गांजा मामले में अमेज़न अधिकारियों की गिरफ्तारी न होना एनडीपीएस अधिनियम का उल्लंघन है

गांजा मामले में अमेज़न अधिकारियों की गिरफ्तारी न होना एनडीपीएस अधिनियम का उल्लंघन है

November 29, 2021 0 By Central News Service

आर्यन खान मामले की तरह गिरफ्तारियां क्यों नहीं हुई?

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि अमेज़न के ई-पोर्टल के माध्यम से आपूर्ति की गई मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा घोषित किए गए 720 किलोग्राम गांजा की जब्ती के बाद भी, अमेज़न के संबंधित अधिकारियों की आज तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, हालांकि अमेज़न के कार्यकारी निदेशकों के खिलाफ मध्य प्रदेश की भिंड पुलिस ने प्राथमिकी में एनडीपीएस एक्ट की धारा 38 के तहत मामला दर्ज किया गया है जिसके तहत अमेज़न कंपनी पर गांजा की आपूर्ति की अपने पोर्टल पर बिकी की सहूलियत देने के लिए मामला दर्ज किया गया है, यह कहते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि यह मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित एक सनसनीखेज और गंभीर मामले में सरकारी एजेंसियों के उदासीन रवैए को बयान करता है। कैट ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में अधिकारियों द्वारा भेदभावपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाया है। कैट ने केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह और केंद्र सरकार की एजेंसियों से इस मुद्दे को एनडीपीएस की धारा 4 (2) (ए) जो केंद्र सरकार को एक अंतरराज्यीय मामला में हस्तक्षेप करने का अधिकार देता है को इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार को राज्य के विभिन्न अधिकारियों द्वारा कार्रवाई का समन्वय करे और केंद्रीय एजेंसियों को इस मामले की जाँच सौंपे । मध्य प्रदेश पुलिस की सूचना पर आंध्र प्रदेश पुलिस ने विशाखापत्तनम से 48 किलो गांजा और भी जब्त किया है और गांजा बेचने वाले 3 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है।

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने कहा कि एक तरफ एनसीबी ने व्हाट्सएप चैट के आधार पर आर्यन खान को गिरफ्तार करने में समय बर्बाद नहीं किया जबकि दूसरी तरफ एमेजॉन के अधिकारियों का नाम एफआईआर में है तब भी अभी तक अमज़ोन के अधिकारियों को गिरफ़्तार नहीं किया गया ।उन्होंने आगे कहा कि हालांकि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 41 के अनुसार, अधिकारियों को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट प्राप्त करने का अधिकार है और यहां तक ​​कि यदि किसी व्यक्ति के पास अवैध पदार्थ मिलता है या वो इसे बेचते हुए अथवा एक राज्य से दूसरे राज्य में खरीद फरोख्त करते हुए,या इसे गोदाम में रखते हुए, और इसका आयात या निर्यात करते हुए पकड़ा जाता है तो एनडीपीएस अधिनियम की धारा 42 के तहत भी जांच एजेंसी को किसी व्यक्ति को बिना वारंट के भी गिरफ्तार करने का अधिकार है।

पारवानी और दोशी ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से नागरिकों के बीच भेदभावपूर्ण व्यवहार को दर्शाता है। एमेजॉन के अधिकारियों को गिरफ्तार करने के बजाय, एमपी पुलिस ने उन्हें नोटिस देना ज्यादा उचित समझा और अमेज़ॅन के जवाब का इंतजार किया। एनडीपीएस एक्ट के तहत किसी नोटिस का प्रावधान नहीं है। कानून के तहत एक ही क़ानून में दो अलग-अलग तरह का व्यवहार नहीं हो सकता क्योंकि भारत का संविधान समानता के अधिकार की गारंटी देता है।

पारवानी एवं दोशी ने कहा की अमेज़ॅन द्वारा भिंड पुलिस को दिए गए उत्तर के अनुसार यह पता चला है कि छह अन्य कंपनियां विक्रेताओं के रूप में अमजोन के ई पोर्टल पर विक्रेता के रूप में दर्ज है जो स्टीविया सूखी पत्तियों की आड़ में गांजा बेच रही हैं, जिससे इस मामले में अमेज़ॅन की भागीदारी साफ दिखती है। यह ई कॉमर्स के लिए अनिवार्य है की विक्रेताओं की केवाईसी की जाए।इसके अलावा अमेज़न ने मूल्य का 66% कमीशन के रूप में लिया है और इसलिए यह मध्यस्थ का लाभ नहीं उठा सकता है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि उपभोक्ता मंत्रालय के डीपीआईआईटी द्वारा ई-कॉमर्स पोर्टल के लिए मध्यस्थ की स्थिति को पहले ही खारिज कर दिया गया है

पारवानी और दोशी ने कहा कि यह जानकर खुशी हो रही है कि प्रवर्तन निदेशालय लगभग एक साल बाद आखिरकार अब जाग गया है और दिल्ली उच्च न्यायालय के निष्कर्षों के आधार पर अमेज़ॅन को समन जारी किया है। यह एक बड़ा सवाल है कि ईडी कब जागेगा और अपने प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं को देय / नियंत्रित करने के लिए अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट द्वारा लंबे समय से लंबित फेमा उल्लंघन में कार्रवाई करेगा? ईडी को अमेजोन द्वारा अपने ई कॉमर्स पोर्टल पर गांजा की बिक्री करते समय अमेजन द्वारा पीएमएलए के उल्लंघन की भी जांच करनी चाहिए।