महासमुंद- बिहान मेला का रंगारंग शुरुआत, मनमोहक कलाकृति कि लोगों ने जमकर की खरीदारी…
November 19, 2021महासमुंद 19 नवंबर 2021/ महासमुंद ज़िला मुख्यालय के हाई स्कूल मैदान पर ज़िला स्तरीय बिहान मेले का आयोजन किया गया। इस मेले में ज़िले के सभी विकासखंडों के बिहान समूह दीदियों के द्वारा निर्मित सामग्रियों की बिक्री एवं प्रदर्शनी के साथ कला एवं लोक संस्कृति से रूबरू होने का अवसर मिला। ज़िला प्रशासन एवं ज़िला पंचायत द्वारा आयोजित मेले में उत्कृष्ट सामानों की बिक्री व प्रदर्शनी के साथ लोगों ने छत्तीसगढ़ के मशहूर व्यंजनों का लुत्फ भी उठाया।
आयोजित ज़िला स्तरीय बिहान मेले में ज़िले के सभी विकासखंडो से 80 से अधिक महिला समूहों, शिल्प कलाकार, के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम और छत्तीसगढ़ी सहित क्षेत्रीय व्यंजन भी उपलब्ध थे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी लोगों ने भरपूर आनंद उठा उठाया। बॉस से बनी सामग्री सहित अचार, पापड़, कपड़ों आदि की स्टॉलों पर दिन भर शहरवासियों की रौनक रही।
संसदीय सचिव एवं महासमुंद विधायक विनोद चंद्राकर ने बिहान मेला का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कलेक्टर डोमन सिंह, पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल, वनमण्डलाधिकारी पंकज राजपूत, राज्य कार्यालय से आए एन.आर.एल.एम. के सीईओ सुश्री एलिस लकड़ा, ई-पोर्ट संस्था के प्रशिक्षक, अपर कलेक्टर डॉ नेहा कपूर, एसडीएम भागवत जायसवाल, स्काउट गाइड के जिलाध्यक्ष दाऊलाल चंद्राकर सहित जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।
विधायक विनोद चंद्राकर सहित अतिथियों ने बिहान मेले में लगाए गए स्टॉलों का अवलोकन कर महिला समूहों द्वारा निर्मित सामग्रियों का क्रय किया।
संसदीय सचिव चंद्राकर ने कहा कि मुख्यममंत्री भूपेश बघेल ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए उनके द्वारा पूर्व में लिए गए ऋण की राशि माफ कर उनका हौसला बढ़ाया है। स्व-सहायता समूह की महिलाएं एकजुट होकर निरंतर मेहनत करने पर वे आगे बढ़ सकते है। राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरूवा एवं बाड़ी के अंतर्गत प्रदेश में एक लाख से भी अधिक महिलाएं कार्य कर रही है।
पहले परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नही थी। स्व-सहायता समूह से जुड़ने के बाद कला को नई पहचान मिली और आत्मविश्वास में वृद्धि हुई। अपनी कला और मेहनत से मेरे परिवार की आर्थिक सुधर रही है। बॉस एवं अन्य वस्तुओं से बने उत्पादों को प्रदेश भर में नई पहचान मिली है। आत्मनिर्भर बनने से जीवन को नई दिशा मिली है। यह बात एक स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिला सदस्यों ने संसदीय सचिव श्री विनोद चंद्राकर के साथ हुए संवाद में कही।
कलेक्टर डोमन सिंह ने मेले का उद्देश्य बताते हुए कहा कि समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों के बिक्री को और बढ़ावा तथा उन्हें एक अच्छा मार्केट उपलब्ध हो सकें। ज़िला प्रशासन द्वारा इस मुहिम की शुरुआत की गई है, ताकि ग्रामीण समूह की महिलाओं व हस्तकारों को कोरोना के बाद एक बार फिर से अपनी रोजगारी शुरू करने का मौका मिले सकें। साथ ही स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा मिल सके। देर रात तक शहरवासियों ने जम कर खरीददारी की।
समूह से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं की विभिन्न मनमोहक कलाकृतियों और उत्पादों की लोगों ने खूब सराहना की। सांस्कृतिक आयोजन में विभिन्न कलाकारों ने लोक गीत और नृत्य प्रस्तुत कर समा बांधा। काफी संख्या में विद्यार्थी और युवाओं ने मेले में विभिन्न कलाओं के बारे में जाना। मेले में आने वाले लोगों ने विभिन्न परम्परागत व्यंजनों का भी खूब लुत्फ उठाया। आधुनिक और परम्परागत वस्त्र बांस व जूट के उत्पाद सिरेमिक उत्पाद व अनेक प्रकार का घरेलू सामान, सजावट की वस्तुओं की लोगों ने खूब खरीददारी की।
आयोजन को लेकर मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस. आलोक ने जानकारी देते हुए बताया कि ज़िला स्तरीय बिहान मेले में ज़िले के सभी विकासखंडो से 80 से अधिक महिला समूहों, शिल्प कलाकार, के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम और छत्तीसगढ़ी सहित क्षेत्रीय व्यंजन भी बिहान मेले में उपलब्ध थे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी लोगों ने भरपूर आनंद उठाया।
मेले में ज़िले के विभिन्न विकासखंडों के सैकड़ों उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री हुई। महासमुंद ज़िले के सभी पाँचों विकासखंडों में अलग-अलग दिन बिहान मेला का आयोजन 12 नवम्बर से 17 नवम्बर तक आयोजित किया गया। बिहान मेला में स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने लगभग 10 लाख रुपए के निर्मित विभिन्न घरेलू सामान सामग्री एवं सजावटी सामग्री की बिक्री की । इसमें 05 लाख 99 हजार 950 रुपए की विभिन्न प्रकार की हस्त निर्मित सामग्रियों की बिक्री की। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों, विभिन्न शासकीय विभागों, ग्रामीणों द्वारा स्व-सहायता समूह के महिलाओं को 04 लाख 20 हजार 375 रुपए की सामग्रियां उपलब्ध कराने के लिए कार्यादेश (ऑर्डर) प्राप्त हुआ। बिहान मेले में विभिन्न विभागों द्वारा स्व-सहायता समूहों को कौशल विकास उन्नयन का प्रशिक्षण दिया भी दिया गया। जिससे महिलाएं स्वरोजगार प्राप्त कर आर्थिक रूप से सम्पन्न हो सकें। जिससे समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति और बेहतर हो सके। उन्होंने बताया कि राजधानी रायपुर के ई-पोर्ट संस्था जो साबुन बनाने का प्रशिक्षण एवं विपणन करने की व्यवस्था करता है। उनके द्वारा महासमुंद जिले का सर्वे किया गया था। उनके द्वारा जिले के तीन विकासखण्ड इनमें महासमुन्द, बागबाहरा एवं पिथौरा के कुल 165 ग्रामों में 1200 स्व-सहायता समूह के माध्यम से 1700 महिलाओं को साबुन बनाने का प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।