छत्तीसगढ़ योग शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने की संसदीय सचिव से मुलाकात 11 सूत्रीय मांगों को लेकर संसदीय सचिव को सौंपा ज्ञापन
June 9, 2022
महासमुंद 09 जुन 2022/ छत्तीसगढ़ योग शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने संसदीय सचिव व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर से मुलाकात अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। जिस पर संसदीय सचिव श्री चंद्राकर ने उनकी मांगों की ओर शासन का ध्यानाकर्षित कराने का आश्वासन दिया।
आज गुरूवार को छत्तीसगढ़ योग शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल चंद्राकर, अर्जुन धनंजय सिन्हा, शंकरलाल यदु, संतराम कंवर, यशवंत यादव आदि ने संसदीय सचिव निवास पहुंचकर संसदीय सचिव व विधायक चंद्राकर जी से मुलाकात की। इस दौरान पदाधिकारियों ने संसदीय सचिव चंद्राकर को बताया कि योग विषय की व्यापकता को दृष्टिगत रखते हुए वर्तमान में केंद्र और राजय शासन द्वारा संचालित विभिन्न विभागों के पाठ्यक्रमों शिक्षाशास्त्र, शारीरिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा आदि में योग शामिल हैं। छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद के माध्यम से कक्षा पहली से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को योग शिक्षा की पुस्तक का वितरण किया जाता है।
जिसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को योग के माध्यम से उत्तम स्वास्थ्य के साथ-साथ मन, बुद्धि का समेकित विकास स्कूली पढ़ाई के दौरान हो सके। लेकिन नियमित योग शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से योग शिक्षा केवल औपचारिकता तक सिमट कर रह गई है। छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर डिग्री व एम फिल-पीएचडी की उपाधि प्रदान की जा रही है। राज्य के महाविद्यालयों में योग स्नातकोत्तर डिग्री व डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित हैं। जहां से प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में योग विषय में उपाधि प्राप्त कर योग योग्यताधारी शासकीय सेवा के अभाव में बेरोजगार भटक रहे हैं।
उन्होंने नई शिक्षा नीति में योग विषय को शारीरिक शिक्षा के उपविषय से पृथक कर स्वतंत्र व अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने, स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजनांतर्गत संचालित राज्य के विद्यालयों में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अनुरूप योग शिक्षक/प्रशिक्षक की नियुक्ति करने, उच्च शिक्षा प्राध्यापकों के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा की तर्ज पर छग राज्य पात्रता परीक्षा में योग विषय शामिल करने, सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में योग विषय को संस्कृत के सम्बद्ध विषय से पृथक कर स्वतंत्र विषय के रूप में स्थापित करने सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा।
जिस पर संसदीय सचिव व विधायक चंद्राकर जी ने उनकी मांगों की ओर प्रदेश सरकार का ध्यानाकर्षित कराने का आश्वासन दिया गया।