15 वें वित्त की राशि मे 39 लाख का घोटाला, भेजी गई शिकायत को दबाने का प्रयास…. आखिर क्यों नहीं हो पा रही है कार्रवाई…

15 वें वित्त की राशि मे 39 लाख का घोटाला, भेजी गई शिकायत को दबाने का प्रयास…. आखिर क्यों नहीं हो पा रही है कार्रवाई…

March 17, 2024 0 By Central News Service

संपादक मनोज गोस्वामी

महासमुन्द जिला में हुए 15वित्त आयोग की राशि 39 लाख रुपये गबन की जांच डाली गई ठंडे बस्ते में।

क्या कारण है कि जांच को बीच मे रोक दिया गया? क्या पूर्वती सरकार के कार्यनामो को वर्तमान सरकार ढकने का काम कर रही है?

महासमुंद 17 मार्च 2024/ छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिला का मामला सामने आया है बताया जा रहा है कि महासमुन्द जिला के जनपद पंचायत महासमुन्द में कोविड काल के समय केंद्र सरकार से 15 वित्त आयोग की राशि जनपद पंचायत महासमुन्द में आई थी । जिसको सभी ग्राम पंचायतों में कोरोना से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सामग्री सेनेटाइजर मास्क,क्रय कर के पहुँचना था सामग्री तो पहुँची और क्रय भी किया गया ।

लेकिन किसने देखा सामग्री क्रय हुई और कब पहुँची ग्राम पंचायतों में क्योंकि सबको तो अपनी पड़ी थी! क्योंकि महामारी ऐसी थी जिसके भय मात्र से तो नाम सुनते ही रूह कांप जाती है! खैर भगवान ना करे ऐसे दिन हमारे प्रदेश की जनता जनार्दन को दुबारा देखने को मिले हम बात जनपद पंचायत की कर रहे है।

पुरा मामला 15 वें वृत्त आयोग की राशि 39 लाख रुपये का है! क्या उस मामले में चल रही जांच को दबाने का प्रयास किया जा रहा है? क्या वह जांच फिर दब जायेगी? क्योंकि वह पहली ऐसी जांच है जो 2 वर्ष से बैलगाडी की चाल में जांच चली आ रही है । कभी जांच अधिकारी सेवा निरवृत हो जाता है तो कभी जांच अधिकारी का ट्रांसफर हो जाता है। क्या उसमे भी जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी सचिदानंद आलोक का हाथ है? जिसको लेकर वह गंभीरता नही ले रहे है ? क्योंकि हमने 1-2 बार मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस आलोक से संपर्क करने का प्रयास किया और उस मामले में क्या कार्यवाही हुई है ?उस विषय मे चर्चा करने के लिए उनके कार्यालय में मिलने जाया गया. लेकिन कभी मिले नही दौरे में रहे और मिले तो बाहर अपने चेम्बर से बाहर आकर जवाब देते है ,कि मैं उसमें क्या कर सकता हूँ उसमें और में क्या कार्यवाही करूंगा। जनपद पंचायत करेगा या जिला के कलेक्टर करेंगे उसमे में क्या कर सकता हूं ?ऐसा उनके द्वारा जवाब दिया जाता है।

शिकायत कर्ता को ये किस हद तक उचित है क्योंकि उस मामले में जो कर्मचारी फंसने और उस मामले में संलिप्त है वह कर्मचारी जिला पंचायत कार्यालय का ही कर्मचारी है। वह कर्मचारी जनपद पंचायत महासमुन्द में बैठा कर रखे है।शिकायत कर्ता द्वारा कुछ दिन पहले जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी मिशा कोसले द्वारा उस मामले में चर्चा किया गया तो उनके बताया गया मेने अपना काम कर दिया जांच कर के जिला पंचायत कार्यालय में जमा कर दिया है. उनके द्वारा निष्पक्ष जांच की गई है ।अब संशय की स्थित यह बन रही है कि जांच होने के बाद अब कार्यवाही में किधर जा कर रुक गई और क्या शेष रह गया है ये गबन जितनी तीब्रता से हुआ था उतनी ही तीब्रता से कार्यवाही भी होनी चाहिये थी ।

लेकिन दोषियों के ऊपर क्योंकि कार्यवाही को क्यों रोक कर रखी गई है ?केंद्र सरकार के पैसे को गबन किया गया, जबकि राज्य में उनकी सरकार नही थी। अब तो उनकी सरकार है फिर भी जांच को संज्ञान में नही लिया जा रहा है। अगर ऐसा होता रहा तो भ्रष्टाचारियों के हौसले और बुलंद हो जाएंगे। क्योंकि अभी इस मामले के बाद एक मामला उसी जिला पंचायत कर्मचारी का मामला सामने लाने वाला हूँ जिसके द्वारा पूरे क्रय नियम की धज्जियां उड़ा दिया गया है ।