आम जनता और मजदूर विरोधी कार्पोरेट परस्त बजट – सीटू

आम जनता और मजदूर विरोधी कार्पोरेट परस्त बजट – सीटू

February 2, 2022 0 By Central News Service


वित्त मंत्री द्वारा आज पेश किए गए बजट बिना किसी ठोस तथ्य के बड़े बड़े दावे का आम जनता विरोधी कारपोरेट परस्त बजट करार देते हुए सीटू ने देश के मजदूर वर्ग से इसका कड़ा विरोध करने और 28-29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल के जरिए इसका करारा जवाब देने की अपील की । सीटू के राज्य सचिव धर्मराज महापात्र ने कहा कि इस बजट में मंहगाई की आग से झुलसती जनता हो या करोना की तबाही से भीषण बेरोजगारी और घटती क्रय शक्ति और भुखमरी का संकट उसे राहत का कहीं कोई जगह नही है । समूचे बजट का मूल आधार ही देश के सारे संसाधनों का निजीकरण याने निजी देशी , विदेशी पूंजी की लूट का।मार्ग प्रशस्त करने का दस्तावेज है । बजट में एक दिन पहले ही पेश किए गए आर्थिक सर्वे में अर्थव्यवस्था और जनता के बीच भारी विषमता की तस्वीर की भी कहीं कोई चर्चा नहीं । मध्यान्ह भोजन हो या आंगनबाड़ी या मनरेगा सबके आबंटन में कटौती कर दी गई । दूसरी ओर कारपोरेट टैक्स 18% से घटाकर 15% किया। मोदी का कार्यकाल शुरू होने से पहले यह 30% था। कारपोरेट टैक्स पर सरचार्ज 12% से घटाकर 7% किया गया ! दीर्घकालिक कैपिटल गेन्स को 15% किया गया । यह तब है जब पिछले आठ वर्षों में देश के कारपोरेट समुदाय की आय में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है और करीब पचास करोड़ गरीब लोगों की आय आधी हो चुकी है। दुनिया के भुखमरी सूचकांक में भारत 101वे नम्बर पर है।

आयकर देने वाले कर्मचारी को कोई राहत नहीं दी गई , छोटे व्यवसायी पुरानी दर पर बिना किसी राहत के इनकमटैक्स देते रहेंगे।खाद्यान्न सब्सिडी को 27% घटा दिया गया । किसानों की फसल के लाभकारी दाम देने और कर्ज मुक्ति की मांग के मुकाबले पिछली साल के संशोधित बजट अनुमान 474750.47 करोड़ रुपये के मुकाबले मात्र 370303 करोड़ रुपयों का आवंटन किया है। ग्रामीण विकास के लिए आवंटन पिछले बजट में 5.59 % था इसे घटाकर 5.23% कर दिया है। गेंहू और धान की खरीद के लिए पिछली बार 2.48 लाख करोड़ रूपये दिए गए थे जिसे बजट में घटाकर 2.37 लाख करोड़ कर दिया गया है। खुद सरकार मानती है कि इसके कारण जिन किसानो को लाभ मिलना है उनकी संख्या पिछली वर्ष की 1 करोड़ 97 लाख से कम होकर 1 करोड़ 63 लाख रह जाएगी।
एफसीआई और अन्य खरीदी केंद्रों के लिए आवंटन में 28% की कमी की गयी है। जब खाद की कीमतों में निरंतर बढ़त हो रही है तब सब्सिडी में भी 25% की जबरदस्त कटौती की गयी है।प्रधानमंत्री फसलबीमा योजना की रकम 16 हजार करोड़ रुपयों से घटाकर 15500 करोड़ रुपये कर दी गयी है। पीएम-किसान की राशि में भी 9% की कमी की गयी है। जबकि कारपोरेट घराने को वर्ष 2020-21 में टैक्स छूट के रूप में 72041 करोड़ रूपए दिए गए ये वही तबके हैं जिन्होंने इसी अवधि में 4.05लाख करोड़ रूपयेंके टैक्स का भुगतान भी नहीं किया । इस कारपोरेट परस्त विध्वंसक बजट का मजदूर वर्ग तीव्र विरोध करेगा।