
LIC के IPO का निर्णय वापस ले सरकार राष्ट्रीयकरण दिवस पर बीमा कर्मियों ने मनाया “सर्वजनिक क्षेत्र बचाओ–LIC को मजबूत बनाओ” दिवस
January 19, 2022एल आई सी के IPO जारी कर उसे शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने के केंद्र सरकार के निर्णय का तीव्र विरोध करते हुए बीमा कर्मियों से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की । आज एल आई सी के राष्ट्रीयकरण दिवस पर देश के साथ ही मध्य क्षेत्र में कर्मचारियों, अधिकारियों के संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने सभाएं, मानव श्रृंखला आदि बनाकर इसे सार्वजनिक क्षेत्र बचाओ और एल आई सी को मजबूत दिवस के रूप में मनाया । मध्य क्षेत्र के रायपुर,भोपाल, ग्वालियर, शहडोल, सतना, जबलपुर, इंदौर, बिलासपुर मंडलों सहित 140 से।अधिक शहरो में कार्यक्रम आयोजित किए गए । इस अवसर पर रायपुर में कर्मचारियों, अधिकारियों की सभा को संबोधित करते हुए AIIEA के राष्ट्रीय सहसचिव व cziea के महासचिव काम धर्मराज महापात्र, आल इंडिया क्लास वन ऑफिसर्स फेडरेशन के मंडल अध्यक्ष काम धनजय पांडे, आर डी आई ई यू के महासचिव काम सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि 19 जनवरी का दिन एल आई सी के कर्मचारियों व अधिकारियों हेतु एक ऐतिहासिक महत्व का दिन है। साढ़े 6 दशक पूर्व 19 जनवरी 1956 को जीवन बीमा के राष्ट्रीयकरण की ओर पहला कदम बढ़ाया गया था। तत्कालीन सरकार ने जीवन बीमा (आपातकालीन प्रावधान) अध्यादेश 1956 की घोषणा कर 154 भारतीय बीमाकर्ताओ, 16 विदेशी बीमाकर्ताओ तथा 75 भविष्यनिधि सोसायटियों का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया था।
काम महापात्र ने कहा कि जीवन बीमा के राष्ट्रीयकरण को हड़बड़ी में, गुप्त रूप से तथा जनता की जानकारी में लाये बिना किये जाने के कुछ आसन्न कारण थे। निजी बीमा कंपनियों के मालिकों की लूट व डकैती इतने बड़े पैमाने पर पहुँच गई थी जिसके चलते भारत के शासकों को जीवन बीमा के राष्टीयकरण के निर्णय को बारीकी से संरक्षित रहस्य की भाँति गुप्त रखना पड़ा था। सरकार को लग रहा था कि अध्यादेश जारी होने के थोड़े से संकेत मिलने पर निजी कंपनियों के मालिक अंतिम समय में धाँधली का सहारा ले सकते है। यह जानना दिलचस्प होगा कि 1945-55 के दशक के दौरान 25 बीमाकर्ताओ ने अपने व्यवसाय का परिसमापन कर दिया था और इतनी ही संख्या में दूसरे बीमाकर्ताओ को अपना व्यवसाय अन्य कंपनियों को स्थानांतरित करना पड़ा था। जो कंपनियां इन सबसे बचे रहने में कामयाब रही, उनमे से 75 कंपनियां अपने पिछले 1953-54 के मूल्यांकन पर किसी भी बोनस की घोषणा करने में असमर्थ थी। यह कैसी त्रासादी थी कि जिस वक्त कंपनियां भारी नुकसान उठा रही थी, उनके मालिक घृणित रूप से विलासिता में लिप्त थे।
इस मुश्किल दौर में 1 सितंबर 1956 को बहुत सारी उम्मीदों और आकांक्षाओं के साथ LIC अस्तित्व में आई थी। राष्ट्र के नाम अपने प्रसारण में तत्कालीन वित्तमंत्री डॉ सी डी देशमुख ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा था--"हम गतिशीलता और उत्साह को एक साथ जोड़ते हुए एक ऐसा संगठन बनायेंगे जो पूरे देश के हर तबके के लोगों को बीमा प्रदान करने तथा उनकी बचतों को एकत्रित करने में सक्षम होगा तथा उसी वक्त उन्हे कुशल सेवा के साथ साथ पूर्ण सुरक्षा भी प्रदान करेगा। "
उस वादे के अनुरूप LIC ने जीवन बीमा व्यवसाय के विभिन्न मोर्चो पर अभूतपूर्व प्रदर्शन का रिकार्ड स्थापित किया है। वर्ष 1956 में 5 करोड़ रुपये की मामूली राशि के साथ जीवन बीमा व्यवसाय का आरंभ करनेवाली LIC आज 38 लाख करोड़ रुपयो से अधिक की खगोलीय रूप से विराट परिसंपत्ति की मालिक है। ग्राहक आधारवाली पालिसियों के मामले में यह दुनिया की सबसे बडी जीवन बीमा कंपनी है जिसके पास 40 करोड़ से अधिक ग्राहक है। इसमें 30 करोड़ व्यक्तिगत पालिसियाँ चालू हालत में है तथा अन्य 12 करोड़ लोग समूह बीमा पालिसियों के अंतर्गत संरक्षित है। जीवन बीमा व्यवसाय में 2 दशकों से अधिक की प्रतिस्पर्धा के बाद भी उद्योग में उच्चतम बाजार हिस्सेदारी के साथ आज LIC खडी है। LIC आज लाखों भारतीयों की पसंदीदा बीमा कंपनी है। दुर्भाग्य से सार्वजनिक क्षेत्र के इस बेहतरीन संस्थान को IPO और शेयर बाजार में सूचीबद्धता के नाम पर कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। जनता के बड़े तबके के द्वारा IPO के जबरदस्त विरोध के बावजूद सरकार पूरी ताकत से इस दिशा में आगे बढ़ रही है। जीवन बीमा की पालिसी की ऑनलाइन बिक्री जैसे नए व्यापार चैनलों ने हमारे विशाल एजेंसी बल के लिए नई चुनौतियां पेश की हैं । LIC के अलावा भी बडी संख्या में सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को “आत्मनिर्भर भारत” की आड़ में निजीकरण और विनिवेशिकरण हेतु तैयार किया जा रहा है। वक्ताओं ने केंद्र सरकार से अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग करते हुए एल आई सी को मजबूत बनाने बीमा प्रीमियम पर जी एस टी समापत करने और आयकर की धारा में बीमा प्रीमियम पर विशेष छूट का प्रावधान करने की मांग की । वक्ताओं ने कहा की संगठनों की ओर से आईपीओ के खिलाफ व्यापक जन अभियान चलाया जायेगा और सरकार के IPO जारी करने की सूरत में तत्काल देश भर में हड़ताल कर उसका जबरदस्त विरोध करने की चेतावनी दी । वक्ताओं ने कहा कि इसकी असली मालिक बीमा धारक है और सरकार उनकी मर्जी के बिना इसके निजीकरण का प्रयास कर रही है जो देशविरोधी कदम है । इस सभा की अध्यक्षता आर डी आई ई यू के अध्यक्ष काम अलेक्जेडर तिर्की ने की ।

