रेमडेसिविर कोरोना संक्रमितों के लिए कितना जरूरी? कोविड इलाज में जानिए कितना कारगर है
April 16, 2021रायपुर: कोरोना माहमारी की दूसरी लहर से एक बार फिर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। अस्पतालों से लेकर श्मशान घाटों तक शवों की लाइनें लगी हुई हैं। कहीं ऑक्सीजन की कमी हो रही है तो कहीं मरीजों को वेंटिलेटर की सुविधा नहीं मिल रही है। इतनी भारी संख्या में कोरोना से मौतें हो रही हैं कि अब चिताओं के लिए लकड़ियां भी कम पड़ने लगे हैं। शवों को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल रही तो स्वास्थ्यकर्मी कचरा गाड़ियों से ही लाशों को मुक्तिधाम में भेज दे रहे हैं। हालात कितने बिगड़ चुके हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अस्पतालों में पहुंच रहे मरीज बेड की बजाय सीढ़ियों पर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर बैठे हुए हैं। ऐसे में अब प्रदेश के 28 में से 21 जिलों में लॉकडाउन लगा दिया गया है, ताकि लोग अनावश्यक घरों से बाहर नहीं निकलें। जिससे स्थिति को काबू में लाया जा सके।
इस हाहाकार के बीच एक और चर्चा इन दिनों जोरों-शोरों से हो रही है, वह है रेमडेसिविर। कहीं इस दवा की कालाबाजारी की खबरें सामने आ रही हैं, तो कहीं इसके लिए लोग लंबी-लंबी लाइनें लगाकर खड़े नजर आ रहे हैं। जहां वैक्सीनेशन एक तरफ जारी है, वहीं दूसरी ओर इस दवा को कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी माना जा रहा है। हालात यह हैं कि किसी भी मेडिकल स्टोर में यह दवा अब आसानी से उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मरीजों के परिजनों में अफरा-तफरी मची हुई है। लोग मेडिकल स्टोरों पर इस दवाई के लिए कतार लगा रहे हैं। यहां तक कि कई जगहों पर तो इंतजार के बाद थक चुके लोग गुस्से में आकर हंगामा भी कर रहे हैं। बीच सड़क पर लोग धक्का-मुक्की पर भी उतारू हो गए हैं। जिस दवा को लेने के लिए इतनी मारपीटी हो रही है, उसका काम क्या है और वह किसे लेनी चाहिए
इन दिनों कोरोना संक्रमितों के लिए ‘रेमडेसिविर इंजेक्शन’ किसी संजीवनी से कम साबित नहीं हो रहा है। सामान्यता गंभीर मरीज को ही ‘रेमडेसिविर इंजेक्शन’ की 6 खुराक दी जाती है। लेकिन कोरोना संक्रमित की बढ़ती संख्या की वजह से अब इस इंजेक्शन की शॉर्टेज मार्केट में होने लगी है। कुछ लोगों ने इस दवा की कालाबाजारी भी शुरू कर दी है। आलम तो यह है कि लगभग हर कोरोना संक्रमित के लिए ‘रेमडेसिविर इंजेक्शन’ लिखा जा रहा है, लेकिन जब मरीजों के परिजन दवा दुकान में इंजेक्शन लेने जाते हैं तो वहां से उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है। इस इंजेक्शन की मारामारी के वजह से अब यह उन मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं हो पा रही है, जिन्हें वाकई इनकी जरूरत है।
जानिए क्या है रेमडेसिविर?
