शिक्षक दिवस पर विशेष – समाज में राम और चंद्रगुप्त का निर्माण करना है, तो शिक्षक को विश्वामित्र और कौटिल्य की भूमिका निभानी होगी…
September 4, 2021महासमुंद 04 सितंबर 2021/आज का यह दिन शिक्षको को समर्पित है , वैसे तो जीवन में हर वो व्यक्ति आपका शिक्षक है जिनसे आप कुछ सीखते है ,कुछ तो अच्छे अनुभव से तो कुछ बुरे अनुभव से कुछ न कुछ सीख दे जाते है वे सब हमारे गुरु है I मानव जीवन में प्रथम शिक्षक माँ होती है ,माँ चाहे तो सँवार दे, माँ चाहे तो बिगाड़ दे । माँ अपने कीमती रत्नों को सौंप देती है एक कच्छी मिट्टी के रूप मे ,जिन्हें हम वास्तव में शिक्षक कहते है । एक व्यक्ति के जीवन में प्राथमिक शिक्षक से लेकर उच्च शिक्षा तक कई शिक्षक होते है जो उस व्यक्ति को प्रभावित करते है पर कुछ शिक्षक ऐसे होते है जिनका व्यक्तित्व हमे जीवनपर्यन्त प्रभावित करता है ,कारण यह है की एक शिक्षक को वास्तविक रूप से शिक्षक बनने के लिए कई प्रकार से त्याग करने होते है। जो समाज को दिखाई नही देता ,एक शिक्षक जो किसी विद्यार्थी का आदर्श होता है ……एक आदर्श बनने के लिए उन्हें अपनी उन कमजोरियों को दूर करना होता है जिन्हें वह अपने विद्यार्थियों से दूर करना चाहता है I उसे पहले स्वयं को साधना होता है जिससे वह एक उदहारण प्रस्तुत कर सके ,केवल ऊपरी ज्ञान देना एक शिक्षक की विशेषता नही है। एक सच्चा शिक्षक अपने विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से ऐसी अनेक शिक्षाएँ दे जाता है जो विद्यार्थियों को हर संकट से उबरने की क्षमता प्रदान करते है और हम किसी विशेष शिक्षक को जीवन पर्यन्त याद रखते हुए यह कहते है- “हमारे अमुख शिक्षक यह कहते थे “ और यही उस शिक्षक की पूंजी होती है।
सार यह है की वास्तव में शिक्षक का उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम को पूरा करवाना नही है ,शिक्षण केवल रोजो -रोटी का जरिया मात्र नही है यह समाज के प्रति एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है । यह न हो की कोई कमाई का जरिया न मिले तो शिक्षक बन जाएं ,शिक्षक बनने के लिए वही जज्बा होनी चाहिए जो सीमा पर खड़े जवान का होती है।जो देश की रक्षा के महत्व की समझता है , दुख की बात है की समाज में सबसे महत्वपूर्ण पद को सस्ता मानकर मात्र एक व्यवसाय मान लिया गया है ,जो एक गंभीर विषय है
फिर भी इतना कहा जा सकता है की वास्तव में शिक्षक को शिक्षक बनने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अनेक त्याग करने होते है। समाज में राम और चंद्रगुप्त का निर्माण करना है तो शिक्षक को विश्वामित्र और कौटिल्य की भूमिका निभानी ही होगी ।
श्रीमती.भूमिका शर्मा,सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र
शास.महा.बागबाहरा