आदि शंकराचार्य का प्राकट्य उत्सव में गोस्वामी समाज का वर्चुअल कार्यक्रम, आचार्य शंकर मानव धर्म के भास्कर प्रकाश स्तंभ बनकर प्रकट हुए -लिल्लार पुरी

आदि शंकराचार्य का प्राकट्य उत्सव में गोस्वामी समाज का वर्चुअल कार्यक्रम, आचार्य शंकर मानव धर्म के भास्कर प्रकाश स्तंभ बनकर प्रकट हुए -लिल्लार पुरी

May 17, 2021 0 By Central News Service

संपादक मनोज गोस्वामी CNS NEWS

छत्तीसगढ़ 17 मई 2021– आदि गुरु शंकराचार्य का आविर्भाव ऐसे समय हुआ जब वैदिक धर्म म्लान हो रहा था तथा मानवता बिसर रही थी, ऐसे में आचार्य शंकर मानव धर्म के भास्कर प्रकाश स्तंभ बनकर प्रकट हुए। मात्र 32 वर्ष के अल्प जीवन काल में उन्होंने सनातन धर्म को ऐसी ओजस्वी शक्ति प्रदान की कि उसकी समस्त मूर्छा दूर हो गई। उक्त उद्गार थे छत्तीसगढ़ सनातन दशनाम गोस्वामी समाज की पत्रिका दत्त प्रकाश द्वारा आयोजित शंकराचार्य के जीवन दर्शन पर आधारित वर्चुअल कार्यक्रम में दाऊ मंदराजी सम्मान से सम्मानित समाज के संरक्षक लिल्लार पुरी के। उन्होंने कहा कि आओ वेदों की ओर लौट चलें । पुरातन वैदिक संस्कृति की उपेक्षा और आज की विकृत अपसंस्कृति को अपनाने का दुष्परिणाम आज की महामारी के रूप में देखने को मिल रहा है।


इस अवसर पर भाटापारा के सुरेंद्र गिरी भागवत आचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति के विकास में आदि शंकराचार्य का विशेष योगदान रहा है उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा हेतु संपूर्ण भारत का भ्रमण किया और भारतवर्ष में प्रचलित तात्कालिक कुरीतियों को दूर कर समभावदर्शी धर्म की स्थापना कर राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने का प्रयास किया।


धमतरी के मानस मर्मज्ञ अर्जुन पुरी ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा हेतु शंकराचार्य ने देश के चारों दिशाओं में चार मठ की स्थापना की। उत्तर में ज्योतिर्पीठ, दक्षिण में श्रृंगेरी मठ, पूर्व में गोवर्धन मठ तथा पश्चिम में शारदा मठ।


आदि शंकराचार्य ने सन्यासियों की 10 श्रेणियां बनाई ये है गिरि, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, पर्वत, सागर, तीर्थ और आश्रम और इन्हें उक्त मठों से संबद्ध किया।इसीलिए गोस्वामी समाज आदि शंकराचार्य जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी माने जाते हैं। कार्यक्रम में शिखा गिरी मुंगेली द्वारा शंकराचार्य पर आधारित प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए समाज के प्रांताध्यक्ष व दतप्रकाश पत्रिका के प्रधान संपादक उमेश भारती गोस्वामी आचार्य शंकर के अद्वैत दर्शन का सार बताते हुए कहा कि ब्रह्म और जीव मूलत: व तत्वत: एक है हमें जो भी अंतर नजर आता है उसका कारण अज्ञान है। जीव की मुक्ति के लिए ज्ञान आवश्यक है और जीव की मुक्ति ब्रह्म में लीन हो जाने में हैं। इस गरिमामय कार्यक्रम में समाज के पूर्व प्रांताध्यक्ष प्रीतम गिरि, समाज के संगठन सचिव पोखराज बन, पूर्व प्रांतीय कोषाध्यक्ष कुबेर प्रकाश गिरि, भागवताचार्य दिनेश भारती, उमेश गिरि दुर्ग, गिरीश पुरी गोसाई धमतरी, पेमेन्द्र गिरि रायपुर, घासी गिरी कोरबा, शैलेंद्र गिरि जांजगीर, दिलीप गिरि राजनांदगांव, डॉ. राजेंद्र गिरि, भूपेंद्र पुरी गरियाबंद, सुरेश बन कांकेर, संजय गिरि महासमुंद, अरविंद नितिन गोस्वामी भखारा, सागर गोस्वामी, संतोष गोस्वामी, गोविंद राज पुरी तरसींवा धमतरी, रेखा गिरि, प्रिया गोस्वामी, रानी गोस्वामी, विकास गोस्वामी, नागेन्द्र गिरि दादू, प्रियांशु गोस्वामी सहित प्रदेशभर से बड़ी संख्या में गोस्वामीजन जुड़े।


कार्यक्रम के अंत में समाज के प्रतिष्ठित समाजसेवी चंद्रिका पुरी गोस्वामी रायपुर और शेखर गिरि हिंछापुर के निधन हो जाने पर शोक प्रकट किया गया।