किसान आंदोलन के समर्थन में कृषि कानूनों की प्रतिया जलाया गया

किसान आंदोलन के समर्थन में कृषि कानूनों की प्रतिया जलाया गया

January 13, 2021 0 By Central News Service

राजनांदगांव के बीजेपी सांसद संतोष पांडे का पुतला दहन किया गया

रायपुर : 13 जनवरी: राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष कोर्डिनेशन कमेटी के आव्हान ओर लोहड़ी त्यौहार पर किसान आंदोलन के समर्थन में किसान विरोधी काले क़ानून की प्रतियां जलायी गयी । रायपुर के धरना स्थल पर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ और छत्तीसगढ़ सिक्ख संगठन के प्रतिनिधियों द्वारा किसान विरोधी तीन काले कानूनों व मजदूर विरोधी चार काले कानूनों की प्रतियों को जलाया गया । इनके साथ ही राजनांदगांव के बीजेपी सांसद संतोष पांडे द्वारा दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को नक्सली और खालिस्तानी कहे जाने पर सांसद का पुतला दहन किया गया।
ज्ञात हो कि किसान विगत 50 दिनों से जन विरोधी किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं में किसान का आंदोलन जारी है,और इस आंदोलन में अब तक 70 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं । आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ से भी किसानों का जत्था दिल्ली के सिंघु बार्डर पर डटा हुआ है।

धरना स्थल पर कृषि कानून,मजदूर कानूनों एवम सांसद का पुतला दहन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ किसान मजदुर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य डॉ संकेत ठाकुर, छत्तीसगढ़ सिक्ख संगठन के मनमोहन सिंह सैलानी व रिंकू रंधावा, आदिवासी भारत महासभा के संयोजक सौरा यादव, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष मदलाल साहू छत्तीसगढ़ कृषक बिरादरी के पवन सक्सेना ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा लाये गए कॉरपोरेट परस्त तथा किसान , कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून लागू करने की मांग को लेकर अध्यादेश लाये जाने के समय से ही विरोध जारी है। न्यायालय ने इस बात पर कहीं भी विचार नहीं किया कि अध्यादेश के जरिए लाया गया कानून संवैधानिक है या नहीं, क्योंकि कृषि राज्य का विषय है और राज्य को पूछे बिना ही कानून बनाया गया है। सरकार से किसानों की दो ही माँग है तीनों कृषि कानून रद्द करो और न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करो लेकिन हठधर्मी केन्द्र की मोदी सरकार इसका समाधान करने में असफल साबित हुई है।इस असफलता को ढंकने के लिए ही न्यायालय का सहारा लिया है। कानून पर रोक लगाना मोदी सरकार की नैतिक हार जरूर है, परंतु इसके पीछे का लक्ष्य किसान आंदोलन, जो जन आंदोलन का स्वरूप ले लिया है, जिसको कमजोर करना है। जिन चार लोगों की समिति का गठन किया गया है, उनकी ही मेहरबानी से बीजेपी/आरएसएस क़ी मोदी सरकार यह कानून लेकर आयी हैं। क्योंकि किसानों का आंदोलन कृषि क्षेत्र के निगमीकरण के खिलाफ और खाद्य सुरक्षा की अधिकारों का रक्षा करना है । ।दूसरी ओर पूरे देश में फैल रहे किसान आंदोलन से भाजपा के नेता अपना मानसिक संतुलन खोते जा रहे हैं और अनर्गल बयान दे रहे हैं । राजनांदगांव के भाजपा सांसद संतोष पांडे का किसान विरोधी बयान इसी का प्रमाण है जब उन्होंने खैरागढ़ में किसान आंदोलन को खालिस्तानी नक्सली और आतंकवादी आंदोलन करार देने की कोशिश की । हम संतोष पांडे से तत्काल माफी की मांग करते हैं अन्यथा किसान और सिक्ख समाज उनके निवास का घेराव करेगा ।
आज के प्रदर्शन में आदिवासी भारत महासभा के पद्मलाल नेताम, युवराज, सुमित्रा, शौलेनदंरी परमेसवार, गौखरन, प्रताप, हेमलाल मरकाम छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ और सिख संगठन की ओर से अवनीत सिंह आनंदम, निर्मल सिंह खालसा, गुरजीत सिंह कोहली सहित अनेक साथी उपस्थित रहे।