वैसे तो कोरोना को लेकर अब तक दुनिया भर में 150 से ज़्यादा अलग-अलग दवाइयों को लेकर रिसर्च हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर दवाइयां पहले से ही प्रचलन में हैं और इन्हें कोविड-19 संक्रमित मरीजों के इलाज में आजमाकर देखा गया है। इन्हीं में से एक है रेमडेसिविर दवा। रेमडेसिविर वैक्सीन नहीं, बल्कि एक एंटीवायरल दवा है। जिसे इंजेक्शन के जरिये दिया जाता है। सन् 2009 में रेमडेसिविर को मूल रूप से हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए बनाया गया था। लेकिन ये दवा इस बीमारी को रोकने में नाकाम रही। जिसके बाद 2015 में इसकी निर्माता कंपनी गिलियड साइंसेज ने परीक्षणों के आधार पर दावा किया कि ये ड्रग अफ्रीका में कहर बरपाने वाले इबोला वायरस को ब्लॉक करने में कामयाब रहा है।
वहीं कोरोना वायरस आते ही जब दवाओं पर वैज्ञानिकों ने रिसर्च करना शुरू किया था, इबोला के लिए तैयार की गई इस दवाई को एक बार फिर आजमाया गया। रेमडेसिविर का उत्पादन अमेरिका की कंपनी गिलियड साइंस इंक द्वारा किया गया है। कंपनी द्वारा कोरोना ट्रायल के तीसरे चरण में भी यह दवाई कोरोना के मरीजों के उपचार में सहायक पाई गई। वैज्ञानिकों ने पाया कि इस दवाई की कुछ डोज ही मरीज को कोरोना वायरस से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। बस 5 दिन के कोर्स वाली इस दवाई का कोरोना के मरीजों के इलाज में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला। ऐसे में हमारे देश में भी सरकार की तरफ से आपातकालीन स्थिति में कोरोना मरीज पर रेमडेसिविर दवाई के उपयोग की अनुमति दे गई।
करती क्या है रेमडेसिविर?
रेमडेसिविर ऑक्सीजन थेरेपी, विटामिन सप्लीमेंट, स्टेरॉयड और रक्त को पतला करने वाले गुणों का एक मिश्रण है, जो गंभीर कोरोना के रोगियों को ठीक करने में मदद कर रही है। विशेषज्ञों की मानें तो रेमडेसिविर सावधानीपूर्वक चयनित मरीजों में केवल बीमारी की अवधि को कम करती है। कॉन्सेप्ट ये है कि जब किसी वायरस से संक्रमित व्यक्ति को रेमडेसिविर का इंजेक्शन लगाया जाएगा, तो यह शरीर में मौजूद वायरस के RNA को ही काम करने से रोक देती है। लेकिन इसके बारे में यह धारणा बन गई है कि यह जीवन रक्षक है। जिसके चलते जब यह मरीज को नहीं मिलती है तो वह हताश और परेशान हो जाते हैं।
डॉक्टरों का मानना है कि कई लोगों को अनावश्यक रूप से इस दवा को दिया जा रहा है, जबकि उन्हें इसकी जरूरत है भी नहीं। यहां एक बात और समझने की है कि रेमडेसिविर अकेले काम नहीं करती है। इसका असर तब होता है, जब इसे ऑक्सीजन थेरेपी, स्टेरॉयड और ब्लड थिनर के साथ इसे दिया जाता है। रेमडेसिविर केवल वायरल के असर को कम करता है वहीं दूसरी दवाएं वायरस के चलते होने वाली सूजन को कम करती हैं। यह भी उन्हीं लोगों के लिए जो कोरोना ने काफी ज्यादा प्रभावित हो चुके हों।
गैर जरूरी मरीजों को ना दी जाए रेमडेसिविर
वहीं इसको लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अपने बयान में कहा है कि कोविड महामारी की दूसरी लहर ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की अभूतपूर्व मांग पैदा कर दी है, जिससे मांग और आपूर्ति में कमी आई है। आईएमए ने इसका कारण बेमतलब के लिए और गैर-जरूरी जगहों पर हो रहे इस दवा के इस्तेमाल को जिम्मेदार ठहराया है। आईएमए का कहना है कि जनता और साथ ही चिकित्सा समुदाय को दवा के उपयोग के लिए कोरोना मरीजो में पूर्ण लक्षण और विवेकपूर्ण तरीके से इसका उपयोग करने की आवश्यकता के बारे में पता होना चाहिए, ताकि दवा का उपयोग उन रोगियों के लिए किया जा सके, जिन्हें वाकई इसकी जरूरत है।
