छत्तीसगढ़ से संसद पहुंचने वाली पहली महिला थी मिनीमाता, लोग मानते थे मसीहा — तारणी नीलम चंद्राकर

छत्तीसगढ़ से संसद पहुंचने वाली पहली महिला थी मिनीमाता, लोग मानते थे मसीहा — तारणी नीलम चंद्राकर

August 12, 2021 0 By Central News Service


जीजामगांव 12अगस्त 2021/ सतनामी समाज ब्लाक भखारा के अतंर्गत आने वाले ग्राम कचना में 11 अगस्त दिन बुधवार को ममता मयी मिनी माता की 49 वी पुन्य तिथि स्मृति दिवस मनाया गया जिसमें श्रद्धाजंलि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में जिला प्रवक्ता नीलम चद्रांकर, जिला पंचायत सभापति श्रीमती तारणी चंद्राकर उपस्थित थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीमती तारिणी नीलम चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद एवं छत्तीसगढ़ राज्य की स्वप्रदृष्टा, कर्मठ समाज सेविका मिनी माता जी की पुण्यतिथि पर हम सब सादर नमन करते हैं। समाज में व्याप्त छुआछूत, गरीबी, अशिक्षा तथा पिछड़ापन दूर करने के लिए मिनीमाता ने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। नारी शिक्षा, मजदूरों के उत्थान के लिए काम करने के साथ साथ उन्होंने बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ समाज से संसद तक अपनी आवाज को बुलंद किया।

छत्तीसगढ़ में कृषि तथा सिंचाई के लिए हसदेव बांध परियोजना भी उन्हीं की दूर दृष्टि का परिणाम है। भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थानीय निवासियों को रोजगार और औद्योगिक प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में आज भी उन्हें याद किया जाता है। हम सब ऐसे व्यक्तित्व पर गर्व करते हैं। श्रीमती चंद्राकर ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि मिनी माता का जन्म 1913 में असम के नगांव जिले में हुआ था। बचपन में उनके परिजन उन्हें मीनाक्षी नाम से पुकारते थे। मिनीमता को छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद थी। वे वर्ष 1952, 1957, 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सांसद चुनी गई थी। मिनीमता बतौर सांसद जब वे दिल्ली में रहती थी तो उनका वास स्थान एक धर्मशाला जैसा था। उन्हें छत्तीसगढ़ी के साथ हिंदी और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान था। समाज में पिछड़ेपन और छुआछूत जात पात की भेदभाव को दूर करना था । संसद मैं अस्पृश्यता बिल को पास कराने में मिनीमाता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाल विवाह, दहेज प्रथा, गरीबी और अशिक्षा दूर करने के लिए भी मिनीमाता लगातार आवाज उठाती रही। सामान्य और मध्यवर्गीय परिवार से होने के कारण छत्तीसगढ़ की जनता मिनीमाता से सीधा जुड़ाव था। इसी वजह से प्रदेश की जनता उन्हें राजमाता जैसे सम्मान देती थी। छत्तीसगढ़ के लोक मिनीमाता से इतना प्यार करते हैं कि आज भी प्रदेश सरकार ने उनके सम्मान में हर वर्ष महिलाओं के विकास के क्षेत्र में काम करने वालों को मिनीमाता सम्मान देती है छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन भी उनके नाम पर बना है। 11 अगस्त 1972 को एक विमान हासदे में उनकी मृत्यु हो गई। उक्त अवसर पर सतनामी समाज ब्लाक भखारा अध्यक्ष परमेश्वर जांगड़े, ब्लाक सचिव पुष्पेन्द्र जोशी, बहुजन समाज पार्टी जिला अध्यक्ष आशीष रात्रे, कचना परिक्षेत्र अध्यक्ष बिरेंद्र सोनवानी, सरपंच पुरुषोत्तम चक्रधारी, पंच लक्ष्मी मार्कण्डेय, गजेन्द्र बंजारे, सोनू राम ठीठी, सोनू राम टंडन, कामता प्रसाद सोनवानी, भारत टंडन, ग्रामीण अध्यक्ष डोमार सिंह मार्कण्डेय, जितेंद्र जांगड़े, नेमू प्रसाद खुटे, धनेश टंडन, पंच,शिव प्रसाद साहू, बुधारू मार्कण्डेय, घनाराम साहू ग्राम पटेल,यादों राम साहू, लल्लूराम टंडन, विनोद मार्कण्डेय, नंद कुमार मार्कण्डेय साथ ही ग्रामीण जन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।