प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां कि जन्मदिन पर.. पैर पखार कर… तोहफे में शॉल भेंटकर.. आशीर्वाद लिया…मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है. जीवन की ये वो भावना होती है जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
June 18, 2022रायपुर 18 जुन 2022/ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपनी मां हीराबेन मोदी के 100वें जन्मदिन पर गुजरात की राजधानी गांधीनगर स्थित उनके घर जाकर मुलाक़ात की और उनका आशीर्वाद लिया।
उन्होंने मां के जन्मदिन पर एक ब्लॉग भी शेयर किया है. नरेंद्र मोदी वेबसाइट पर प्रकाशित इस ब्लॉग में नरेंद्र मोदी ने अपनी मां से जुड़ी ढेरों यादें साझा की हैं. साथ ही पहली बार अपने पिता का ज़िक्र भी किया है.
उन्होंने लिखा है, “मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है. जीवन की ये वो भावना होती है जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है. आज मैं अपनी खुशी, अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं. मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं. यानि उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है.”
उन्होंने लिखा है, “पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वो भी 100 वर्ष के हो गए होते. यानी 2022 एक ऐसा वर्ष है जब मेरी मां का जन्मशताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है और इसी साल मेरे पिताजी का जन्मशताब्दी वर्ष पूर्ण हुआ है.”
पीएम मोदी ने लिखा है कि वैसे हमारे यहां जन्मदिन मनाने की कोई परंपरा नहीं रही है. लेकिन परिवार में जो नई पीढ़ी के बच्चे हैं उन्होंने पिताजी के जन्मशती वर्ष में इस बार 100 पेड़ लगाए हैं.
पीएम मोदी ने अपने जीवन के लिए माता-पिता को धन्यवाद कहते हुए लिखा है, “आज मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है, मेरे व्यक्तित्व में जो कुछ भी अच्छा है, वो मां और पिताजी की ही देन है. आज जब मैं यहां दिल्ली में बैठा हूं, तो कितना कुछ पुराना याद आ रहा है.”
पीएम मोदी ने अपनी मां हीराबेन के बारे में बताईं कई निजी बातें
– पीएम मोदी ने बताया है कि उनकी मां का जन्म मेहसाणा ज़िले के विसनगर में हुआ था. यह वडनगर के क़रीब है. हीराबेन के जन्म के कुछ दिनों बाद ही उनकी मां यानी पीएम की नानी की मौत हो गई थी. एक शताब्दी पहले आई वैश्विक महामारी में उनकी मौत हो गई थी.
– पीएम मोदी लिखते हैं, “मेरी मां का बचपन मां के बिना ही बीता, वो अपनी मां से ज़िद नहीं कर पाईं, उनके आंचल में सिर नहीं छिपा पाईं. मां को अक्षर ज्ञान भी नसीब नहीं हुआ, उन्होंने स्कूल का दरवाज़ा भी नहीं देखा. उन्होंने देखी तो सिर्फ गरीबी और घर में हर तरफ अभाव.”
– पीएम मोदी लिखते हैं कि उनकी मां अपने परिवार में सबसे बड़ी थीं और जब शादी हुई तो भी सबसे बड़ी बहू बनीं.
– पीएम मोदी ने अपने बचपन के घर का ज़िक्र करते हुए लिखा है- वडनगर के जिस घर में हम लोग रहा करते थे वो बहुत ही छोटा था. उस घर में कोई खिड़की नहीं थी, कोई बाथरूम नहीं था, कोई शौचालय नहीं था. कुल मिलाकर मिट्टी की दीवारों और खपरैल की छत से बना वो एक-डेढ़ कमरे का ढांचा ही हमारा घर था, उसी में मां-पिताजी, हम सब भाई-बहन रहा करते थे. उस छोटे से घर में मां को खाना बनाने में कुछ सहूलियत रहे इसलिए पिताजी ने घर में बांस की फट्टी और लकड़ी के पटरों की मदद से एक मचान जैसी बनवा दी थी. वही मचान हमारे घर की रसोई थी. मां उसी पर चढ़कर खाना बनाया करती थीं और हम लोग उसी पर बैठकर खाना खाया करते थे.
– अपने पिता का ज़िक्र करते हुए मोदी लिखते हैं कि पिताजी चार बजे भोर में घर से निकल जाया करते थे. मां भी समय की उतनी ही पाबंद थीं. उन्हें भी सुबह 4 बजे उठने की आदत थी.
