पियाली फाउण्डेशन द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन, दिव्यांग बच्चों द्वारा म्यूजिक डांस  किये गये

पियाली फाउण्डेशन द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन, दिव्यांग बच्चों द्वारा म्यूजिक डांस किये गये

April 2, 2024 0 By Central News Service

रायपुर/पियाली फाउण्डेशन द्वारा 2 अप्रेल 2024 को जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें दिव्यांग बच्चों द्वारा म्यूजिक डांस परर्फामेंस कार्यक्रम किये गये है । संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2007 में 2 अप्रेल को विश्व आटिज्म जागरूकता दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई। नीला रंग आटिज्म का प्रतीक माना गया है। ऑटिज़्म पूरी दुनिया में फैला हुआ हैं। वर्ष 2010 तक विश्व में तकरीबन 7 करोड़ लोग आटिज्म से प्रभावित है। इन बच्चों में तीन लक्षण प्रमुख होते है, संप्रेक्षण की कमी, समाजिक व्यवहार न करना व व्यवहारिकता में कमी। इनकी पहचान मुख्यतः तीन साल के बाद ही हो पाती है।


आज के इस कार्यक्रम में पियाली फाउण्डेशन की ओर से आटिस्टिक बच्चें, उनके शिक्षक व शिक्षक प्रशिक्षु सब उपस्थित हुए है और डांस म्यूजिक के माध्यम से विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस कार्यक्रम किया गया । हम यहाॅ आटिस्टिक बच्चे के बारे में जानकारी देगें, उनका रखरखाव कैसे करते है व उन्हें कैसे शिक्षा दी जाती है। इसके बारे में जागरूक करेंगे। ऑटिज़्म, बच्चों के मस्तिष्क के विकास में बाधा डालने और विकास के दौरान होने वाला विकार है। उनके इस विकार के कारण के बारे में भी बताया जायेगा। हम चाहते है कि समाज में इनको भी यथा सम्मान मिले व मुख्य धारा के साथ जुड़ सके। इस साल 2024 का थीम एम्पावरिंग ऑटिस्टिक वॉयसश् का लक्ष्य इस स्थिति वाले व्यक्तियों को सार्थक जीवन जीने और सफल करियर बनाने के लिए अधिक समर्थन और शक्ति प्रदान करना है।


इस कार्यक्रम की जानकारी पियाली फाउण्डेशन के सचिव राजकिशोर चैधरी ने दी।

क्या हैं ऑटिज़्म ; ऑटिज़्म को कई नामों से जाना जाता है जैसे स्वलीनता, स्वपरायणता। लेकिन सवाल ये उठता है कि आॅटिज्म क्या है। दरअसल ऑटिज़्म मस्तिष्क के विकास में बाधा डालने और विकास के दौरान होने वाले विकार है। ऑटिज़्म के ग्रसित व्यक्ति बाहरी दुनिया से अनजान अपनी ही दुनिया में खोया रहता है। क्या आप जानते है व्यक्ति के विकास संबंधी समस्याओं में आटिज्म तीसरे स्थान पर है यानि व्यक्ति के विकास में बाधा पहुचानें वाले मुख्य कारणों में आटिज्म भी जिम्मेदार है। आइये जाने आटित्म जाकरूकता दिवस पर आटिज्म संबंधी कुछ और बाते।


