मजदूर किसान के साझे संघर्ष को जारी रखने का लिया शपथ

मजदूर किसान के साझे संघर्ष को जारी रखने का लिया शपथ

November 27, 2021 0 By Central News Service

किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने पर मनाया एकजुटता दिवस
किसान आंदोलन को दी बधाई

रायपुर । देश के किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने और मोदी सरकार के तमाम दमन की कोशिशों और 750 से अधिक किसानों की शहादत के बाद भी निरंतर संघर्ष जारी रख एक इतिहास रचने और मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों के हड़ताल के एक साल पूरा होने के उपलक्ष में देश भर में संविधान दिवस पर मजदूर किसान साझी एकता दिवस के तहत रायपुर में भी ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की ओर से अंबेडकर चौक में संयुक्त प्रदर्शन किया गया और किसान आंदोलन को बधाई दी गई । यहां हुई सभा को सीटू नेता धर्मराज महापात्र, एम के नंदी, एस सी भट्टाचार्य, सुरेंद्र शर्मा, अलेकजेंडर तिर्की, चंद्रशेखर तिवारी, अतुल देशमुख, प्रदीप मिश्रा ने संबोधित करते हुए कहा कि किसान आंदोलन के दबाव में अंततः मोदी सरकार को तीनो कृषि कानून को वापस लेने का फैसला लिया । लेकिन किसान आंदोलन ने स्पष्ट किया है कि संसद में जब तक यह वापस नही लिया जायेगा, इसके साथ जुड़े उपज के समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून पारित नहीं होगा और बिजली संशोधन कानून जब तक वापस नही होगा लड़ाई जारी रहेगी । ठीक इसी तरह सरकार ने संसद का दुरुपयोग कर मजदूर विरोधी जो चार श्रम संहिता वापस नही लिया जायेगा और देश के सार्वजनिक क्षेत्र संस्थानों को निजीकरण कर देश के संसाधन को निजी हाथों में नीलाम करने का कदम वापस नही लिया जायेगा लड़ाई जारी रहेगी । *

वक्ताओं ने कहा यह संघर्ष अपने गांव, खेत, जीविका व संस्कृत को देशी व विदेशी कारपोरेट के कब्जे से रक्षा करने के लिए किया। यह एक बड़ा, देशभक्ति का संघर्ष है जिसमें पूरे देश के किसानो और दुनिया भर में प्रगतिशील ताकतों ने इसको मजबूत किया।

इस आंदोलन में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश उत्तराखंड के किसानों ने सभी बाधाओं का मुकाबला करते हुए मोर्चे को स्थापित किया। इसमें शुरू से कोरोना लाकडाउन को तोडते हुए दमन का मुकाबला किया गया।

भाजपा सरकार के दमनकारी फासीवादी राज के विरुद्ध किसानों को खड़ा किया और 27 और 28 जनवरी 2021 को रहा आरएसएस-भाजपा के गुंडों द्वारा किसान आंदोलन पर पुलिस संरक्षण में हमले को विफल किया और उनकी साम्प्रदायिक साजिश को हरा दिया। इस लडाकू एकता किसानों द्वारा संघर्ष से जीत हासिल करने की परंपरा को आगे बढ़ाया।

इस आंदोलन में देशभर के किसान संगठनों और मजदूर की एकता को स्थापित किया है। इस आंदोलन ने कारपोरेट तथा कृषि कंपनी का खेती पर संपूर्ण कब्जा करने के प्रयास को विफल किया है। इस आंदोलन ने बड़ी साम्प्रदायिक एकता स्थापित की है।

आज जब मोदी सरकार ने 3 कानून वापस लेने की घोषणा की है और शेष मांगों को अनसुना सा कर दिया है, हमारे सामने एक बार फिर एक बड़ी राजनीतिक चुनौती आ गई है। हमे जीत के इस माहौल मे अपनी एकता, व्यापक भागीदारी और संघर्ष की गति को कायम रखते हुए, एमएसपी के लिए संघर्ष को जारी रखना और तेज करना है। एमएसपी की मांग में किसानों की आमदनी को सुरक्षित करने की बात है। मोदीजी ने तीन कानून पारित करते समय किसानों की आमदनी दो गुना करने की बात कही थी। इससे पहले चुनाव अभियान में, मोदीजी ने कहा था कि किसानों को उनकी सरकार C-2+50 फीसदी के अनुसार एमएसपी देगी। आज उनका प्रयास है कि वह तीन कानून वापसी की घोषणा कर, किसानों की आमदनी सुरक्षित करने, एमएसपी की मांग पर चुप्पी साधे रहें। दोनों मांगों के बीच मोदी सरकार खाई खेड़ा करना चाहती है। उसकी चाल को हमें समझना भी है और जनता के बीच इसे विफल भी करना है। यह तभी हो सकता है जब किसान मजदूर अपनी एकता को कायम रखते हुए, तीन कान की वापसी की जीत का जश्न मनाएं और संघर्ष के वह कदम पेश करें जिससे देशभर के किसान एमएसपी प्राप्त कर सकें और मोदी सरकार मजदूर किसान विरोधी निजीकरण की नीति को पराजित कर सके ।
प्रदर्शन में लोकतंत्र पर सरकार के हमले का तीव्र प्रतिवाद करते हुए संविधान की प्रस्तावना का पठन किया गया और संविधान और देश की एकता की हिफाजत का शपथ लिया गया ।
इस कार्यक्रम में आर डी आई ई यू, एम पी एम एस आर यू, राज्य केंद्र , बी एस एन एल, एस एफ आई, जनवादी नौजवान सभा, दलित शोषण मुक्ति मंच आदि संगठनों के भी साथी बड़ी संख्या में शामिल रहे ।