एल आई सी के आईपीओ को बताया देश के लिए नुकसानदायक विरोध में देश भर में हुए प्रदर्शन
February 14, 2022
आईपीओ जारी करने पर होगी देशभर में हड़ताल
ऐसा कर अपने संसाधन निजी पूंजी को सौप रही सरकार
भारतीय जीवन बीमा निगम ने देश के विकास में अतुलनीय योगदान दिया है इसे अपने बजट घाटे की भरपाई करने के लिए आईपीओ जारी कर निजीकरण के रास्ते पर धकेल रही केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ आज देश भर में बीमा कर्मचारियों, अधिकारियों के संगठन के संयुक्त मंच ने सरकार से अपने कदम वापस लेने की मांग करते हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शन आयोजित किया । समूचे मध्य क्षेत्र के रायपुर , भोपाल, ग्वालियर, शहडोल, सतना, जबलपुर, इंदौर, बिलासपुर मंडलों सहित मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के 140 से अधिक स्थानों पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी यह प्रदर्शन आयोजित हुए । प्रथम श्रेणी अधिकारी संघ, विकास अधिकारी संगठन और एआईआईएआई के आव्हान पर रायपुर में भी प्रदर्शन कर सभा हुई । सभा को संबोधित करते हुए अधिकारी संगठन के अध्यक्ष धनंजय पांडे, एआईआईईए के सहसचिव धर्मराज महापात्र ने एल आई सी के आईपीओ के केंद्र सरकार के फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए इसे देश के लिए नुकसानदायक बताया । उन्होंने भारत सरकार पर अपने बजट घाटे की भरपाई के लिए सोने की अंडा देने वाली मुर्गी की हत्या का आरोप लगाया । उल्लेखनीय है कि कल ही सरकार की ओर से एल आई सी के आईपीओ जारी करने के लिए स्वीकृति हेतु सेबी के पास 652 पेज का ड्राफ्ट जमा कराया गया है । सरकार द्वारा जमा कराये गए इस प्रस्ताव मे निगम की 632.5 करोड़ रुपए के स्वामित्व के शेयर में से 31.6 करोड़ याने 5% शेयर बिक्री की बिक्री प्रस्तावित की गई है । सरकार ने सामान्य तौर पर ऐसे प्रस्तावों के परीक्षण के लिए सेबी द्वारा निर्धारित 75 दिनों की अवधि को भी घटाकर तीन सप्ताह में इसे पूरा करने का अल्टीमेटम दे दिया है , याने हर हाल में जनता के भारी विरोध के बावजूद मार्च माह में सरकार इसे बाजार में लाना चाहती है । ऐसा कर सरकार अपने संसाधन निजी पूंजी को सौप रही है । उन्होंने कहा कि आज “भारतीय जीवन बीमा निगम ” जीवन बीमा का पर्याय हो चुका है । वास्तव में यह एक भारतीय जनमानस के अप्रतिम विश्वास का प्रतीक बन चुका है। बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों और वित्तीय विश्लेषकों का यह स्पष्ट मानना है कि *” भारतीय जीवन बीमा निगम भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इस पर सरकार का ही स्वामित्व रहना चाहिए ।
05 करोड़ की प्रारंभिक पूंजी से स्थापित भारतीय जीवन बीमा निगम कई झंझावतों को सहते हुए सबसे अधिक सफलतम ,गौरवशाली स्वर्णिम इतिहास ही नहीं रचा बल्कि राष्ट्रीयकरण करते वक्त 01 सितंबर 1956 को संसद ने भारत की समृद्धि , मजबूर आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था और प्रगति का जो सपना देखा था,उससे कहीं ज्यादा,उपलब्धियां तथा भारत की शान को बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है।
05 करोड़ की प्रारंभिक पूंजी के एवज में “भारतीय जीवन बीमा निगम” का 31 मार्च 2021 को जारी आंकड़ों के अनुसार 34 लाख 36 हजार छःसौ सत्तासी करोड़(34,36,687 करोड़ रूपए) लाइफ फंड है। 38 लाख चार हजार छः सौ दस करोड़ (38,04,610 करोड़ रूपए)की परिसंपत्तियां हैं।26 लाख छियासी हजार पांच सौ सत्ताइस करोड़(26,86,527 करोड़ रुपए) सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक कल्याण की योजनाओं में निवेश)किया गया। यही नहीं मृत्यु दावा भुगतान 98.26%,तथा परिपक्वता दावा 89.78%है। जो स्वयं में एक रिकार्ड है ।
इसके आई पी ओ का अर्थ इसका निजीकरण करना है और इससे देश की अर्थव्यवस्था कमजोर होगी। आर्थिक रूप से समृद्ध और शक्तिशाली संस्थान के आइपीओ की जरूरत ही क्या है?बिना मांगे जब संस्थान करोड़ों रुपए का लाभांश और सामाजिक कल्याण की योजनाओं तथा विकास के के लिए करोड़ों रुपए दे रही है तब उस संस्थान का आईपीओ जारी करना कौन से अर्थशास्त्र का सिद्धांत है यह समझ से परे है।”
इस कदम से बीमा धारकों के हितों को भी भारी नुकसान होगा उन्हे अब तक दिए जाने वाले बोनस को 95% से घटाकर 90% कर दिया जाएगा और वह हिस्सा शेयरधारकों को दिया जायेगा । भारत सरकार ये सारे कदम इस संस्था के असली मालिक बीमा धारकों को विश्वास में लिए बिना ही उठा रही है जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता । सभी ने बीमा धारकों और आम जनता के साथ इसके खिलाफ अभियान जारी रखने का संकल्प लेते हुए सरकार द्वारा इसके आईपीओ जारी करने पर तुरंत देशव्यापी हड़ताल कर इसका तीव्र प्रतिकार का एलान किया ।
सभा का संचालन संगठन के मंडलीय महासचिव सुरेंद्र शर्मा व अध्यक्षता संगठन के अध्यक्ष अलेकजेंडर तिर्की ने की, सभा में पेंशनर संघ के काम अतुल देशमुख भी एवं बड़ी संख्या में बीमा कर्मचारियों, अधिकारियों, पेंशनर साथियों ने शिरकत की ।