आज मनाई गयी गुरु पूर्णिमा

आज मनाई गयी गुरु पूर्णिमा

July 21, 2024 0 By Central News Service


रायपुर/रायपुर स्थित चंगोराभाठा के निवासियों एवम अनेक जगहों से आए शिष्य के द्वारा गुरु पूर्णिमा मनाई गयी
गुरु बिन ज्ञान न होत है, गुरु बिन दिशा अजान, गुरु बिन इन्द्रिय न सधें, गुरु बिन बढ़े न शान। ..गुरु पूर्णिमा एक ऐसा दिन है जो शिष्य परम्परा के महत्व के बारे में बताता है। पूर्णिमा के इतिहास पर प्रकाश डाला जाए तो आप जानेंगे कि ये वही दिन है जिस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्य और मुनियों को वेदों और पुराणों का ज्ञान दिया था। उस दिन से लेकर आज तक ये पर्व भारतीय सनातन संस्कृति की गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक बना हुआ है। इस वर्ष 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया , जिसका उद्देश्य गुरुओं को सम्मानित करना है। शिष्य जीवन में गुरु का क्या महत्व होता है इस सम्मान को दर्शाते हुए एजमानो के द्वारा अपने गुरुओ का सम्मान तिलक लगा कर और उपहार भेंट कर किया गया। इस अवसर पर पंडित योगेंद्र ने गुरु पूर्णिमा की बधाई देते हुए कहा कि गुरु के महिमा की जितनी बखान की जाए कम है,गुरु और शिष्य को समर्पित भाव में रह कर कार्य करना चाहिए हर इंसान को शिक्षा के साथ कोई न कोई विधा सीखनी चाहिए जिससे जीवन में सादगी और अनुशासन बना रहता है।
पंडितजी ने आगे कहा गुरु की महिमा में स्वरूप भले ही बदला है पर गुरु शिष्य परंपरा का निर्वाह करने वाले आज भी इसे जीवित रखे हुए हैं। इस अवसर पर सैकड़ों यजमान एवम ग्रामीण उपस्थित रहे।

मनाई गयी गुरु पूर्णिमा
रायपुर/रायपुर स्थित चंगोराभाठा के निवासियों एवम अनेक जगहों से आए शिष्य के द्वारा गुरु पूर्णिमा मनाई गयी
गुरु बिन ज्ञान न होत है, गुरु बिन दिशा अजान, गुरु बिन इन्द्रिय न सधें, गुरु बिन बढ़े न शान। ..गुरु पूर्णिमा एक ऐसा दिन है जो शिष्य परम्परा के महत्व के बारे में बताता है। पूर्णिमा के इतिहास पर प्रकाश डाला जाए तो आप जानेंगे कि ये वही दिन है जिस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्य और मुनियों को वेदों और पुराणों का ज्ञान दिया था। उस दिन से लेकर आज तक ये पर्व भारतीय सनातन संस्कृति की गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक बना हुआ है। इस वर्ष 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया , जिसका उद्देश्य गुरुओं को सम्मानित करना है। शिष्य जीवन में गुरु का क्या महत्व होता है इस सम्मान को दर्शाते हुए एजमानो के द्वारा अपने गुरु का सम्मान तिलक लगा कर और उपहार भेंट कर किया गया। इस अवसर पर पंडित योगेंद्र ने गुरु पूर्णिमा की बधाई देते हुए कहा कि गुरु के महिमा की जितनी बखान की जाए कम है,गुरु और शिष्य को समर्पित भाव में रह कर कार्य करना चाहिए हर इंसान को शिक्षा के साथ कोई न कोई विधा सीखनी चाहिए जिससे जीवन में सादगी और अनुशासन बना रहता है।
पंडितजी ने आगे कहा गुरु की महिमा में स्वरूप भले ही बदला है पर गुरु शिष्य परंपरा का निर्वाह करने वाले आज भी इसे जीवित रखे हुए हैं। इस अवसर पर सैकड़ों यजमान एवम ग्रामीण उपस्थित रहे।