सहकारी सोसाइटी संशोधन विधेयक 2022 को लेकर महामहिम राज्यपाल महोदया के नाम जिलाधीश को ज्ञापन- देवेंद्र
August 4, 2022महासमुंद 04 अगस्त 2022/ भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशि कांत द्विवेदी जी , जिला संयोजक उपेंद्र चौधरी जी व भाजपा जिला अध्यक्ष श्रीमती रुप कुमारी चौधरी जी के निर्देशानुसार भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के जिला सहसंयोजक देवेंद्र चंद्राकर जी द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक 2022 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 के विभिन्न धाराओं के संशोधन प्रस्ताव पारित किए गए हैं।जिसमें आपत्ति दर्ज कराने के लिए महामहिम राज्यपाल महोदया के नाम जिलाधीश निलेश क्षीरसागर महासमुंद को ज्ञापन सौंपा गया।
इस ज्ञापन में सोसाइटी अधिनियम संशोधन विधेयक के अंतर्गत धारा 50 (ख) ,8(ख) में निचले स्तर की सहकारी सोसाइटीयां जो उच्च स्तर की सोसायटीयों से संबंध है , में से कम से कम तीन चौथाई सोसायटीयों का निर्वाचन पूर्ण कराए जाने के पश्चात कुछ इस तरह सहकारी सोसायटीयों के बोर्ड का निर्वाचन कराए जाने संबंधित प्रावधान प्रस्तावित किया गया है। सहकारिता प्रकोष्ठ जिला सह संयोजक देवेंद्र चंद्राकर जी ने बताया कि इसी तरह धारा 53 (3) को विलोपित कर नवीन धारा 53 (घ)को जोड़ने हेतु प्रस्तावित है उक्त धारा के अनुसार वर्तमान में रजिस्टर के लिखित आदेश द्वारा किसी सोसाइटी के बोर्ड को हटाकर अधिकतम 6 माह और सहकारी बैंकों के मामले में अधिकतम 1 वर्ष के लिए प्रशासक नियुक्त किए जाने का प्रावधान है जिसे प्रतिस्थापित कर परिस्थिति जन्य कारणों से निर्वाचन ना होने की दशा में सोसाइटी का कार्य कलाप तथा कारोबार के सुचारू संचालन हेतु रजिस्ट्रार के लिखित आदेश द्वारा प्रशासक नियुक्ति की अवधि को समय-समय पर बढ़ाया जा सकने का प्रावधान किया जा रहा है ।
चंद्राकर ने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा अपने लोगों को लाभ पहुंचाने व अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए कानून को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है। सहकारिता जनता और सरकार दोनों के बीच सामंजस्य से बनाने वाली वह संस्था है, जिसमें सहकारिता से जुड़ी जनता सहकारी समिति के सदस्यों द्वारा अपने मताधिकार से निर्वाचन कर योग्य व्यक्ति का चुनाव करते हैं।उक्त दोनों धाराएं जो कि प्रावधान हेतु प्रस्तावित है वस्तुतः सहकारिता अधिनियम की मूल भावना के विपरीत है उक्त धाराएं लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव करें कराए जाने के रोक को प्रोत्साहित करती है।
इससे ना केवल लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है बल्कि सहकारिता अधिनियम एवं नियम के विपरीत तथा संविधान की मूल आत्मा के विपरीत है देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उक्त धाराओं के संशोधन से राजनीतिक लाभ लेने का भूपेश सरकार का मूल उद्देश्य पूरा हो जाएगा। इससे सरकार की मनमानी करने का इरादा साफ साफ नजर आ रहा है, सदस्यों को चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित कर लोकतांत्रिक भावनाओं को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि सत्ता पक्ष का उद्देश्य सहकारी सोसायटीयों में अपने लोगों का नामांकित बोर्ड बनाकर समितियों के वृत्ति स्त्रोत का अनुचित कार्यों के लिए दोहन करते हुए समितियों को समाप्त करने का षड्यंत्र है।
इस संबंध में ज्ञापन देने के लिए भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के जिला संयोजक देवेंद्र चंद्राकर जी के भाजपा नेता हिमांशु चंद्राकर जी, गोपी कन्नौजे जी, अमन वर्मा और नईम खान जी उपस्थित रहे।