एसोसिएशन ने दोहराया कि भारत सरकार द्वारा जारी कोविड-19 के क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल के अनुसार, कोरोना के हल्के लक्षण वाले या फिर एसिम्टोमेटिक मरीजों के लिए रेमडेसिविर(आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के तहत) किसी काम की नहीं है। हालांकि मध्यम लक्षण वाले मरीजों को इसे जरूरत होने पर दिया जा सकता है।
ऐसे मरीजों के लिए जरूरी है यह दवा
आईएमए ने कहा है कि कोरोना से शीघ्र स्वस्थ होने के लिए आवश्यक है कि कोरोना पीड़ित अपने अनुमानित लक्षणों और संपर्कों में आये लोगो के आधार पर शीघ्र निदान के लिए चिकित्सक या अस्पताल से तत्काल परामर्श लें। जब मध्यम से गंभीर लक्षणों के साथ वायरल बढ़ता है, तब पहले सप्ताह में दी जाने वाली रेमेडिसिविर इंजेक्शन ऐसे रोगियों के रिकवरी में लाभदायक होता है।
आईएमए ने चिकित्सकों से किया अनुरोध
एसोसिएशन के मुताबिक दवा की कीमत के कारण सभी लोग इसका उपयोग अपने परिजनों के लिए करना चाहते हैं, भले ही उनके माइल्ड कोरोना क्यों ना हो। मरीजों द्वारा ऐसे अनुचित अनुरोध का चिकित्सकीय पेशेवरों द्वारा विरोध किया जाना चाहिए, क्योंकि दवा की उपलब्धता से उस रोगी को अधिक लाभ होगा। आईएमए ने कहा है कि नागरिकों और चिकित्सकों की सामाजिक जिम्मेदारी है कि इस दवा को देश के नागरिकों के लिए उपलब्धता बहाल रखी जाए।
जानिए WHO की क्या है राय?
बात करें WHO की तो उन्होंने तो इस दवा को ही बेअसर बता दिया है। ” WHO ने कहा था कि वो अभी एक और बड़े क्लीनिकल ट्रायल का इंतजार कर रहा है जिससे ये पता चल सकेगा कि रेमडेसिविर नाम की दवा का कोविड मरीजों पर जरा सा भी असर होता है या नहीं । वहीं WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन और कोविड-19 पर तकनीकी प्रमुख डॉ. मारिया वान कोराखोवा का तो यह कहना है कि पहले हो चुके 5 क्लीनिकल ट्रायल में ये बात सामने आई है कि रेमडेसिविर दवा कोविड-19 की मृत्यु दर को कम करने में सहायक नहीं है।
वहीं छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग ने भी अपने नए ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग केवल गंभीर और अति गम्भीर मरीजो मरीजो पर उपयोग करने की बात कही है जबकि एसिम्पटमेटिक व माइल्ड कोरोना मरीजों को ये इंजेक्शन नही देने की बात ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में कही गई है।
बता दें कि सात भारतीय कम्पनियां Remdesivir injection का उत्पादन करती हैं। इन कंपनियों की हर महीने 38.80 लाख यूनिटों की उत्पादन क्षमता है। इस समय भारत में CIPLA बड़े स्तर पर इस इंजेक्शन का उत्पादन कर रही है। लेकिन बढ़ती मांग की वजह से इसकी आपूर्ति अब घट चुकी है। ऐसे में जरूरत है लोगों को यह समझने की भेड़ चाल में चलने की बजाय ने इस बात को जानें कि यह इंजेक्शन उन्हें या उनके परिजनों का लेना है या नहीं इसके लिए डॉक्टर से पहले पूरी सलाह लें। बेवजह की इकट्ठी हो रही केवल आपके और आपके परिजनों के लिए प्राणघातक भी हो सकती है।