक्ट (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी यानी कृषि उपज और पशुधन बाजार समिति) को खत्म कर दिया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुताबिक केंद्र के नए बिल से फसल अधिप्राप्ति में कोई बाधा नहीं आने वाली और इससे किसानों को ही फायदा होगा। ये नीतीश ने किसान आंदोलन के दौरान ही स्पष्ट कर दिया था। सुनिए क्या कहा था नीतीश कुमार ने…

दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी राय दी थी। उन्होंने कहा कि बिहार में उनकी सरकार ने किसान विरोधी बिल को 2006 में ही खत्म कर दिया गया था। ये बयान देकर नीतीश कुमार ने दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्र के साथ खड़े होकर नसीहत दी है। इसके लिए उन्होंने अपने ही शासन काल में राज्य में खत्म किए गए APMC एक्ट का भी हवाला दे दिया है।