नगरनार इस्पात संयंत्र निजीकरण पर अमित जोगी का बड़ा खुलासा
June 1, 2022भूपेश सरकार ने एनएमडीसी को जमीन बेचकर नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण का रास्ता खोल दिया।
- बस्तरवासियों ने भूपेश सरकार को समझा रखवाल, लकिन सरकार निकली दलाल -चोरी-छिपे नगरनार इस्पात संयंत्र की जमीन बेच दी और बस्तरवासियों के विशवास का सौदा किया।
रायपुर, 30 मई, 2022: जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के अध्यक्ष अमित जोगी ने आज एक प्रेस वार्ता में नगरनार इस्पात संयंत्र निजीकरण मामले में बड़ा खुलासा करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार को रखवाल की जगह दलाल बताया। अमित जोगी ने तथ्यों के साथ जानकारी देते हुए खुलासा किया:
● नगरनार स्टील प्लांट 152.6 हेक्टेयर जमीन पर बना है और यह जमीन महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, जगदलपुर के नाम थी। CSIDC ने गुपचुप तरीके से यह जमीन एनएमडीसी (NMDC) को बेच दी है।
• 06 दिसम्बर 2021 को सीएसआईडीसी (CSIDC) ने 32.04 हेक्टेयर का डिमांड नोट (NMDC) कोदिया।
• 20 दिसम्बर 2021 को (NMDC) ने 5 करोड़ 10 लाख 60 हज़ार 228 रुपये का भुगतान सीएसआईडीसी (CSIDC) को कर दिया। शेष जमीन के लिए 21 दिसम्बर 2021 को सीएसआईडीसी (CSIDC) ने डिमांड नोट जारी किया।
• 27 दिसंबर 2021 को एनएमडीसी (NMDC) ने 28 करोड़ 41 लाख 10 हज़ार 463 रुपये का भुगतान सीएसआईडीसी (CSIDC) को कर दिया।
आखिर छत्तीसगढ़ विधानसभा और छत्तीसगढ़ के लोगों को जानकारी दिए बिना छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी सरकारी जमीन एनएमडीसी (NMDC) को क्यों बेच दी? ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अब एनएमडीसी (NMDC) नगरनार स्टील प्लांट को एक नई कंपनी को
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हस्तांतरित कर सकता है और इसके बाद इस स्टील प्लांट का विनिवेशीकरण किया जा सकता है।
अमित जोगी ने कहा कि केंद्र में बैठी भाजपा सरकार निरंतर नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण के लिए प्रयासरत है। लेकिन केंद्र सरकार के समक्ष एक सबसे बड़ा रोड़ा था, नगरनार इस्पात संयंत्र की जमीन राज्य सरकार के नाम होना। यानि तकनीकी रूप से केंद्र सरकार अगर नगरनार इस्पात संयंत्र का निजीकरण करना भी चाहे तो नहीं कर सकती थी क्योंकि जिस जमीन पर नगरनार इस्पात संयंत्र लगा है वो राज्य सरकार की जमीन है और बिना राज्य सरकार द्वारा एनएमडीसी को जमीन बेचे, केंद्र सरकार नगरनार इस्पात संयंत्र का निजीकरण नहीं कर सकती।
नगरनार इस्पात संयंत्र की जमीन राज्य सरकार के नाम पर होने की बस्तर हितैषी व्यवस्था पूर्व मुख्यमंत्री माननीय अजीत जोगी जी ने जानबूझ की थी ताकि नगरनार इस्पात संयंत्र का भविष्य में निजीकरण होने का प्रयास विफल हो सके। यह माननीय जोगी जी की दूरदृष्टि व्यवस्था ही थी जिससे नगरनार इस्पात संयंत्र अब तक निजी हाथों में नहीं जा पाया था लेकिन जिस भूपेश सरकार को बस्तरवासियों ने नगरनार इस्पात संयंत्र की जमीन की रखवाली करने चुना था, • वही जमीन की दलाली कर बैठी।
अमित जोगी ने कहा कि नगरनार इस्पात संयंत्र की जमीन को भूपेश सरकार ने चोरी छिपे एनएमडीसी को बेचकर न सिर्फ केंद्र सरकार के लिए नगरनार इस्पात संयंत्र के निजिकरण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है बल्कि बस्तर की माटी और बस्तरवासियों के विश्वास का सौदा कर दिया है।
अमित जोगी ने भूपेश सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि “अगर मुख्यमंत्री में थोड़ी भी सच्चाई ने है तो वो मुझे भेंट मुलाकात करने समय दें। नगरनार के लोगों के समक्ष मेरे द्वारा प्रस्तुत एक एक तथ्य को नकार कर बतायें और अगर मेरे तथ्य गलत हैं तो मेरे विरुद्ध कार्यवाही करें। मैं नगरनार जाऊँगा और बस्तरवासियों को उनके साथ हुए धोखे से अवगत कराऊंगा। केंद्र सरकार और राज्य सरकार यह बात अच्छे से समझ ले कि वो लाख कोशिश कर लें, हमें गोलियों से भून दें लेकिन नगरनार इस्पात संयंत्र का निजीकरण हम नहीं होने देंगे।