सावन सूखा भादो का एक पखवाड़ा भी सूखा, अकाल की आशंका से किसान चिंतित…भेखलाल साहू जनपद उपाध्यक्ष
September 2, 2021
बागबाहरा 02 सितंबर 2021/ बारिश नहीं होने के कारण खेतों में लगी धान की फसल पीले पडकर सूखने लगी है। अधिकांश गांवों में किसानों का रोपाई व बियासी का काम नहीं हुआ है। मौसम विभाग के पूर्व अनुमान शतप्रतिशत बारिश होने की भविष्य- वाणी,से सभी किसानों के मन में प्रसन्नता थी और खेती मे बढचढकर खर्च कर दिये परंतु आसाढ से लेकर अभी तक किसानों को अच्छी बारिश का इंतजार था लेकिन मौसम के दगा दे जाने से सभी किसानों के चेहरों से हवाईयां उड़ गई है माथे पर सूखे अकाल की काली छाया स्पष्ट नजर आने लगा है,किसानों को भविष्य की चिन्ता सताने लगा है।
खल्लारी क्षेत्र में बारिश नहीं होने से किसान चिंतित होने लगे हैं बारिश नहीं होने के कारण जमीन फटते जा रही है खेतों में लगी धान की फसल मूर्झा कर सूखने लगी है।सैकड़ों गांव में किसानों का रोपाई व बियासी का काम नहीं हो पाया है।सभी को अच्छी बारिश का इंतजार है।क्षेत्र के अधिकांश गांवों में सूखे की स्थिति है किसानो के पास अपनी फसल बचाने के लिए कोई जरिया भी नहीं हैं। जिन गांवों में नदी नाला है वहाँ के किसान मोटर पंप के माध्यम से पानी खेतों में सिंचाई कर धान के पौधों को जींदा रख रहे है यदि देर से भी बारिश होती है तो थोडा बहुत उत्पादन प्राप्त कर सकते है?किसानों का कहना है कि यदि सप्ताह भर में अच्छी तेज बारिश हो जायेगी तो कम से कम 25 से 30 प्रतिशत तक फसल हो जाने का भरोसा है।किसान कहते है कि किसान भरोसा मे जीता है और भरोसा मे ही मरता आया है चाहे वह भरोसा सरकार का हो या मानसून का!
खल्लारी विधानसभा क्षेत्र का दूर्भाग्य है यहां ऐसा कोई नेता पैदा नहीं हुआ जो सिंचाई परियोजना पर भागीरथ प्रयास कर सके यहां से जीत कर सदन तक पहुंचे नेताओं का नेतृत्विहनता सबसे बडे पीडा दायक रहा है?इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को सिंचाई के लिए कभी लडते नहीं देखा गया है सिर्फ जनता के सामने ही हरितक्रांति की लंबी लंबी भाषण देने तक ही सीमित है।यहां के नेताओं की नेतृत्विहीन का सबूत यहां पूर्व में बनाए गये सिंचाई संसाधनों जो दसकों से अधूरा पडा है उसका निराकरण नहीं करा पा रहे है तो नया संसाधन की कल्पना इन नेताओं से करना बेईमानी होगा!
महासमुंद लोकसभा क्षेत्र का खल्लारी विधानसभा हर मामलो मे पिछडा है खासकर सिंचाई साधन अधिकांश गांव असिंचित होने के कारण प्रतिवर्ष फसल खराब होती है।आसमानी बारिश के नहीं होने से हमेशा चिंता की लकीरें गहरी होती रही हैं।इसवर्ष मौसम की बेरुखी ने किसानों को सूखे व अकाल की कगार पर ला खड़ा कर दिया है।सन दो हजार से भी बडी अकाल पडने का भय व्याप्त है हालात यह हैं कि जो बाहरा जमीन है उसी में का फसल बची हैं,दादर जमीन की धान फसल नष्ट हो चुका है समय पर बारिश के नहीं होने से उक्त जमीन के धान पौधा का ग्रोथ नही हो पाया मुसलाधार बारिश होने के बावजूद भी दादर जमीन मे उत्पादन होना संभव नहीं है।बाहरा जमीन की फसल बचाने के लिए किसान भरपूर मेहनत कर रहे हैं।आसाढ महीने से बारिश का खण्ड वृष्टि होना ही घातक साबित हुआ है सावन और अब भादो महीने मे भी मानसून रूठा हुआ है, जिसके कारण किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
वहीं दूसरी ओर किसानों पर बिजली का झटका भी जोर से लग रहा है
एक तो बिजली कटौती,ऊपर से वोल्टेज की कमी से भी किसान परेशान हैं,बिजली की कमी से सिंचाई भी बाधित हो रही है।बिजली की सप्लाई बराबर नहीं मिलने से भी किसानों की कमर तोड़ने में कोई कसर नहीं छोडी है।स्वंय के साधन वाले किसानों के हालात भी गंभीर हैं साधन सम्पन्न किसानों को बिजली विभाग खून के आंसू बहाने विवश क्या है।खल्लारी विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ बारिश के पानी से ही किसानों का फसले संभव हैं। 15 जून की शुरुआत में बुआई तो किसानों ने कर दी,लेकिन बोआई वाले धान को बियासी करने के लिए अच्छी बारिश की जरुरत होती है परंतु समय में बारिश का नहीं होना ही अकाल का संकेत दे गया
सिंचित क्षेत्र वाले गांवों में भी सिंचाई के अभाव में अब तक के हालात ठीक नहीं है चूंकि जलाशय बांध में पानी भराव नहीं हो पाया है। किसानों की खड़ी फसलें सिंचाई की कमी से नष्ट हो रही है।
वहीं दूसरी ओर सूखा अकाल से व्यापारियों में भी चिंता छाई हुई है।
बाजार में वीरानी छाई है।छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीजा पर्व नुवाखाई जैसे त्योहार में खरीदारी करने ग्राहकों की भीड़ उमड पडती थी परंतु अकाल के कारण बाजार मे चहल पहल बिल्कुल नहीं है जिसके चलते व्यापारी भी हैरान है।व्यापारियों का कहना है सूखा अकाल के चलते किसानों मे त्योहार के प्रति बिल्कुल भी उत्साह नहीं है जमा पूंजी खेतों मे खर्च कर चुके है उनके हांथ खाली है अच्छी बारिश होने से बाजार मे स्वतः रौनक रहती है अकाल के चलते साहूकार एंव व्यापारी भी उधार देने से हांथ खींच लिए है इस कारण बाजार वीरान पड़े हैं।
भीषण सूखे अकाल से किसान आर्थिक रुप से पूरी तरह टूट जाएगा।इस आपदा से किसानों के बिगड़ते हालातों को देखते हुये केन्द्र और राज्य सरकार दोनो मिलकर किसानों को इस भयवाह स्थिति से निपटने के लिए प्रति एकड कृषि लागत के आधार पर मुआवजा दें तथा कृषि कर्ज पर ब्याज को माफ करें।