एल आई सी की हिफाजत का लिया संकल्प निजीकरण की नीतियों के विरुद्ध बनाई मानव श्रृंखला
September 2, 2022रायपुर : भारतीय जीवन बीमा निगम के 66 वें स्थापना दिवस के अवसर पर 1 सितंबर को पूरे मध्य क्षेत्र में बीमा कर्मियों ने “एल आई सी की हिफाजत का संकल्प लिया और केंद्र सरकार के निजीकरण की नीतियों के विरुद्ध मानव श्रृंखला बनाई । रायपुर मंडल के अन्तर्गत एल आई सी की समस्त शाखा कार्यालयों के समक्ष शाम को मानव श्रृंखला बनाई गई तथा सभा लेकर आम जनता से एल आई सी के विनिवेशीकरण का विरोध करने का अनुरोध किया गया। एल आई सी के पंडरी स्थित मंडल कार्यालय के समक्ष जीवन बीमा मार्ग पर भी मंडल कार्यालय, पी एंड जी एस, रायपुर 2 एवं सी ए बी रायपुर इकाईयों ने संयुक्त रूप से मानव श्रृंखला निर्मित की। इस अवसर पर हुई सभा को संबोधित करते हुए रायपुर डिवीजन इंश्योरेंस एम्पलाईज यूनियन के महासचिव काम सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार भारत के सर्वाधिक लाभप्रद बीमा उद्योग को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कर इसके निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है। इससे देश के 38 करोड़ पालिसिधारको की जमा पूंजी सार्वजनिक क्षेत्र से हटकर निजी खिलाडियों की ओर हस्तांतरित किये जाने का खतरा बढ़ा है। देश भर के बीमा कर्मचारी मेहनतकश जनता के साथ मिलकर एल आई सी की हिफाजत का संघर्ष तेज कर रहे है। सेंट्रल जोन इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन के महासचिव काम धर्मराज महापात्र ने कहा कि एल आई सी है तो कही और जाने की जरूरत नही है। उन्होंने आश्वस्त किया कि एल आई सी में उपस्थित मजबूत कर्मचारी आंदोलन पालिसी धारकों के हितों की रक्षा करेगा इसलिए पालिसी धारकों को बीमा कर्मी आंदोलन के साथ जुड़कर इसकी हिफाजत का संघर्ष आगे बढ़ाना चाहिये। काम महापात्र ने कहा कि एल आई सी के मात्र साढ़े तीन प्रतिशत शेयर ही सूचीबद्ध हुए है और बहुमत शेयर आज भी सरकार के पास है। अत:शेयर बाजार में एल आई सी के शेयरो के कमजोर प्रदर्शन से बीमा धारकों को चिंतित होने की जरूरत नही है। एल आई सी आज भारत ही नही वरन पूरे विश्व की सर्वश्रेष्ठ बीमा प्रदाता में से एक है और पूरे विश्व में सार्वजनिक क्षेत्र की एकमात्र संस्था है जो विश्व में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है। एल आई सी के 38 करोड़ ग्राहक है जो दुनिया के अनेक देशों की जनसंख्या से भी अधिक है। एल आई सी की कुल परिसंपत्ति 42 लाख करोड़ से अधिक है और उसकी जीवन निधि 38 लाख करोड़ है। इस सशक्त वित्तीय संस्थानk को देशी विदेशी निजी हाथों में बेचने का प्रयास गलत है। मोदी सरकार देश के सार्वजनिक व सरकारी उद्योगों को कौड़ियों के भाव अंधाधुंध नीलाम कर रही है। इससे देश की आत्मनिर्भरता को ही खतरा पैदा हो गया है। आगामी दिनों में यह आंदोलन और तेज होगा। यूनियन के अध्यक्ष काम अलेक्जेंडर तिर्की ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया।
सभा में विश्व मेहनतकशों द्वारा युद्ध के खिलाफ शांति के पक्ष में की जा रही आवाज बुलंद का समर्थन भी किया गया और दुनिया में शांति की अपील की गई ।