धर्म संस्कृति का आधार और संस्कृति धर्म की संवाहिका – सुरेन्द्र कृष्णमहादेवघाट में संत समागम- गोस्वामी भगवद्गाचार्य सम्मेलन

धर्म संस्कृति का आधार और संस्कृति धर्म की संवाहिका – सुरेन्द्र कृष्णमहादेवघाट में संत समागम- गोस्वामी भगवद्गाचार्य सम्मेलन

May 20, 2024 0 By Central News Service

“राष्ट्र की पहचान सदा से धर्म एवं संस्कृति ही रही है। ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। जहां धर्म, संस्कृति का आधार है, वहीं संस्कृति धर्म की संवाहिका है। दोनों ही अपने-अपने परिप्रेक्ष्य में समाज और राष्ट्र के निर्माण में सहायक है।” उक्त उद्गार थे छत्तीसगढ़ सनातन दशनाम गोस्वामी समाज द्वारा महादेव घाट में आयोजित भगवद्गाचार्य सम्मेलन में भाटापारा से पधारे आचार्य सुरेन्द्र कृष्ण महाराज के। उन्होंने कहा कि “जहां धर्म सामाजिक परिवेश का आधार बनता है, वहीं संस्कृति सामाजिक मूल्यों का निर्माण करती है। धर्म मानव के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करता है तो संस्कृति मानवीय संवेदनाओं को सामाजिक सरोकार से जोड़ती है। इस तरह धर्म कालांतर में संस्कृति का रक्षण करता है और संस्कृति धर्म के आधार का उन्नयन करती है। धर्म के बिना सुसंस्कृत एवं सभ्य समाज व राष्ट्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती। धर्म है तभी समाज है, राष्ट्र है।”
धर्म, संस्कृति, समाज और राष्ट्रहित के चार पुरुषार्थों को लेकर आयोजित भगवद्गाचार्य सम्मेलन में प्रदेश के 17 भगवद्गाचार्यों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिषविद् पं. तरुण प्रपन्नाचार्य पुरी अरंड महासमुन्द ने कहा “प्राचीन समय में हमारे वैचारिक दृष्टिकोण का ताना-बाना हमारी संस्कृति पर ही आधारित था। जहां धर्म हमारे सर्वस्व का प्रतीक रहा है तो वहीं संस्कृति हमारी स्वाभाविक जीवनशैली की वाहिका रही है। दोनों ने ही भारतीय मूल्यों को जीवंत रखा है। परन्तु कालान्तर में धर्म की व्याख्या संकुचित अर्थों में होने लगा जिससे समाज और राष्ट्र में विकृति आने लगी। धर्म मात्र प्रतीक न होकर समग्र चेतना का स्तंभ है, जीवन के उद्देश्यों का आधार है।”
पामगढ़ जांजगीर से पधारे मानस मर्मज्ञ आचार्य दिनेश भारती ने कहा ” श्रीराम के जीवन में कोई चमत्कार नहीं था। उन्होंने वही किया जो एक मनुष्य कर सकता था और ये सब उन्होंने धर्म के बल पर किया। धर्म के दम पर ही वे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बनें।”
इस अवसर पर साराडीह महासमुन्द से पधारे भगवद्गाचार्य संतोष गोस्वामी ने कहा “धर्म एवं संस्कृति के विभिन्न आयामों को आधुनिक परिवेश में पुनः पारिभाषित करने की आवश्यकता है। धर्म और संस्कृति के बल पर ही विश्व क्षितिज पर भारत विश्वगुरू का दर्जा प्राप्त कर सकेगा।” नगर पंचायत पलारी की बाल विदुषी सुश्री कीर्ति किशोरी ने ने कहा ” भारत एक ऐसा देश है जहां नारियों की पूजा दुर्गा, लक्ष्मी आदि रूपों मैं की जाती है बालिकाओं को बाल्य काल से ही और शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी देना आवश्यक है। नारी पढ़ेगी, संस्कारित होगी तभी समाज और देश में नये कीर्तिमान स्थापित करेगी। आज नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कार्य कर रही है।”
कार्यक्रम का प्रारंभ जगद्गुरु शंकराचार्य के पूजन, मांगलिक स्वस्तिवाचन के साथ हुआ। प्रांताध्यक्ष अशोक गिरि व महासचिव भूपेन्द्र पुरी द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए भगवद्गाचार्यो का सम्मान किया गया।
इस अवसर पर समाज के संरक्षक उमेश भारती गोस्वामी ने कहा कि “भारत का इतिहास संघर्षों का इतिहास है। शक, हुण, ग्रीक, म्लेच्छ, मुगल, अंग्रेज जैसे आताताइयों को हटाकर विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त, अशोक जैसे वीर सपूतों ने भरत भूमि का मान बढाकर धर्म का ध्वजा फहराया और भारत की सनातन संस्कृति को मिटने नहीं दिया।”
विष्णु गिरी, घनश्याम गिरि, पोखराज बनवा जिलाध्यक्ष बद्रीपुरी के संयोजन व केशव गिरि के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यक्रम का संचालन दत्त प्रकाश पत्रिका के संपादक वीरेंद्र रमन गिरि तथा आभार प्रदर्शन जिला सचिव धर्मेन्द्र प्रकाश गिरि ने किया।
संत समागम भगवद्गाचार्य सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से 17 भगवद्गाचार्य एवं बड़ी संख्या में गोस्वामी जन उपस्थित रहे।
उक्ताशय की जानकारी प्रांतीय प्रचार सचिव कामेश्वर पुरी ने दी।