ऑटिज़्म का प्रभाव
ऽ ऑटिज़्म पूरी दुनिया में फैला हुआ है। क्या आप जानते है वर्ष 2010 तक विश्व में तकरीबन 7 करोड़ लोग आटिज्म से प्रभावित थें।
ऽ इतना ही नहीं दुनिया भर में आटिज्म प्रभावित रोगियों की संख्या मधुमेह, कैंसर और एड्स के रोगियों की संख्या मिलाकर भी इससे अधिक है।
ऽ ऑटिज़्म प्रभावित रोगियों में डाउन सिन्ड्रोम की संख्या अपेक्षा से भी अधिक है।
ऽ आप ऑटिज़्म पीडितों की संख्या का इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि दुनिया भर में प्रति दस हजार में से 20 व्यक्ति इस रोग से प्रभावित होत है।
ऽ लेकिन कई शोधों में यह भी बात सामने आई है कि आॅटिज्म महिलाओं के मुकाबले पुरूषों मंे अधिक देखने को मिला है। यानि 100 में से 80 प्रतिशत् पुरूष आटिज्म से प्रभावित है।
बच्चों में ऑटिज़्म की पहचान
बच्चों में ऑटिज़्म को बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है। बच्चों में आटिज्म के कुछ लक्षण इस प्रकार है-
ऽ कभी-कभी किसी भी बात का जवाब नहीं देते या फिर बात को सुनकर अनसुना कर देते है। कई बार आवाज लगाने पर जवाब नहीं देते।
ऽ किसी दुसरे व्यक्ति के आॅखों में आखे डालकर बात करने से घबराते है।
ऽ अकेले रहना पसंद करते है, ऐसे में बच्चों के साथ समूह में खेलना भी इन्हें पसंद नहीं होता।
ऽ बात करने हुए अपने हाथों का इस्तेमाल नहीं करते या फिर अंगुलियों से किसी तरह का कोई संकेत नहीं करते।
ऽ बदलाव इन्हें पसंद नहीं होता। रोजाना एक जैसे काम करने में इन्हें मजा आता है।
ऽ यदि कोई बात सामान्य तरीके से समझाते है तो इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं देतें।
ऽ बार-बार एक ही तरह के खेल खेलना इन्हें पसंद होता है।
ऽ बहुत अधिक बेचैन होना, बहुत अधिक निक्रिय होना या फिर बहुत अधिक सक्रिय होना। कोई भी काम एक्सटीªम लेवल पर करते है।
ऽ ये बहुत अधिक व्यवहार कुशल नहीं होते और बचपन मंे ही ऐसे बच्चों में ये लक्षण उभरने लगते है। बच्चों में आॅटिज्म को पहचानने के लिए तीन साल की उम्र ही काफी है।
ऽ इन बच्चों का विकास सामान्य बच्चों की तरह न होकर बहुत धीमा होता है।
ऽ ऑटिज़्म के शुरूवाती लक्षण एक से तीन साल के बच्चों के अंदर नजर आते है।
ऽ लोगों का चेहरा देख कर बच्चें द्वारा कोई प्रतिक्रिया न देना।
ऽ आवाज सुनने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया न देना।
ऽ बोलने में दिक्कत।
ऽ अपनी फीलिंग्स को अच्छी तरह से जाहिर न कर पाना।
ऽ हिलने की समस्या।
ऽ आपा खोना।
ऽ एक ही बात को लगातार बोलते रहना।
ऽ इसके अलावा अगर आपका बच्चा जन्म से लगातार नौ महिने तक मुस्कुराता नहीं है या फिर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तो इसके लिए तुरंत डाॅक्टर से सलाह लेनी जरूरी है।
आॅटिज्म के कारण
अभी तक शोधों में इस बात का पता नहीं चल पाया है कि आॅटिज्म होने का मुख्य कारण क्या है। यह कई कारणों से हो सकता है।
ऽ जन्म संबंधी दोष होना।
ऽ बच्चे के जन्म से पहले और बाद में जरूरी टीके न लगवाना।
ऽ गर्भावस्था के दौरान माॅ को कोई गंभीर बीमारी होना।
ऽ दिमाग की गतिविधियों में असमानता होना।
ऽ दिमाग के रसायनों में असमानता होना।
ऽ बच्चें का समय से पहले जन्म या बच्चे का गर्भ में ठीक से विकास न होना।
इलाज
इसका कोई सटीक इलाज नहीं है। डाॅक्टर्स बच्चों की स्थिति और लक्षण बाद में तय करते है कि क्या इलाज करना है। इसके इलाज में बिहेवियर थैरेपी, स्पीच थैरेपी, आक्युपेशनल थैरेपी आदि कराये जाते है, जिससे बच्चों को इन्हीं की भाषा में समझा जा सके। इस थैरेपी से बच्चे काफी हद तक सही हो जाते है। दूसरे बच्चों से घुलने-मिलने लगते है। इस थैरेपी में डाॅक्टर के साथ-साथ माता-पिता का विशेष हाथ होता है। उन्हें अपने बच्चें का खास ध्यान रखन पड़ता है।
ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चों के लिए अपनाये ये कुछ जरूरी टिप्स-
ऽ बच्चे को कुछ भी समझाते समय उसके साथ धीरे-धीरे एक-एक शब्द बोले और बच्चे के साथ उसे दोहराने की कोशिश करें।
ऽ बच्चों के साथ खेलें, उन्हें समय दे।
ऽ बच्चों को तस्वीरों के जरिये चीजें समझाने की कोशिश करें।
ऽ बच्चों को आउटडोर गेम्स खिलायें। इससे बच्चे का काॅन्फिडेंस बढ़ेगा।