अंजू बॉबी जॉर्ज का चौंकाने वाला खुलासा, एक किडनी के सहारे हासिल की सफलता
December 7, 2020अंजू ने ट्वीट किया, ‘मानो या न मानो, मैं उन भाग्यशाली लोगों में शामिल हूं जो एक किडनी के सहारे विश्व में शीर्ष स्तर पर पहुंची। यहां तक कि मुझे दर्द निवारक दवाइयों से एलर्जी थी, दौड़ की शुरुआत करते समय मेरा आगे वाला पांव सही काम नहीं करता था। कई सीमाएं थीं, तब भी मैंने सफलताएं हासिल की। क्या हम इसे कोच का जादू या उनकी प्रतिभा कह सकते हैं।’
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अपने पति रॉबर्ट जॉर्ज से कोचिंग लेने के बाद अंजू का करियर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। अंजू ने कहा कि उन्होंने महामारी के इस दौर में वर्तमान पीढ़ी के खिलाड़ियों को प्रेरित करने के लिए यह जानकारी दी।
खिलाड़ी घातक वायरस के कारण अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं और प्रतियोगिताओं का आयोजन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा, ‘लोगों की आम राय है कि मेरा शरीर सुगठित है लेकिन सच्चाई यह है कि मैंने तमाम मुश्किलों से पार पाकर सफलताएं हासिल की। उम्मीद है कि मेरा अनुभव साझा करने से भावी खिलाड़ियों को प्रेरित करने में मदद मिलेगी।’
अंजू ने कहा कि पैरिस में 2003 में विश्व ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप से केवल 20 दिन पहले जर्मनी के चिकित्सकों ने उन्हें छह महीने विश्राम करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, ‘यह पैरिस वर्ल्ड चैंपियनशिप से 20 दिन पहले की बात है लेकिन मैं सभी बाधाओं से पार पाकर पदक जीतने में सफल रही थी।’ अंजू को अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत से पहले कुछ स्वास्थ्य कारणों से 2001 में बेंगलुरू में कराए टेस्ट से पता चला था कि उनकी एक ही किडनी है।
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उन्होंने कहा, ‘यह मेरे लिए चौंकाने वाली खबर थी लेकिन बॉबी (पति) ने मुझे करियर जारी रखने और सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर मुझे कोई परेशानी होती है तो वह अपनी एक किडनी दे देंगे।’
अंजू ने कहा कि अपने स्वास्थ्य को लेकर पैदा हुई स्थिति का सामना करने के लिए अब वह पर्याप्त परिपक्व हो गई हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर मैं तब अपने स्वास्थ्य के बारे में खुलासा कर देती तो स्थिति अलग होती।’
उनके ट्वीट पर जवाब देते हुए केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि अंजू ने अपनी कड़ी मेहनत, धैर्य और प्रतिबद्धता से देश का मान बढ़ाया। उन्होंने कहा, ‘अंजू भारत का मान बढ़ाने के लिए यह आपकी कड़ी मेहनत, धैर्य और प्रतिबद्धता थी जिसमें समर्पित कोच और पूरी तकनीकी टीम का सहयोग भी रहा।’
भारतीय ऐथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने कहा कि आईएएएफ विश्व चैंपियनशिप (पैरिस 2003) में भारत की एकमात्र पदक विजेता, आईएएएफ विश्व ऐथलेटिक्स फाइनल्स (मोनाको 2005) की स्वर्ण पदक विजेता और अपने शानदार करियर के दौरान लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाली अंजू देश की सबसे प्रेरणादायी ट्रैक एवं फील्ड स्टार हैं। वह ओलिंपिक खेल 2004 में छठे स्थान पर रही थीं। उन्होंने तब 6.83 मीटर कूद लगाई थी। अमेरिका की मरियन जोन्स को डोपिंग आरोपों के कारण अयोग्य घोषित किये जाने के बाद अंजू को 2007 में पांचवां स्थान दिया गया था।