रायपुर भठागाव ढेबर सिटी में सोभा वाटिका में चल रहे भागवत कथा का चौथा दिन: राम जन्म , वामन अवतार , कृष्ण जन्मोत्सव मनाया, भजनों पर झूमे श्रद्धालु
November 4, 2023परम पूज्य श्री राजीवनायनशरण महाराज ने बतलाये कीमें श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ है चौथे दिवस श्रद्धालु कृष्ण रंग में रंगे नजर आए। कृष्ण जन्मोत्सव आनन्द और धूम-धाम से मनाया गया। कृष्ण झाकियों ने सभी का मन मोह लिया।
प्रसंग के दौरान श्रद्धालु नंदलाला प्रकट भये आज, बिरज में लड़ुआ बंटे…, नन्द के घर आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल…, आना आना रे आना नंदलाल आज हमारे आंगन में जैसे भजनों पर झूमते रहे, नन्द और यशोदा के लाला की जय के उद्घोष कथा पांडाल में गूंजते रहे। जन्मोत्सव के उपरांत विधिवत कृष्ण पूजन के बाद मिठाई का वितरण किया गया।
कथा के पहले इसके पूर्व शुरूआत में बलि-वामन प्रसंग से हुई प्रभु भक्ति की महिमा बताते हुए कहा भगवान विष्णु राजा बलि को वामन अवतार में छलने आते हैं। वे राजा बलि से तीन पग जितनी भूमि मांग लेते हैं। राजा बलि के गुरू उनका साक्षात्कार ईश्वर से कराते हुए उन्हें संकल्प लेने से रोकते हैं। राजा बलि के आग्रह पर जब भगवान विष्णु वामन अवतार से अपने विराट स्वरूप में आकर दो ही पैर में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को माप लेते हैं। राजा की परीक्षा लेते हुए पूछते हैं कि तीसरा पैर कहां रखूं अन्यथा नरक भेज दूं। राजा बलि ने अपने संकल्प की रक्षा करते हुए प्रभु भक्ति में भगवान से अपना तीसरा पैर उन पर रख उन्हें भक्त रूप में स्वीकार करने को कहा। राजा बलि के भक्त प्रेम के आगे स्वयं भगवान हार गए और राजा बलि के महल का द्वारपाल बन उन्हें स्वीकारा। बलि-वामन प्रसंग की संगीतमय प्रस्तुति से श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला—
अराध्य प्रभु श्री राम के जन्मोत्सव के साथ कथा के दूसरे पड़ाव का शुभारम्भ हुआ। भगवान श्री राम के जन्म और उनके जीवन चरित्र का बखान करते हुए कथावाचक राजीवनयनशरण जी महाराज ने कहा कि भगवान राम का जीवन चरित्र हमें सिखाता है कि मित्रों के साथ मित्र जैसा, माता-पिता के साथ पुत्र जैसा, सीता जी के साथ पति जैसा, भाइयों के साथ भाई जैसा, सेवकों के साथ स्वामी जैसा, गुरू के साथ शिष्य जैसा व्यवहार कैसे किया जाता है। जो भगवान राम के जीवन चरित्र को अपने जीवन में चरितार्थ करेगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। राम राज्य में मनुष्य के अतिरिक्त जीव-जंतु में परपस्पर प्रेम और सद्भाव से रहते थे। इस दौरान राम-जानकी विवाह का प्रसंग भी सुनाया गया।
आरती व पूजन के साथ कथा के चौथे दिन का समापन हुआ।