कैट के भारत व्यापार बंद के दौरान आज प्रदेशभर में बंद रहे बाजार 6 लाख से अधिक व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रख दिया व्यापारी एकता का परिचय

कैट के भारत व्यापार बंद के दौरान आज प्रदेशभर में बंद रहे बाजार 6 लाख से अधिक व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रख दिया व्यापारी एकता का परिचय

February 26, 2021 0 By Central News Service

रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चैबे ने बताया कि कैट द्वारा बुलाए गए भारत बंद को प्रदेशभर के व्यापारिक संगठनों का बहुमूल्य समर्थन प्राप्त हुआ। प्रदेशभर के व्यापारी संगठनों से जुड़े 6 लाख से अधिक व्यापारियों ने आज अपना व्यापार बंद कर व्यापारी एकता का परिचय देते हुए केंद्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाई। कैट द्वारा जीएसटी के नियमों में किये गये जटिल प्रावधानों के सरलीकरण एवं गैरकानूनी संशोधनों के खिलाफ व्यापारियों की आवाज बुलंद करने के लिया बंद का आव्हान किया गया था। साथ ही साथ बड़ी विदेशी ई कॉमर्स कम्पनियो द्वारा लगातार सरकार द्वारा बनाए गए कानून और नीतियों के उल्लंघन पर लगाम कसने हेतु एफडीआई पालिसी के तहत प्रेस नोट 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट जारी करने की मांग को लेकर भी व्यापार बंद किया गया था। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की बार-बार चेतावनी के बाद भी ये कंपनियां लगातार नीति का उल्लंघन कर यह बताने की कोशिश कर रही हैं की भारत के कानून और नीति कमजोर हैं। मालूम हो कि आज के भारत व्यापार बंद से देश में 1 लाख करोड़ रुपए के व्यापार का नुकसान हुआ है।

जीएसटी प्रावधानों में किये गये जटिल संशोधनों एवं विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा किये गये नियमों के उल्लंघन के विरोध में आज कैट द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान प्रदेश के बाजारों में वीरानी छाई रही। सभी व्यापारिक संगठनों ने आज इस देशव्यापी बंद में शामिल होकर केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और जीएसटी कॉउन्सिल को मजबूत सन्देश दिया की जीएसटी कर का उपनिवेशीकरण करने से व्यापार और अर्थव्यवस्था में व्यवधान पैदा होगा। आज प्रदेश में व्यापारी से व्यापारी (बी टू बी) और व्यापारी से उपभोक्ता (बी 2 सी) का व्यापार पूरी तरह से बंद रहा। कैट ने बंद में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, केमिस्ट शॉप ,दूध और डेयरी उत्पादों की आपूर्ति करने वाले जनरल स्टोर को व्यापार बंद के दायरे से बाहर रखा।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी ने भारत व्यापार बंद को सफल बताते हुए कहा कि अधिकारियों को दी गई मनमानी और अनैतिक शक्तियां एक बार फिर से देश में इंस्पेक्टर राज लाएगी और इसका उपयोग कर अपराधियों पर करने की बजाय ईमानदार और कर पालन करने वाले व्यापारियों के उत्पीड़न के लिया किया जाएगा क्योंकि व्यापारियों का पूर्व का अनुभव यही है। कैट ने मांग की है कि कानून या नियमों में कोई संशोधन लाने से पहले जीएसटी नियमों के विवादास्पद प्रावधानों को स्थगित किया जाए और व्यापारियों को विश्वास में लेकर ही नियमों एवं कानून में बदलाव किया जाए। उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत वर्तमान कर आधार और इस कर आधार से अर्जित राजस्व बहुत कम है और इसे दोगुना किया जा सकता है लेकिन इसके लिए जीएसटी कर प्रणाली को सरलीकृत और तर्कसंगत बनाया जाना जरूरी है। श्री पारवानी ने कहा कि एक सामंजस्यपूर्ण साझेदारी के लिए व्यापारी सरकार का सहयोग करने के लिए तैयार है। इसमें हमारा यह स्पष्ट मत है की कर अपराधियों और कर वंचना करने वाले लोगों को अनुकरणीय सजा दी जानी चाहिए क्योंकि वे ईमानदार और कर पालन करने वाले व्यापारियों के लिए बहुत अनुचित प्रतिस्पर्धा लाते हैं लेकिन श्त्रुटिश् और श्चोरीश् के बीच के अंतर को स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए।

