मजदूर – किसान विरोधी कार्पोरेट परस्त बजट का विरोध मोदी बजट का जलाया पुतला देशव्यापी विरोध दिवस

मजदूर – किसान विरोधी कार्पोरेट परस्त बजट का विरोध मोदी बजट का जलाया पुतला देशव्यापी विरोध दिवस

February 25, 2022 0 By Central News Service

मोदी सरकार के द्वारा पेश किए गए बजट का पुरजोर विरोध करते हुए आज देशभर में सीटू, किसान सभा, माकपा के विरोध दिवस के तहत रायपुर में माकपा कार्यकर्ताओं ने मोदी बजट का पुतला जलाकर विरोध प्रदर्शन किया । प्रदर्शन के जरिए प्रदेश में बिजली दरों में वृद्धि के प्रयास का भी विरोध कर ऐसे किसी भी प्रयास पर रोक की मांग की गई । इस मौके पर साथियों को संबोधित करते हुए सीटू के राज्य सचिव काम धर्मराज महापात्र ने मोदी बजट को बिना किसी ठोस तथ्य के बड़े बड़े दावे वाला आम जनता विरोधी कारपोरेट परस्त बजट करार देते हुए कहा कि देश के मजदूर वर्ग इसका 28-29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल के जरिए करारा जवाब देंगे । उन्होंने कहा कि इस बजट में मंहगाई की आग से झुलसती जनता हो या करोना की तबाही से भीषण बेरोजगारी और घटती क्रय शक्ति और भुखमरी का संकट उसे राहत की कहीं कोई जगह नही है । समूचे बजट का मूल आधार ही देश के सारे संसाधनों का निजीकरण याने निजी देशी , विदेशी पूंजी की लूट का।मार्ग प्रशस्त करने का दस्तावेज है । बजट में उसके ठीक पहले पेश किए गए आर्थिक सर्वे में अर्थव्यवस्था और जनता के बीच भारी विषमता की तस्वीर की भी कहीं कोई चर्चा नहीं है । मध्यान्ह भोजन हो या आंगनबाड़ी या मनरेगा सबके आबंटन में कटौती कर दी गई । दूसरी ओर कारपोरेट टैक्स 18% से घटाकर 15% किया। मोदी का कार्यकाल शुरू होने से पहले यह 30% था। कारपोरेट टैक्स पर सरचार्ज 12% से घटाकर 7% किया गया ! दीर्घकालिक कैपिटल गेन्स को 15% किया गया । यह तब है जब पिछले आठ वर्षों में देश के कारपोरेट समुदाय की आय में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है और करीब पचास करोड़ गरीब लोगों की आय आधी हो चुकी है। दुनिया के भुखमरी सूचकांक में भारत 101वे नम्बर पर है।

आयकर देने वाले कर्मचारी को कोई राहत नहीं दी गई , छोटे व्यवसायी पुरानी दर पर बिना किसी राहत के इनकमटैक्स देते रहेंगे।खाद्यान्न सब्सिडी को 27% घटा दिया गया । किसानों की फसल के लाभकारी दाम देने और कर्ज मुक्ति की मांग के मुकाबले पिछली साल के संशोधित बजट अनुमान 474750.47 करोड़ रुपये के मुकाबले मात्र 370303 करोड़ रुपयों का आवंटन किया है। ग्रामीण विकास के लिए आवंटन पिछले बजट में 5.59 % था इसे घटाकर 5.23% कर दिया है। गेंहू और धान की खरीद के लिए पिछली बार 2.48 लाख करोड़ रूपये दिए गए थे जिसे बजट में घटाकर 2.37 लाख करोड़ कर दिया गया है। खुद सरकार मानती है कि इसके कारण जिन किसानो को लाभ मिलना है उनकी संख्या पिछली वर्ष की 1 करोड़ 97 लाख से कम होकर 1 करोड़ 63 लाख रह जाएगी।
एफसीआई और अन्य खरीदी केंद्रों के लिए आवंटन में 28% की कमी की गयी है। जब खाद की कीमतों में निरंतर बढ़त हो रही है तब सब्सिडी में भी 25% की जबरदस्त कटौती की गयी है।प्रधानमंत्री फसलबीमा योजना की रकम 16 हजार करोड़ रुपयों से घटाकर 15500 करोड़ रुपये कर दी गयी है। पीएम-किसान की राशि में भी 9% की कमी की गयी है। जबकि कारपोरेट घराने को वर्ष 2020-21 में टैक्स छूट के रूप में 72041 करोड़ रूपए दिए गए ये वही तबके हैं जिन्होंने इसी अवधि में 4.05लाख करोड़ रूपयेंके टैक्स का भुगतान भी नहीं किया । इस कारपोरेट परस्त विध्वंसक बजट का मजदूर वर्ग दो दिन की हड़ताल कर आगे भी विरोध जारी रखेगा । माकपा के जिला सचिव प्रदीप गभने ने सरकार की निजीकरण की नीति की जमकर आलोचना की और नियामक आयोग से बिजली दरों में बढ़ोतरी से बाज आने की मांग की । प्रदर्शन में धर्मराज महापात्र, प्रदीप गभने, एस सी भट्टाचार्य, राजेश अवस्थी अजय कन्नोजे, अतुल देशमुख, शीतल पटेलवी एस बघेल, साजिद रजा, ज्वाला देवांगन, सुरेश देवांगन, गजेंद्र पटेल, अज्जू, रतन गोंडाने आदि साथी शामिल थे