कैट ने प्रधानमंत्री मोदी जी को ई-कॉमर्स नीति और नियम जल्द लागू करने के लिए भेजी याचिका – अमर पारवानी
October 20, 2023रायपुर,देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि ई-कॉमर्स नीति और नियमों को तत्काल जारी करने का जोरदार आग्रह करते हुए, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को देश के व्यापारियों की ओर से एक याचिका भेज कर कहा है कि विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा एफ़डीआई पालिसी के प्रेस नोट 2 की शर्तों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के कारण भारतीय व्यापारियों के व्यापार पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है जिसके कारण धीरे धीरे व्यापार चौपट होता जा रहा है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी जी को अपनी याचिका में कैट ने उल्लेख किया है कि ई-कॉमर्स नीति और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत नियमों का मसौदा पहले ही डीपीआईआईटी और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा तैयार किया जा चुका है, जैसा कि 2 अगस्त को आयोजित स्टेकहोल्डर्स की बैठक में बताया गया था।
कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह याचिका देने का कारण इस तथ्य पर आधारित है कि छोटे व्यवसायों द्वारा संचालित भारत के खुदरा व्यापार को विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों से दिन पर दिन खतरा बड़ रहा है क्योंकि यह कंपनियाँ खुले आम एफडीआई नीति का उल्लंघन कर देश के बाज़ार को ख़राब कर रही हैं और व्यापार करने के एक समान अवसर बनाने के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं, जैसा कि एफडीआई नीति, 2018 के प्रेस नोट नंबर 2 में स्पष्ट रूप से कहा गया है। ई-कॉमर्स नीति और नियमों के अभाव में वो भारत के बाज़ार में अपनी मनमानी कर रहे हैं।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि ये ऑनलाइन खुदरा विक्रेता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं और अन्य सामानों की बिक्री मूल्य को प्रभावित करते हुए नीति का बड़े पैमाने पर उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे खुदरा व्यापार को भारी नुकसान हुआ है और उन्हें गैर-प्रतिस्पर्धी बना दिया गया है और रोजगार का काफी नुकसान हुआ है। यदि ये ऑनलाइन खुदरा विक्रेता कानून के अनुसार व्यापार करते तो हम ई-कॉमर्स उद्योग में अपने स्वयं के कई उद्यमी पैदा कर सकते थे और बाद में लाखों नौकरियां पैदा कर सकते थे।
कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्री परमानन्द जैन और प्रदेश महामंत्री श्री सुरिन्द्रर सिंह ने कहा कि यदि हम ई-कॉमर्स क्षेत्र में हमारे अपने उद्यमियों द्वारा लाखों नौकरियां पैदा करने के अवसर और इन कंपनियों द्वारा पूंजी जलाने के माध्यम से मेनलाइन रिटेल में अन्य क्षेत्रों में नौकरी के नुकसान को जोड़ दें, तो यह न केवल दुर्भाग्यूर्ण स्तिथि है बल्कि आर्थिक आतंकवाद से कम नहीं है। हमारे देश में, ई-कॉमर्स डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण तत्व है और लाखों व्यवसायों और नौकरियों के सृजन के लिए एक वरदान की तरह है, जो हमारे देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिए बहुत आवश्यक है, लेकिन अंतर्दृष्टि और समझ की कमी के कारण हम इन ई-कॉमर्स कंपनियों की सनक और इच्छाओं के कारण अपना व्यापार खो रहे हैं।
व्यापारी नेताओं ने आश्वासन दिया कि भारतीय व्यापारी व्यापार में डिजिटल तकनीक को अपनाने और स्वीकार करने के लिए अधिक इच्छुक हैं, लेकिन समान स्तर का व्यापारिक वातावरण न होने से भारतीय ऑनलाइन रिटेल को एक बड़ा परिदृश्य बनाने का कोई मौक़ा नहीं मिल रहा है।