जीएसटी कानून और नियमों की जटिलता को रेखांकित करते हुए विक्रम सिंहदेव ने कहा कि 1 जुलाई 2017 को जीएसटी की घोषणा की गई थी जो वर्तमान में वास्तविक रूप से एक सरल कर था, लेकिन पिछले चार वर्षों में 1000 से अधिक संशोधनों के साथ जीएसटी को बेहद जटिल कानून बना दिया गया है। एक सामान्य व्यापारी की समझ से परे एक जटिल प्रणाली प्रणाली बन गई है। श्री सिंहदेव ने इस कानून को चुनौती देते हुए कहा की हम किसी भी सार्वजनिक मंच पर किसी भी कर विशेषज्ञ की मदद के बिना जीएसटी रिटर्न फॉर्म भरने के लिए किसी भी राज्य के वित्त मंत्री को चुनौती देते हैं? – क्या वो रिटर्न फार्म भर पाएंगे ? जीएसटी कॉउंसिल तो इतनी बड़ी संख्या में जीएसटी कानून और नियमों को संशोधित कर सकती है लेकिन व्यापारियों को कम से कम एक बार भी अपने जीएसटी रिटर्न को संशोधित करने की अनुमति नहीं है। जीएसटी को अच्छा और सरल कर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आवाह्न ष् गुड एंड सिंपल टैक्स ष् को जीएसटी कॉउंसिल ने पलीता लगा दिया है। श्री सिंहदेव ने कहा कि मजबूरी से कर पालन व्यवसाय के विकास के लिए एक कृत्रिम बाधा है। कानून और नियम समावेशी होने चाहिए और स्वैच्छिक पालन के लिए एक प्रेरणा होनी चाहिए। कानून और नियम 5 प्रतिशत लोगों के लिए बने हैं जो किसी भी व्यवस्था में आदतन अपराधी हैं लेकिन कानून या नियमों का उपयोग 95 प्रतिशत अन्य लोगों के खिलाफ किया जाता है जो कानून का पालन कर रहे हैं। यह मानसिकता अच्छी नहीं है।
श्री सिंहदेव ने कहा कि अगर इन संशोधनों को लागू किया जाता है तो इसकी प्रबल संभावना है की व्यापार से प्राप्त राजस्व में कमी होगी क्योंकि अनजानी त्रुटि को ठीक करने का कोई प्रावधान नहीं है और विभाग को अधिकार है की वो जीएसटी पंजीकरण नंबर को निलंबित कर सकते हैं। यह एक खुला तथ्य है कि सरकार के अधीन सरकारी विभाग और सार्वजनिक उपक्रम समय पर व्यापारियों को भुगतान नहीं करते फिर वे व्यापारियों से समय पर करों का भुगतान करने की अपेक्षा कैसे करते हैं। हम केंद्र और राज्य सरकार दोनों से आग्रह करते हैं कि दोनों सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के तहत विभागों द्वारा किए गए भुगतान का एक चार्ट तैयार करें, वास्तविक तस्वीर सामने आएगी। इसके अलावा, जब लेट फीस और ब्याज का प्रावधान है तो व्यापारियों का जीएसटी नंबर निलंबित या रद्द क्यों किया जाए। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि सरकार देर से रिटर्न जमा कराने पर 18 प्रतिशत ब्याज एकत्र कर रही है लेकिन बैंक लोगों की बचत पर लगभग 8 प्रतिशत लोगों को ब्याज दे रहे हैं। एक और सवाल यह है कि व्यापारी एक छोटी सी चूक के लिए भी जवाबदेह हैं लेकिन कर अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं है। इस विवेकाधीन शक्ति ने व्यापारियों को खूंखार आतंकवादी अजमल कसाब से भी गया बीता करार दिया है क्योंकि कसाब को अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका भी दिया गया था और सुप्रीम कोर्ट को उन्हें सुनने के लिए सुबह 2.00 बजे खोला गया था, जबकि जीएसटी में कर अधिकारी नोटिस देने के लिए बाध्य नहीं हैं अथवा सुनवाई का कोई मौका ही देंगे।
कैट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और जीएसटी कॉउंसिल से मांग की है कि विवादास्पद संशोधनों को स्थगित रखा जाए और किसी भी संशोधन को लाने से पहले व्यापारी संगठनों को विश्वास में लिया जाए। इसके अलावा जीएसटी के प्रभावी कार्यान्वयन और एक अनुकूल व्यापार का वातावरण प्रदान करने के लिए सरकार को एक जीएसटी समिति का गठन करना चाहिए जिसमें केंद्रीय स्तर और राज्य स्तर पर अधिकारी और व्यापार प्रतिनिधि शामिल हों और देश में प्रत्येक जिले में एक जीएसटी समिति हो।