हरतालिका तीज : शादीशुदा के साथ कुंवारी भी रखती हैं व्रत, जानिए पूजा की सामग्री, विधि और मान्यताएं …
September 8, 2021रायपुर. हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का बहुत अधिक महत्व होता है. हरतालिका तीज व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए निर्जला और निराहार रखेंगी. वहीं, तीज की तिथि 8 सितम्बर, 2021 को रात्रि 3 बजकर 59 बजे से प्रारम्भ होगी और 9 सितम्बर, 2021 गुरुवार की रात्रि 2 बजकर 14 मिनट तक समाप्त होगी.
हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया को होता है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 8 सितंबर दिन बुधवार को रात्रि 3 बजकर 59 पर लगेगी. जो कि अगले दिन यानी 9 सितंबर गुरुवार की रात्रि 2 बजकर 14 मिनट तक रहेगी. उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी. वहीं, धर्म शास्त्रियों के अनुसार चतुर्थी तिथि से युक्त तृतीया तिथि वैधव्यदोष का नाश करती है और यह पुत्र-पौत्रादि को बढ़ाने वाली होती है. इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती महिला गौरी-शंकर की पूजा करती है.
बता दें कि छत्तीसगढ़ में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. राज्य में इसे तीजा भी कहा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. प्रदेश में महिलाएं व्रत के लिए मायके जाती हैं. हरितालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाना चाहिए, अर्थात पानी भी नहीं पीना चाहिए.
सौभाग्य पर्व ‘हरतालिका तीज’
हरतालिका तीज का व्रत संकल्प शक्ति का प्रतीक है. हरतालिका तीज अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत है. यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है. हरतालिका तीज को हरितालिका तीज और बूढ़ी तीज भी कहा जाता है. इस दिन सास अपनी बहू को सिंधारा देती हैं.
तीज की पूजन सामग्री
गीली काली मिट्टी या बालू.
बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता.
धतूरे का फल और फूल.
अकांव का फूल.
तुलसी, मंजरी, जनैव.
नाडा, वस्त्र, फुलहरा.
श्रीफल, कलश, अबीर
चंदन, कपूर, कुमकुम, दीपक
फल, फूल और पत्ते
मां पार्वती के लिए सुहाग सामग्री
मेहंदी, चूड़ी, बिछिया.
काजल, बिंदी, कुमकुम.
सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पुड़ा
सौभाग्य पर्व ‘हरतालिका तीज’
यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को किया जाता है.
शिव-पार्वती के पूजन का विधान.
व्रत हस्त नक्षत्र में होता है.
लड़कियां और सौभाग्यवती महिलाएं करती हैं व्रत.
विधवाएं भी करती हैं व्रत
हरतालिका तीज पूजन विधि
‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ जपते हुए व्रत का संकल्प लें.
प्रदोष काल में प्रारंभ करें पूजन.
सूर्यास्त से 1 घंटे के पहले का समय होता है प्रदोष काल.
प्रदोषकाल पूजा मुहूर्त – शाम 06.33 मिनट से रात 08.51 मिनट तक.
शाम के समय स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें.
शिव-पार्वती और गणति की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करें.
रेत या काली मिट्टी से बना सकते हैं प्रतिमा.
सुहाग की पिटारी में सुहाग सामग्री सजाकर रखें.
सभी वस्तुएं पार्वती जी को अर्पित करें.
शिव जी को धोती और अंगोछा अर्पित करें.
शिव-पार्वती का पूजन करें.
हरतालिका व्रत की कथा सुनें.
गणेशजी की आरती, फिर शिवजी और माता पार्वती की आरती करें.
भगवान की परिक्रमा करें.
रात्रि जागरण कर सुबह पूजा के बाद मां पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं.
ककड़ी-हलवे का भोग लगाएं.
ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें
सभी सामग्री को पवित्र नदी या कुंड में विसर्जित करें.
सौभाग्य का पर्व ‘हरतालिका तीज’
व्रत करने से लड़कियों को मिलता है मनचाहा वर
सुहागिनों के सौभाग्य में होती है वृद्धि
व्रत करने से सभी पापों से मिलती है मुक्ति
मान्यताएं
विधिपूर्वक व्रत करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
दांपत्य जीवन में रहती है खुशी बरकरार.
मेहंदी लगाना और झूला-झूलना माना जाता है शुभ.
वैवाहिक जीवन से कष्ट दूर होता है.