23 साल पहले भारतीय सेना ने करगिल युद्ध (India Pakistan war) में पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था। भारतीय सेना : किसान नेता अशवन्त तुषार साहू

23 साल पहले भारतीय सेना ने करगिल युद्ध (India Pakistan war) में पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था। भारतीय सेना : किसान नेता अशवन्त तुषार साहू

July 26, 2022 0 By Central News Service

महासमुन्द 26 जुलाई 2022/ आज से ठीक 23 साल पहले भारतीय सेना ने करगिल युद्ध (India Pakistan war) में पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था। दोनों देशों के बीच 1999 में लड़े गए युद्ध को जीतने की याद में हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जाता है। पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ कर जिन जगहों पर कब्जा कर लिया था, भारत के जांबाज फौजियों ने उन दुर्गम स्थानों पर दोबारा तिरंगा लहराया था। 60 दिन से ज्यादा चलने वाली इस लड़ाई को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया था।

527 भारतीय जवानों ने दिया था बलिदान

करगिल युद्ध के दौरान 527 भारतीय जवान शहीद हुए थे। शिमला समझौते के तहत दोनो देश ठंड के समय अग्रिम चौकियों से अपने सैनिकों को हटा लेते हैं, लेकिन पाकिस्तान ने इस समझौते का गलत फायदा उठाते हुए भारत के इलाकों पर कब्जा कर लिया। जिसका पता लगने पर भारतीय सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई की थी।

ऊंचाई पर छिपी धोखेबाज पाकिस्तानी सेना


पाकिस्तानी सेना का मुख्य उद्देश्य लद्दाख और कश्मीर के बीच संबंध तोड़ना और भारतीय सीमा पर तनाव पैदा करना था। घुसपैठिए पहाड़ की चोटी पर बैठे थे जबकि भारतीय ढलान पर थे और इसलिए उनके लिए हमला करना आसान और हमारे लिए उतना ही मुश्किल था। 3 मई 1999 को पाकिस्तान ने यह युद्ध तब शुरू किया जब उसने लगभग 5000 सैनिकों के साथ कब्जा शुरू कर लिया था। विश्वासघातियों को सबक सिखाने के लिए ही ऑपरेशन विजय चलाया गया।

भारतीय वायुसेना का दिखा था पराक्रम


जमीनी हमले के लिए मिग-2आई, मिग-23एस, मिग-27, जगुआर और मिराज-2000 विमानों का इस्तेमाल किया। मुख्य रूप से, जमीनी हमले के सेकंडरी रोल के साथ हवाई फायर के लिए मिग -21 का निर्माण किया गया था। जमीन पर टारगेट हमला करने के लिए मिग-23 और 27 को ऑप्टिमाइज किया गया था। पाकिस्तान के कई ठिकानों पर हमले हुए इसलिए, इस युद्ध के दौरान ऑपरेशन सफेद सागर में IAF के मिग -21 और मिराज 2000 का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया था।

ऐसा जीता गया था टाइगर हिल


इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बमों का प्रयोग किया गया था। करीब दो लाख पचास हजार गोले, बम और रॉकेट दागे गए। लगभग 5000 तोपखाने के गोले, मोर्टार बम और रॉकेट 300 बंदूकें, मोर्टार और एमबीआरएल से प्रतिदिन दागे जाते थे, जबकि 9000 गोले उस दिन दागे गए थे, जिस दिन टाइगर हिल को वापस लाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह एकमात्र युद्ध था जिसमें दुश्मन सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी। अंत में, भारत ने एक जीत हासिल की।