कैट ने काउंसिल की बैठक बुलाने के लिए वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमन का आभार जताया
December 30, 2021
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने 31 दिसंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा बुलाई गई जीएसटी की बैठक में कपड़ा और जूते पर जीएसटी कर दर में वृद्धि को स्थगित करने पर विचार कर निर्णय लेने के लिए कैट की मांग को स्वीकार करने के लिए उनका आभार जताया है। सरकार द्वारा 18.11.2021 को जारी अधिसूचना के अनुसार कपड़ा और जूते पर जीएसटी कर की दर 1 जनवरी, 2022 से 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने की घोषणा की गई है जिसको लेकर देश भर के व्यापारियों में रोष और आक्रोश है। कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने कहा कि सरकार का यह निर्णय व्यावहारिक और न्यायसंगत है और हम जीएसटी काउंसिल द्वारा कपड़ा और जूते पर जीएसटी कर की दर में वृद्धि को स्थगित करने के निर्णय के साथ-साथ अन्य परिवर्तनों को स्थगित करने के लिए बेहद आशान्वित है।
कैट ने अपने द्वारा उठाई गई मांग की जीएसटीआर 9 और जीएसटीआर 9सी दाखिल करने की तारीख 31.12.2021 से बढ़ाकर 28.2.2022 करने की भी सराहना की है। इस कदम से व्यापारियों को काफी राहत मिलेगी। ये दो निर्णय वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण और जीएसटी काउंसिल की मंशा को दर्शाता है कि व्यापार और देश के लोगों के बड़े हित में मुद्दों और चिंताओं को सौहार्दपूर्ण तरीके से खत्म किया जाए – पारवानी एवं दोशी ने कहा
27 दिसंबर को श्रीमती सीतारमण को भेजे गए अपने एक ज्ञापन में कैट ने 1 जनवरी, 2022 से लागू होने वाले कपड़ा और जूते पर जीएसटी कर की दर में वृद्धि और अन्य कदमों को लागू करने की मांग की थी। कैट ने श्रीमती सीतारमण से भी आग्रह किया था कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक ‘‘टास्क फोर्स‘‘का गठन किया जाए जिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और व्यापार के प्रतिनिधियों से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा करने और आम सहमति बनाने का प्रयास किया जाए।
कैट ने तर्क दिया कि देश की 85 प्रतिशत से अधिक आबादी कपड़ा और जूते के सामान का उपयोग करती है, जिसकी कीमत 1000-00 रुपये से कम है, जिस पर वर्तमान में 5 प्रतिशत कर लगता है। अधिसूचना में 1000 रुपये की सीमा को हटा दिया है और इन दोनों वस्तुओं को 12 प्रतिशत के कर स्लैब के तहत लाया है। पारवानी एवं दोशी ने कहा कि इस तरह की भारी वृद्धि से 85 प्रतिशत आबादी पर कर का बोझ पड़ेगा और सामान और महंगा हो जाएगा। कैट ने यह भी तर्क दिया है कि ऐसे समय में जब जीएसटी राजस्व संग्रह महीने दर महीने बढ़ रहा है, कर दरों में वृद्धि का कोई औचित्य नहीं है। जहां तक उल्टे शुल्क ढांचे के युक्तिकरण का संबंध है, व्यापारी सरकार के साथ चर्चा करने के लिए अधिक इच्छुक हैं।