हसदेव अरण्य में बलपूर्वक पेड़ों की कटाई भूपेश का तानाशाही चेहरा दर्शाता -कोमल हुपेंडी

हसदेव अरण्य में बलपूर्वक पेड़ों की कटाई भूपेश का तानाशाही चेहरा दर्शाता -कोमल हुपेंडी

May 31, 2022 0 By Central News Service

आम आदमी पार्टी की टीम ने राज्यपाल को ज्ञापन देते हुए मिलने का समय मांगा – कोमल हुपेंडी,

रायपुर। आम आदमी पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने हसदेव अरण्य में भारी पुलिस बल के बीच हरे भरे पेड़ों की कटाई का घोर विरोध करते हुए कहा है कि भूपेश बघेल क्या अब तानाशाह बन गए हैं उन्हें अब जनहित और आम जनता की तकलीफें नहीं दिख रहीं हैं और न ही राहुल गांधी ही कोई सुध ले रहे है।

सोमवार को पुलिस फोर्स की मौजूदगी में परसा ईस्ट और बासन कोयला खदान के लिए 100 पेड़ों की बलि दे दी गयी।वन विभाग की टीम ने जैसे ही पेड्रामार जंगल में पेड़ों की कटाई शुरू की घटनास्थल पर बड़ी संख्या में प्रभावित ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। इस पर स्थानीय ग्रामीण विरोध में आ गए हैं।हाथों में लाठी-डंडे लिए बड़ी संख्या ग्रामीण और महिलाएं एकज़ुट होकर फोर्स केसामने पहुंच गए। इसक बाद कटाई रोक दी गई है। जंगल का इलाका छावनी में बदल गया है। प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की भी है।

आम आदमी पार्टी ने मजबूती से कहा कि बलपूर्वक इस कार्य को कर हम कभी वहां खदान नहीं खुलने देंगे । वहीं आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ द्वारा इस मामले पर राज्यपाल अनुसूईया उइके को ज्ञापन देने और चर्चा हेतु आज पत्र लिखकर समय माँगा है।
कोमल हुपेंडी ने कहा कि ग्रामीण साल 2019 से खदान खोलने का विरोध कर रहे हैं।उदयपुर क्षेत्र के हरिहरपुर, फतेहपुर और सालही ग्राम पंचायत के लोग खदान खोलने का साल 2019 से विरोध कर रहे हैं। वे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को भी पत्र लिख चुके हैं। यहां के ग्रामीण 300 किलोमीटर पैदल चलकर राज्यपाल से मिलने भी गए थे। काटे जा रहे इसी जंगल पर आदिवासी ग्रामीणों की आजीविका निर्भर है और इससे प्रकृति को बड़ा नुकसान है। जंगल में रहने वाले लाखों जानवरों का जीवन समाप्त हो जायेगा। लेकिन इसके बाद भी राज्य सरकार ने ग्रामीणों के हितों को नहीं माना है ? भूपेश सरकार सिर्फ अडानी को फायदा पहुँचाने सारी कवायद कर रही है क्योंकि उन्हें अडानी की दलाली करनी है?
आम आदमी पार्टी फिर से मुख्यमंत्री और राज्यपाल से पेड़ कटाई का काम तुरंत रुकवाने का निवेदन करती है और कोयला खदान आदेश रद्द करने की मांग करती है ।