मीसाबंदी पेंशन के नाम पर भाजपा और संघ के लोगों को लाभ पहुंचाने की योजना – विनोद चंद्राकर

मीसाबंदी पेंशन के नाम पर भाजपा और संघ के लोगों को लाभ पहुंचाने की योजना – विनोद चंद्राकर

March 1, 2024 0 By Central News Service

संपादक मनोज गोस्वामी

आजादी की लड़ाई से लेकर देश के नवनिर्माण में संघीयों की भूमिका नकारात्मक

महासमुंद 01 मार्च 2024/ पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने मीसाबंदी पेंशन योजना पर सवाल उठाते हुए इसे छत्तीसगढ़ के खजाने की लूट बताया है। उन्होंने कहा कि मीसा बंदी पेंशन योजना यानी भाजपा और आरएसएस के लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाने की योजना है। ये छत्तीसगढ़ के खजाने की सरकार के संरक्षण में होने वाली संगठित लूट है।

भाजपा के 15 साल के शासन काल के दौरान भी मीसा बंदियों को पेंशन देने के नाम से आरएसएस और भाजपा के लोगों को करोड़ों रुपए का आर्थिक लाभ दिया गया था। तब प्रदेश के किसान, मजदूर, युवा भूखे रहे एवं भाजपा और संघ के जुड़े लोग मलाई खाते रहे। 

चंद्राकर ने कहा कि रमन सरकार के दौरान से चल रही मीसाबंदी पेंशन के नाम से छत्तीसगढ़ के खजाने में चल रही लूटपाट को कांग्रेस की सरकार ने रोका था और मीसा बंदी पेंशन में होने वाले फिजूल खर्च को रोककर जनहित में खर्च किया गया था। उन्होंने कहा कि साय सरकार बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता नहीं दे रही है। गोबर खरीदी को बंद कर दी गई है, किसान न्याय योजना, कृषि मजदूर न्याय योजना के हितग्राहियों को बकाया किस्त का भुगतान नहीं कर रही है, लेकिन आरएसएस और भाजपा के प्रचारकों को लाभ पहुंचाने के लिए मीसाबंदी पेंशन को फिर शुरू कर रही है, और छत्तीसगढ़ के खजाने को आर्थिक चपत लगाया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ के किसान, मजदूर, युवा और महिलाओं के हक और अधिकारों पर डकैती डालकर प्रदेश के खजाने का पैसा संघी भाजपाईयों पर लूटा रहे हैं। मीसाबंदी पेंशन को बंद किया जाना चाहिए यह राज्य के लिए आर्थिक क्षति है।

 पूर्व संसदीय सचिव ने कहा कि आजादी की लड़ाई से लेकर देश के नवनिर्माण में संघियों की भूमिका नकारात्मक ही रही है। भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर आजाद हिंद फौज तक का विरोध तत्कालीन संघियों ने किया था। वर्तमान में भी मणिपुर, गोवा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश महाराष्ट्र और हाल ही में हिमांचल में लोकतंत्र का गला घोटने का कुत्सित प्रयास करने वाले भाजपाइयों द्वारा लोकतंत्र सेनानी होने का दावा करना हास्यास्पद है। लोकतंत्र सेनानी का दावा करने वाले संघी मणिपुर और डोकलाम मामले में चुप क्यों हैं?