– अपनी मां के संघर्ष का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी लिखते हैं- “घर चलाने के लिए दो चार पैसे ज्यादा मिल जाएं, इसके लिए मां दूसरों के घर के बर्तन भी मांजा करती थीं. समय निकालकर चरखा भी चलाया करती थीं क्योंकि उससे भी कुछ पैसे जुट जाते थे. कपास के छिलके से रूई निकालने का काम, रूई से धागे बनाने का काम, ये सब कुछ मां खुद ही करती थीं. उन्हें डर रहता था कि कपास के छिलकों के कांटें हमें चुभ ना जाएं.”
– पीएम मोदी ने अपनी मां के रहन-सहन का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि उनकी मां शुरू से ही साफ़-सफ़ाई को तवज्जो देने वाली रही हैं. घर साफ़ रहे इसलिए घर को खुद ही लेपती थीं, घर की दीवारों पर कांच के टुकड़े चिपकाकर आकृतियां बनाती थीं. पीएम मोदी अपनी मां का ज़िक्र करते हुए लिखते है कि उनकी मां आज भी परफ़ेक्शन पर ध्यान देने वाली हैं. वह लिखते हैं, “हर काम में परफ़ेक्शन का उनका भाव इस उम्र में भी वैसा का वैसा ही है. और गांधीनगर में अब तो भैया का परिवार है, मेरे भतीजों का परिवार है, वो कोशिश करती हैं कि आज भी अपना सारा काम खुद ही करें.”
– पीएम मोदी ने लिखा है कि जैसे कोई मां खाना खिलाने के बाद अपने बच्चे का मुंह पोछती हैं, वैसे ही उनकी मां अब भी उनके साथ वैसा ही करती हैं. वह लिखते हैं, “मैं जब भी उनसे मिलने पहुंचता हूं, तो मुझे अपने हाथ से मिठाई ज़रूर खिलाती हैं. मेरी मां आज भी मुझे कुछ खिलाने के बाद किसी रुमाल से मेरा मुंह ज़रूर पोंछती हैं. वो अपनी साड़ी में हमेशा एक रुमाल या छोटा तौलिया खोंसकर रखती हैं.”
– हीराबेन पीएम की मां हैं तो उन्हें कैसा लगता है, कितना गर्व होता है? इस पर हीराबेन कहती हैं, “जितना आपको गर्व होता है, उतना ही मुझे भी होता है. वैसे भी मेरा कुछ नहीं है. मैं तो निमित्त मात्र हूं. वो तो भगवान का है.” पीएम मोदी ने लिखा है, “आपने भी देखा होगा, मेरी मां कभी किसी सरकारी या सार्वजनिक कार्यक्रम में मेरे साथ नहीं जाती हैं. अब तक दो बार ही ऐसा हुआ है जब वो किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में मेरे साथ आई हैं.”
– पीएम मोदी ने उन दो मौक़ों का ज़िक्र करते हुए बताया कि जब वो पहली बार एकता यात्रा के बाद श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा कर लौटे थे तब अहमदाबाद में हुए नागरिक सम्मान कार्यक्रम में उनकी मां ने मंच पर उनका टीका किया था.
– पीएम मोदी लिखते हैं, “दूसरी बार वो सार्वजनिक तौर पर मेरे साथ तब आई थीं जब मैंने पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. 20 साल पहले का वो शपथग्रहण ही आखिरी समारोह है जब मां सार्वजनिक रूप से मेरे साथ कहीं उपस्थित रही हैं. इसके बाद वो कभी किसी कार्यक्रम में मेरे साथ नहीं आईं.”
– पीएम मोदी ने बताया कि उनकी मां देश-दुनिया की ख़बरों को लेकर बहुत सजग रहती हैं. हालांकि टीवी चैनलों को लेकर उनका मत कुछ अलग है. पीएम मोदी लिखते हैं, “हाल-फिलहाल में मैंने मां से पूछा कि आजकल टीवी कितना देखती हो? मां ने कहा कि टीवी पर तो जब देखो तब सब आपस में झगड़ा कर रहे होते हैं. हां, कुछ हैं जो शांति से समझाते हैं और मैं उन्हें देखती हूं.”
– पीएम मोदी ने बताया कि जब तक वो सार्वजनिक जीवन में नहीं थे उनकी मां उन्हें तुम कहकर बुलाया करती थीं लेकिन अब वो मुझे आप कहकर बुलाती हैं. पीएम मोदी ने लिखा है, “गुजराती में तुम के लिए तू और आप के लिए तमे कहा जाता है. मैं जितने दिन घर में रहा, मां मुझसे तू कहकर ही बात करती थीं. लेकिन जब मैंने घर छोड़ा, अपनी राह बदली, उसके बाद कभी भी मां ने मुझसे तू कहकर बात नहीं की. वो आज भी मुझे आप या तमे कहकर ही बात करती हैं.”
– पीएम मोदी लिखते हैं, “मां अक्सर पूछती हैं- दिल्ली में अच्छा लगता है? मन लगता है?”