दिमागी बुखार से बचाने को बच्चों को लगाए गए टीके 622 छूटे हुए बच्चों को लगा जेई का टीका
July 13, 2022जगदलपुर 13 जुलाई। बरसात के दिनों में मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां तेज़ी से फैलती हैं। इनमें डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया प्रमुख हैं। जबकि इस मौसम में जापानी बुखार भी दस्तक देता है। जापानी बुखार फ्लेविवायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। यह एक संक्रमण बुखार है, जिसमें मरीज को तेज बुखार आता है। आमतौर पर जापानी बुखार ग्रामीण इलाकों, कृषि क्षेत्रों में अधिक होता है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बस्तर जिले में समस्त ब्लॉक के 622 छूटे हुए बच्चों को जेई का टीका लगाया गया है।
इस सम्बंध में सीएमएचओ डॉ.आर.के चतुर्वेदी ने बताया: ” इन्सेफेलाइटिस को जापानी बुखार के नाम से भी जाना जाता है, यह एक प्रकार का दिमागी बुखार है जो वायरल संक्रमण के कारण होता है यह संक्रमण ज्यादा गंदगी वाली जगह पर पनपता है साथ ही क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। जापानी इन्सेफेलाइटिस में बुखार होने पर बच्चे की सोचने, समझने, और सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। तेज बुखार के साथ बार- बार उल्टी होती है। प्रायः यह वायरस 1 से 15 साल की उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है।”
आगे जानकारी देते हुए उन्होंने बताया : “इस बीमारी के मरीज़ों में दिमाग में सूजन पैदा होने से ऑक्सिजन की बहुत जरूरत होती है और ब्लड शुगर लो हो जाता है। शरीर में पानी और सोडियम की भी कमी हो जाती है। बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश भी हो सकते हैं तथा उनका तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर सकता है। बुखार के साथ ही घबराहट भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी हो सकती है। इसलिये पीड़ित बच्चों का सही वक्त पर इलाज जरूरी है। बस्तर जिले में समय- समय पर इस रोग से बचाव के लिये जेई के टीके दिए जीते रहे हैं। बीते दिनों स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर जेई टीके से वंचित समस्त बच्चों का टीकाकरण किया गया है। इस टीकाकरण अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों को मस्तिष्क ज्वर से सुरक्षित करना है ।”
जापानी बुखार के लक्षण
▪ तेज बुखार आता है।
▪ गर्दन में अकड़न होती है।
▪ सिरदर्द होता है।
▪ बुखार आने पर घबराहट होती है।
▪ ठंड के साथ-साथ कंपकंपी आती है।
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