केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू के बयान पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम का पलटवार

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू के बयान पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम का पलटवार

June 4, 2022 0 By Central News Service

अर्थव्यवस्था की बदहाली, महंगाई, बेरोजगारी, भूखमरी, समानता, हिंसा और नफ़रत के विकास के नए 8 साल भी पूरे हुए हैं

सीमा पार घुसपैठ रोकने और सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम, कश्मीर और कश्मीरियत को जलाकर पूरे देश में खौफ का मार्केटिंग करना चाहती है मोदी सरकार

रायपुर/04 जून 2022। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू के बयान पर पलटवार करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार के आठ साल ही पूरे नहीं हुए हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की बदहाली, महंगाई, बेरोजगारी, भूखमरी, समानता, हिंसा और नफ़रत के विकास के नए 8 साल भी पूरे हुए हैं। बेरोजगारी ऐतिहासिक रूप से शिखर पर है थोक और खुदरा महंगाई दर सर्वाधिक भूखमरी इंडेक्स में मोदी राज में भारत पड़ोसी देश बांग्लादेश श्रीलंका और नेपाल से भी पीछे जा चुका है अर्थव्यवस्था तेजी से उल्टे पांव दौड़ रही है। कर्ज लगभग 3 गुना बढ़ चुका है। देश के तमाम संसाधन ओने-पौने दाम पर बेचे जा रहे हैं। चंद पूंजीपतियों के लाखों करोड़ के राइट ऑफ किए गए लेकिन आम जनता के लिए केवल जुमला। मोदी सरकार के जितने भी केंद्रीय मंत्री छत्तीसगढ़ दौरे पर आए किसी ने भी अपने विभाग से संदर्भित योजनाओं पर बात नहीं की और ना ही देश के ज्वलंत समस्याओं पर। आज भी केंद्रीय मंत्री रिजिजू मोदी दरबार में नंबर बढ़ाने कोरी चाटुकारिता का असफल प्रयास करते नजर आए। महंगाई के सवाल पर खामोशी इस बात का प्रमाण है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है जब जब भारतीय जनता पार्टी जहां भी सरकार में होती है नफरत और हिंसा के सहारे खौफ की मार्केटिंग करके राजनीतिक लाभ का कुत्सित प्रयास करती हैं। 1947 से 1989 तक छुटपुट घटनाओं को छोड़कर कश्मीर में हिंदू मुस्लिम आबादी शांतिपूर्वक निवास करते रही। कश्मीर का प्रमुख धार्मिक सांस्कृतिक आयोजन “खीर भवानी” मेला सदियों से हिंदू मुस्लिम आबादी मिलकर मनाती रही। कश्मीर की आम जनता ने कभी भी आतंकवाद को स्वीकार नहीं किया। बहुसंख्यक कश्मीरी हमेशा भारत के साथ थे और रहेगें। आतंकवाद सीमा पार से नियंत्रित है और वर्तमान मोदी सरकार की घुसपैठ रोकने में नाकामी के चलते टारगेट किलिंग जैसी घटनाएं बढ़ी है। हिंदुस्तान 90 के दशक में जब 58 भाजपा सांसदों की बैसाखी पर वीपी सिंह की सरकार थी। अटल, आडवाणी की सहमति में जगमोहन जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे जो भाजपा के सांसद और मंत्री भी रहे। उस समय कश्मीरी पंडितों को बिना किसी मदद के रातों-रात बेदखल किया गया। अलगाववादियों की समर्थक कहे जाने वाले पीडीपी के साथ मिलकर सरकार चलाएं। भाजपा ने ही 10 साल की सजा काट चुके आतंकी को विधानसभा का उम्मीदवार बनाया, पठानकोट में आतंकी हमले की जांच के लिए पाकिस्तान की एजेंसी को हमारे सैनिक छावनियों में घुसने की अनुमति दी। 32 साल बाद आज फिर वही खौफ कश्मीर में लौट रहा है। कश्मीर और कश्मीरियों को जलाकर भारतीय जनता पार्टी केवल राजनैतिक लाभ के लिए पूरे देश में खौफ की मार्केटिंग करने में जुटी है। लगभग यही स्थिति रमन सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में रही। बस्तर के 644 गांव के तीन लाख से अधिक आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन, अपना गांव छोड़कर विस्थापित होने मजबूर किया गया। 15 साल के भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में नक्सलवाद छत्तीसगढ़ में नासूर बना। जगत पुजारा, पोडियम लिंगा और धर्मेद चोपड़ा जैसे भाजपाई एजेंटों का नक्सल कलेक्शन भी सर्वविदित है। शांति स्थापना के लिए शासन में स्थानीय जनता की सहभागिता, विकास के अवसर, आम जनता का विश्वास और चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था अनिवार्य है जिसे भूपेश बघेल सरकार ने बस्तर में बखूबी लागू किया है। यही कारण है कि एनसीआरबी के आंकड़ों में विगत तीन साल में छत्तीसगढ़ में नक्सली घटनाओं में 37 प्रतिशत और शहादत में 52 प्रतिशत की कमी दर्ज़ की गई है। केंद्र की मोदी सरकार बाटने और काटने का कुत्सित प्रयास छोड़कर जनता की सुरक्षा, समृध्दि और विकास पर बात करे। झीरम जांच को बाधित करने वाले बताएं कि पुलावामा के शहीदों को न्याय कब मिलेगा?