हरेली है त्यौहारों और खुशियों का द्वार आप सभी को हरेली की ढेर सारी शुभकामनाएं : किसान नेता अशवन्त तुषार साहू

हरेली है त्यौहारों और खुशियों का द्वार आप सभी को हरेली की ढेर सारी शुभकामनाएं : किसान नेता अशवन्त तुषार साहू

July 28, 2022 0 By Central News Service

महासमुंद 28 जुलाई 2022/ छत्तीसगढ़ में कहा जाता है त्योहारों का द्वार हरेली तिहार. हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का सबसे पहला त्यौहार है, जो लोगों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति और आस्था से परिचित कराता है. हरेली त्यौहार एक कृषि त्यौहार है. हरेली का मतलब हरियाली होता है, जो हर वर्ष सावन महीने के अमावस्या में मनाया जाता है।

हरेली मुख्यतः खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है. छत्तीसगढ़ राज्य में ग्रामीण किसानों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.त्यौहार में किन चीजों का आयोजन : इस त्यौहार के पहले तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई कर लेते हैं और इस दिन कृषि संबंधी सभी यंत्रों जैसे – हल, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं. घर में महिलाएं तरह-तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजन खासकर गुड़ का चीला बनाती हैं. हरेली में जहां किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं, आपस में नारियल फेंक प्रतियोगिता करते हैं, वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का आनंद लेते हैं।

कैसे पड़ा त्यौहार का नाम : इस लोकप्रिय त्यौहार का नाम हरेली, हिंदी के शब्द हरियाली से आया है श्रावण माह में भारत में मॉनसून रहता है जिसके कारण बारिश होने से चारों तरफ हरियाली होती है. इस समय किसान अपनी अच्छी फसल की कामना करते हुए कुल देवता एवं ग्राम देवता की पूजा करते हैं. हरेली त्यौहार के दौरान लोग अपने-अपने खेतों में भेलवा के पेड़ की डाली लगाते हैं. इसी के साथ घरों के प्रवेश द्वार पर नीम के पेड़ की शाखाएं भी लगाई जाती हैं.नीम में औषधीय गुण होते हैं जो बीमारियों के साथ-साथ कीड़ों से भी बचाते हैं. लोहार जाति के लोग इस दिन घरों को अनिष्ट शक्तियों से बचाने के लिए घर के हर दरवाजे पर पाती ठोंकते हैं. जोे लोहे का एक नुकीला कील होता है. हरेली तिहार के बाद अनेक त्यौहारों का सिलसिला शुरू हो जाता हैं।