अपनी संस्कृति और सभ्यता के साथ जुड़कर विकास के साथ आत्मनिर्भर होना नई शिक्षा नीति का आधार_: डॉ. संजीव पराशर

अपनी संस्कृति और सभ्यता के साथ जुड़कर विकास के साथ आत्मनिर्भर होना नई शिक्षा नीति का आधार_: डॉ. संजीव पराशर

June 15, 2023 0 By Central News Service

महंत एवं विप्र कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में नई शिक्षा नीति के परिपेक्ष में शिक्षण कला पर कार्यशाला प्रारंभ

रायपुर .15 जून . महंत लक्ष्मीनारायण दास महाविद्यालय एवं विप्र कला ,वाणिज्य एवं शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में नई शिक्षा नीति के परिपेक्ष में शिक्षण कला विषय पर 15 जून से 24 जून तक आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन समारोह मुख्य अतिथि डॉ. संजीव पराशर (प्राध्यापक भारतीय प्रबंध संस्थान रायपुर), कार्यक्रम अध्यक्ष प्रमोद दुबे (सभापति नगर पालिक निगम रायपुर )विशिष्ट अतिथि अजय तिवारी (अध्यक्ष शिक्षा प्रचारक समिति ),अनिल तिवारी (सचिव शिक्षा प्रचारक समिति) के गरिमामय उपस्थिति में संपन्न हुआ।

इस अवसर पर गुरुकुल महिला महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संध्या गुप्ता एवं अग्रसेन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. यू .एन. राजपूत विशेष रूप से उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने उद्बोधन में प्रमोद दुबे ने कहा कि अपने देश के साथ विदेश में भी अपने बौद्धिक क्षमता का परचम लहराने वाले डॉ. संजीव पराशर जैसे विषय विशेषज्ञों के माध्यम से निश्चित ही यह कार्यशाला सफल रहेगा और प्राध्यापक इसका लाभ उठाकर अपने शिक्षण कला को उन्नत करने के साथ विद्यार्थियों को निश्चित तौर पर नई शिक्षा नीति के अंतर्गत आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करने योग्य बनाएंगे।

अजय तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत प्राध्यापकों के शिक्षण कला में विकास के हर प्रयास को प्रबंध समिति पूरा सहयोग प्रदान करेगा ताकि छत्तीसगढ़ के साथ पूरे देश में रायपुर एजुकेशन हब के रूप में विकसित हो सके।

विप्र कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मेघेश तिवारी ने कहा कि रायपुर शहर के निजी महाविद्यालयों द्वारा मिलकर संयुक्त आयोजन के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में विकास के नए अवसरों को खोजना एवं अपने प्राध्यापकों को अपडेट कर नई शिक्षा नीति के अनुसार विकसित करना हमारा उद्देश्य है। महेंद्र कॉलेज के प्रचार डॉ देवाशीष मुखर्जी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि डॉ. संजीव पराशर जैसे विषय विशेषज्ञों के माध्यम से यह कार्यशाला निश्चित रूप से अपने उद्देश्य को प्राप्त करेगा और आने वाले सत्र में इसका लाभ निश्चित ही विद्यार्थियों को प्राप्त होगा । इसके बाद कार्यशाला के प्रथम दिवस विषय विशेषज्ञ डॉ. संजीव पराशर ने नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य भारतीय युवाओं को अपनी सभ्यता और संस्कृति के अनुरूप आत्मनिर्भर बनाना है ।इस शिक्षा की शुरुआत घर में मां के द्वारा होती है।

एक व्यक्ति के व्यवहार और उसके आचरण से आप पहचान सकते हैं कि उसकी मां ने उसका लालन पोषण किस प्रकार किया है। जापान और इजराइल जैसे देश से हम सीख सकते हैं कि देश में संसाधनों की कमी के बाद भी किस प्रकार आत्मनिर्भर बना जा सकता है। इन देशों की तुलना में हमारे देश या छत्तीसगढ़ राज्य में ही संसाधन की कमी नहीं है, पर ईमानदारी के साथ मेहनत करना और आत्मनिर्भर बनना यह गुण हमें सीखने की आवश्यकता है ।उन्होंने वेद, गीता और महाभारत कथा के उदाहरणों से समझाया कि अपने बच्चों को अपने ऐतिहासिक कहानियों के माध्यम से शिक्षित करते हुए आदर्श नागरिक बनने की शिक्षा दी जा सकती है। उनका कहना था किशिक्षकों में हैरी और संयम के साथ व्यक्तित्व विकास की भी बातें अपने विद्यार्थियों को शिक्षित करनी चाहिए तभी शिक्षक अपने वास्तविक गुण के साथ शैक्षणिक स्किल से जोड़ते हुए विद्यार्थी को व्यक्तित्व वान बनाने में सहायक होगा इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन महंत लक्ष्मण दास महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक प्रीतम दास द्वारा किया गया वहीं आयोजन के दौरान सहायक प्राध्यापक डॉ श्रुति तिवारी एवं डॉ मेघा सिंह ने क्रमशः संचालन में भूमिका निभाई साथ चलने वाली कार्यशाला में आने वाले दिनों में नई शिक्षा नीति के कई विभिन्न पक्षों में बारीकियों से बातचीत रखी जाएगी फैकल्टी डेवलपमेंट के बाद ऐसा पहला कार्यक्रम है जो शिक्षकों को नई शिक्षा नीति से जोड़ने की बात करता है