हसदेव बचाने लड़ाई लड़ रहे आदिवासियों पर भाजपा सरकार बरसा रही लाठी : विनोद चंद्राकर

हसदेव बचाने लड़ाई लड़ रहे आदिवासियों पर भाजपा सरकार बरसा रही लाठी : विनोद चंद्राकर

October 22, 2024 0 By Central News Service

संपादक मनोज गोस्वामी

महासमुंद 22 अक्टूबर 2024/पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि सरगुजा के हसदेव अरण्य की कटाई का विरोध क्षेत्र के आदिवासी समुदाय द्वारा की जा रही है। विष्णदेव सरकार द्वारा आदिवासियों को क्रूरता पूर्वक हकाला जा रहा है। आदिवासियों की देवभूमि के काटे जाने का विरोध वे कर रहे हैं। 4 दिन पूर्व 17 अक्टूबर से 30 सेमी से अधिक परिधि वाले 2.47 लाख पेड़ परसा ईस्ट केते बासन में काटे जाने की कार्रवाई का विरोध क्षेत्र के आदिवासी कर रहे हैं। आदिवासियों के आवाज को दबाने सरकार ने 400 सशस्त्र पुलिस बल भेजकर उन पर लाठीचार्ज कराया। जिससे सैकड़ों आदिवासी बुरी तरह से घायल हो गए हैं।

चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में पेड़ों को बचाने की लड़ाई आदिवासी समाज लड़ रहे हैं। 1,500 किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह घना जंगल छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों का निवास स्थान है। इस घने जंगल के नीचे लगभग पांच अरब टन कोयला दबा है। इस वजह से पूंजीपतियों और पूंजीवादी भाजपा सरकार की गिद्ध दृष्टि यहां टिकी हुई है। बेदर्दी से जंगल को काटा जा रहा है, जो यहां की जैव विविधता के लिए बड़ा खतरा बन चुका है।

छत्तीसगढ़ में भाजपा के सत्ता में आते ही पिछले साल दिसंबर में हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा पूर्व और केते बासन (पीईकेबी) के दूसरे चरण विस्तार के तहत कोयला खदान के लिए पेड़ काटने की कवायद बड़े पैमाने पर हुई थी। तब भी यह काम पुलिस के सुरक्षा घेरे में किया गया था। इससे पहले वन विभाग ने मई 2022 में पीईकेबी चरण-2 कोयला खदान की शुरुआत करने के लिए पेड़ काटने की कवायद शुरू की थी, तब भी स्थानीय ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया था।

भाजपा सरकार और पूंजीपतियों, उद्योगपतियों के बीच सांठ-गांठ का खेल चल आ रहा है। विकास के नाम पर प्रकृति का बेदर्दी से दोहन किया जा रहा है, जिसका खामियाजा आने वाली पीढ़ियांे को उठाना पड़ेगा। हसदेव अरण्य में भाजपा सरकार द्वारा पुलिस बल के माध्यम से हिंसक प्रयोग के जरिये आदिवासियों के जंगल और जमीन को जबरन हड़पने का प्रयास आदिवासियों के मौलिक अधिकारों का हनन है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के दौरान हसदेव जंगल को न काटने का प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया था। तब भाजपा विपक्ष में थी। आैर कटाई पर रोक लगाने विपक्ष में रहते भाजपा ने सहमति दी थी। लेकिन, सरकार में आते ही उन्हें न तो यह प्रस्ताव याद आया और न ही हसदेव के इन मूल निवासियों की दुर्दशा और अधिकार। जब पहले हसदेव जंगल न काटने में भाजपा की सहमति थी, तो अब उसे यह सहमति याद क्यों नहीं है।