छत की मुंडेर पर कौए का रोना है बेटे की शादी है बेटी का गौना है..खरोरा में मनाया गया बसंतोत्सव कवियों ने किया अपनी रचनाओं से किया मंत्रमुग्ध..
February 12, 2022संपादक मनोज गोस्वामी
महासमुंद 12 फरवरी 2022 /वसंत ऋतु के आगमन पर पूर्व माध्यमिक शाला खरोरा में वसंतोत्सव 2022 का आयोजन किया गया जिसमें अंचल के साहित्यकारों ने प्रकृति के चमत्कारिक परिवर्तन को अपने शब्दों में उकेरा। कार्यक्रम का प्रारंभ ज्ञानदायिनी मां सरस्वती के छाया चित्र पर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन व संस्था की बालिकाओं द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी सौरिन चन्द्रसेन व जिला मिशन समन्वयक अशोक शर्मा थे। अध्यक्षता ग्राम पंचायत की प्रथम नागरिक सुनीता देवदत्त चन्द्राकर ने की। विशिष्ट अतिथि डॉ. साधना कसार, बंधु राजेश्वर खरे, डॉ. दुर्गावती भारतीय, सीमारानी प्रधान, सोप आर्टिस्ट जयराम पटेल ‘पथिक’, विकासखंड स्रोत समन्वयक जागेश्वर सिन्हा व डी बसंत साव ‘साहिल’ (आत्मानंद) थे। कार्यक्रम के प्रथम चरण में नवपदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी एस चंद्रसेन, जिला मिशन समन्वयक अशोक शर्मा एवं राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक डॉ. साधना कसार का शाल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम के द्वितीय चरण में साहित्यकारों द्वारा वसंतोत्सव पर अपनी रचनाएं पढ़ी गई। महाविद्यालयीन छात्र गुलाब सेन ने प्रकृति को कुछ इस प्रकार व्यक्त किया
हम बढ़ चले उस मंजिल की ओर
जिस मंजिल में कोई नहीं जाता
रास्ते तो बहुत है पर
दूसरे के रास्ते में चलना हमें नहीं आता।
केन्द्रीय विद्यालय से पधारे साहित्यकार जितेन्द्र कुमार चंद्राकर ने कहा
वीणा की तार छेड़कर संगीत को जन्म देती हो
श्वेत पट धारण कर माई शांति का संदेश देती हो।
महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक साहित्यकार सीमारानी प्रधान की रचना की एक बानगी
पिया बसंती रे
ले प्रेम का रंग मैं आया
अंग अंग खुमान है छाया।
डॉ. साधना कसार ने बसंत की देवी सरस्वती को कुछ इस तरह से वंदन किया
देवी भगवती की वंदना करो तुम
चंदन अक्षर के साथ अर्चना करो तुम
सर्जना के स्वर बिखेरो भाव भंगिमा करो तुम
यही है जीवन का सार यही है बसंत बहार।
प्रख्यात व्यंग्यकार बंधु राजेश्वर खरे ने प्रकृति और जीवन के समन्वय को कुछ इस तरह से व्यक्त किया
महानदी के मया मुस्काते जोक नदी खुलखुला थे जी
नरवा ढोड़गा जंगल झाड़ी एक सुर में सब गाथे जी। कवि हृदय एवं जिला शिक्षा अधिकारी सौरिन चंद्रसेन रचना की एक बानगी देखिए
साहित्य कला संगीत की देवी
मां शारदे तुझ को शत-शत वंदन
मधुमास बड़ी रौनकता में मां
है सर्वप्रथम तेरा अभिनंदन।
समारोह की अध्यक्षता कर रही सुनीता देवदत्त चंद्राकर ने वसंत को कुछ इस तरह व्यक्त किया
महक उठी धरती महके अमराई
मौसम मदमस्त हुआ छाई तरुणाई।
संस्था के प्रधान पाठक साहित्यकार उमेश भारती गोस्वामी की रचना की एक बानगी –
छत की मुंडेर से कौए का रोना है
बेटे की शादी है बेटी का गौना है।
इस अवसर पर काव्यांश साहित्य एवं कलापथक के प्रांतीय महासचिव महासचिव जयराम पटेल ने लघुकथा ‘विक्षिप्त’ का वाचन कर श्रोताओं को सोचने पर विवश कर दिया वहीं डॉ. दुर्गावती भारतीय ने प्रेरक उद्बोधन के के माध्यम से बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए लक्ष्य बनाकर कार्य करने हेतु प्रेरित किया। संस्था के विद्यार्थी बलराम पटेल, चंचल सेन भूमिका चंद्राकर, छाया कुर्रे ने भी बसंत पर कविता का वाचन किया। कार्यक्रम में ओमप्रकाश चंद्राकर, देवदत्त चंद्राकर, डोमार राम साहू उपसरपंच हेमलता चंद्राकर, भूमिका चंद्राकर, मोना चंद्राकर, रामेश्वरी ध्रुव, दुबे कुमार पटेल, चंद्रकांत चंद्राकर, गायत्री चंद्राकर, प्रीति तिवारी, माया भोसले, डोमेश्वरी गजेंद्र, कुमुदिनी चंद्राकर, ओम प्रकाश शर्मा रामप्रसाद चंद्राकर, छाया कुर्रे, भूमिका चंद्राकर, डिंपल लीना, लीशा, सीमा ढीढी, बलराम, खिलेश, घनश्याम, छाया कापरे, दीक्षा, साक्षी, यश, जिगर कन्नौजे, मयंक, टिकेश्वर सहित स्कूली छात्र-छात्राएं व ग्रामवासी उपस्थित थे। कार्यक्रम में कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन अनूठे अंदाज में साहित्यकार व छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष टेकराम सेन एवं दुबेकुमार पटेल ने संयुक्त रूप से किया तथा आभार प्रदर्शन संस्था के वरिष्ठ शिक्षक डोमार राम साहू ने किया। पंचायत भवन में आयोजित कार्यक्रम को सफल बनाने में शाला प्रबंधन समिति, छात्र संघ, पंचायत प्रतिनिधियों व शिक्षकीय स्टॉफ का सराहनीय योगदान रहा।
उक्ताशय की जानकारी संस्था की ओर से जागेश्वर सिन्हा विकासखंड स्रोत समन्वयक ने दी।