किसानों के समर्थन में आज सामूहिक उपवास* समाज के प्रमुख शामिल
December 23, 2020*
किसान कानूनों विरोधी तीन कृषि कानूनों व बिजली विधेयक 2020 को वापस लेने की मांग को लेकर देश के 500 से अधिक किसान संगठनों के संयुक्त संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 23 दिसम्बर को किसान दिवस के मौके पर देश के आम जनता से एक समय का भोजन त्याग कर उपवास करने के आव्हान का समर्थन करते हुए देश के अन्नदाता के साथ एकजुटता के लिए 23 दिसम्बर को वाम दल, ट्रेड यूनियन संगठन, छात्र, युवा, महिला, पत्रकार, रंगकर्म, लेखक, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता , दलित शोषण मुक्ति मंच व विभिन्न जनसंगठनों के कार्यकर्ता आज सुबह 11 बजे से आंबेडकर प्रतिमा के समक्ष सामूहिक उपवास किया।
सीटू के राज्य सचिव धर्मराज महापात्र ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह शर्मनाक है कि आजाद भारत के इतिहास में पहली बार अपनी खेती बचाने के लिए पिछले 28 दिनों से देश की राजधानी की सीमाओं पर तमाम प्रतिकूल परिस्थिति के बाद भी अपनी आवाज लेकर संघर्ष के मैदान में डटे देश के किसानों की आवाज सुनने की बजाय कार्पोरेट परस्त मोदी सरकार देश के कार्पोरेट के आगे नतमस्तक होकर उसे अनसुना कर रही है । उन्होंने कहा कि सरकार यह दावा कर रही है कि यह कानून किसान को आज़ाद करने बनाया गया, जिसे आज़ाद करने की वह बात कर रही है वहीं किसान यह आज़ादी नहीं मांग रहा है तो उस पर यह तथाकथित आज़ादी थोप क्यों दी जा रही है । उन्होंने कहा कि यही इस कानून के आज़ादी के नाम पर किसानो को गुलाम बनाने की उनकी मंशा का सबसे बड़ा प्रमाण है । देश के हर हिस्से से उठती इस आवाज को अनसुना कर सरकार किसानो की बलि चढ़ा रही है । अब तक 40 लोगों की शहादत के बाद भी सरकार की भूख नहीं मिट रही है यह शर्मनाक है । उसे किसी सूरत में मंजूर नहीं किया जा सकता है । इसलिए देश के हर हिस्से के नागरिक इस आन्दोलन के साथ एकजुट हुए है । आज छत्तीसगढ़ में भी बड़े पैमाने पर किसानों के साथ एकता व्यक्त करने लोग उपवास किया।